शीर्षक हीन

स्तब्धता बढ़ती ही जाती है जैसे जैसे जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय की संविधान सम्मान यात्रा अलग अलग क्षेत्रों से होकर आगे बढ़ती है। गुजरात में वाइब्रेंट गुजरात की जो असलियत खुलकर सामने आती हैं, खुली खदानों से लोग परेशान, मीठी विर्दी में परमाणु ऊर्जा के खिलाफ बड़ा आंदोलन, भरूच में मच्छीमारों की समस्या तो उनके खिलाफ पूरी लड़ाई, जिसकी साथी कृष्णकांत बताते हैं कि अभी जापान सरकार ने बुलेट ट्रेन के लिए पैसा रोका है क्योंकि विस्थापन को लेकर किसानों की बहुत समस्याएं हैं।

ये यात्रा 2 अक्टूबर को दांडी से, जहां पहुंचकर गांधीजी ने अंग्रेजो के खिलाफ नमक तोड़ो कानून का आरंभ किया था, वही से आरंभ हुई।

जयपुर की रोटरी सभा भवन में मौन हो गया था। आंख में आंसू बाहर निकलने से मना कर रहे थे। पूरे राजस्थान में सरकारी गौरव यात्रा की धमक इस मंच पर आकर चुप हो गई थी।

पांतों की आति गांव के 75 वर्षीय दाकू ने अपने कमजोर लडख़ड़ा पैरों पर खड़े होकर कहा कि उनको ना पेंशन मिल पाई। ना राशन का गेहूं मिल पाया। मजदूर किसान शक्ति संगठन के शंकर भाई ने उसी गांव के ऐसे पांच लोगों से रूबरू कराया। दाकू की पत्नी की मृत्यु के बाद पूरा सरकारी अमला यह सिद्ध करने पहुंचा था कि उसके पेट में अनाज था 10 महीने की रुकी पेंशन मृत्यु के बाद अधिकारी लाए और क्योंकि मृत्यु हो गई है इसलिए पैसा वापस ले गए।

100 करोड़ रुपया हर साल वापस हो जाता है क्योंकि आधार के लिए बूढ़े लोगों के अंगूठे निशान नहीं बन पाते। दूसरी तरफ लोग भूख से तड़पते पड़े हैं। एक तरफ बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा के लिए विशेष सुविधाएं दी जाती हैं मगर सबसे निचले पायदान के मात्र हिलती हड्डियों जैसे शरीर जो सिर्फ खाना मांग रही है। जिसके नाम पर सरकार ने खूब घोषणाएं कर रखी हैं। इन सब को देख पूरा सदन सकते में था। राजस्थान की बड़ी आबादी इन परिस्थितियों को झेल रही है। साथियों ने बताया कि पंचायतों के अधिकारी हड़ताल पर हैं, राजस्थान रोडवेज के लोग हड़ताल पर हैं, मनरेगा के अधिकारी हड़ताल पर हैं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हड़ताल पर हैं, राजस्थान हड़तालो का राज्य है। आज सिर्फ एक काम बहुत तेजी से हो रहा है। अल्पसंख्यक और दलितों पर हर तरह से दबाव। नफरत खूब बोई गई है।

उड़ीसा के नियमगिरि आंदोलन के प्रफुल्ला समन्त्रा जी जिनको गोल्डमैन अवार्ड से कुछ दिन पहले ही नवाजा गया है, ने एक सभा में कहा की भारत की स्थिति पर कहा कि यह सरकार हिंदु मुसलमान के नाम पर लोगों को मूर्ख बनाने की कोशिश कर रही है।और साथ में खास पूंजीपतियों को देश बेच रही है।

समाजवादी किसान नेता डॉ सुनीलम ने बहुत साफ तौर पर कहा कि सरकार बदलना ही अब एकमात्र लक्ष्य होना चाहिए। राजस्थान रोडवेज के 17,000 कर्मचारी हड़ताल पर हैं रात 12 बजे सरकारी कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। मोदी अजमेर में जनता जेल में।

उदयपुर जिले की में एक करोड़ से ज्यादा आदिवासी हैं सूखी खेती के चलते गुजरात में काम करने जाते हैं जंगल तो वैसे भी कम हो गया और जो है उस पर 1 अधिकार की लड़ाई जारी है राजस्थान मध्य प्रदेश में भाजपा शासन में के दौरान मुख्यमंत्रियों का आत्म प्रचार और सरकारी योजनाओं का विज्ञापन यह दो बहुत बड़े काम हो रहे हैं।

मध्यप्रदेश में यात्रा बालागुड़ा गांव से में पहुंचकर पहली सभा की जहां 6 जून 2017 को पुलिसिया जुल्म के शिकार किसान और शहीद हुए अभिषेक जैसे युवाओं के माता पिता ने शिरकत की अब किसान क्या करें 75 पैसे किलो लहसुन कहा बेचे।

टमाटर की तरह लेसुन को भी फेंकना पड़ रहा है। गाय का नारा देने वाली सरकार दूध का सही दाम भी नहीं दे पा रही है। फसल का गोदाम छोडि़ए मौसमी संतरा भी ₹2 किलो बेचना पड़ता है। किसान बहुत चोट खाए और उद्विग्न हैं।

महू बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर जी की जन्म-स्थली पहुंच यात्रियों ने जब बाबा साहब की मूर्ति को फूल चढ़ाए तो गौरव का अनुभव हुआ। संविधान का हो सम्मान, संविधान सम्मान यात्रा जिंदाबाद, ऐसे नारे और संविधान की चर्चा, शब्द और भावना सब एक हो गए।

ग्राम सभा के अधिकार और स्वायतत्ता पर सरकार हमले कर रही है। लगभग 12000 पंचायत सदस्यों के पद खाली है।

पीथमपुर मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है

प्रतिभा सिंटेक्स के बाहर मजदूरों के धरने पर यात्रा पहुंची कल रात को ही धरना दे रहे मजदूरों का तंबू उखाड़ा गया था और मारपीट की गई थी। आचार संहिता का भय दिखाकर। पूरे पीथमपुरा क्षेत्र में मजदूरों के अधिकार व सुविधाओ, महिलाओं की गरिमा और नागरिक अधिकारो का खुले आम उल्लंघन हो रहा है। पीतमपुर में 80त्न मजदूर ठेका मजदूरी पर है। ये पूंजीपतियों और सत्ता कि गलबहियों का नतीजा है।

मजदूरों के साथ पीतमपुरा जलूस निकाला गया। संविधान सम्मान यात्रा ने बाद में हुई सभा में आम लोगो से कदम से कदम मिलाकर संघर्ष करने का किया आवाहन। मेधा पाटकर ने मजदूर, आदिवासी, किसान विरोधी सरकार को मृत करार दिया।

जब आप अपने अधिकारों से वंचित लोग, बिना पानी सूखे खेत और पानी से भरे बांधो के पानी को कंपनियों की ओर मुड़ते देखते हैं, महीनों से सड़क पर बिना तनख्वा के पड़े मजदूरो, रेप पीडि़त महिलाएं जिनके केस पुलिस दाखिल नही करती, बरसो से पुनर्वास नही हों पाया ओर ऐसी अनेकानेक समस्याएं बिना हल के पाते है फिर भी समाधान कि जगह हिन्दू मुसलमान की घुट्टी दी जाये तो क्या होगा?

बस में 15 राज्यों के लोग हैं समन्वय के कुछ वरिष्ठ साथी लगातार चल रहे हैं प्रफुल्ल सामन्त्रा, मीरा संघमित्रा, भूपेन्द्र रावत, डॉ सुनीलम, मेधा पाटकर, महाराष्ट्र की स्वास्थ्य कार्यकर्ता सुहास कोल्हेकर, गुजरात से कृष्णकांत जिनका बुलेट ट्रेन पर काम है।

40 से 50 साथी बराबर रहते हैं कुछ संगठनों के साथी आते हैं, नए जुड़ते हैं, कुछ 2 दिन 4 दिन के बाद वापस होते हैं। पहले चरण में गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ होंगे।

मजदूर किसान शक्ति संगठन के शंकर भाई और उनकी मंडली जुड़ी, अपने गीतों से भरी कठपुतली के माध्यम से सरकारी योजनाओं की सारी असलियत बता देते हैं और लोगों की ताकत का भी एहसास कराते हैं राजस्थान के अलावा देशभर में उनकी कठपुतली और गीत प्रसिद्ध हैं। मनरेगा मजदूर यूनियन बनारस से आये साथी महेंद्र भाई व सुरेश भाई

नदी वाला गीत व पुरवइया की बाहर जैसे गीतों से मिट्टी की सुगंध लाते हैं। मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में सेंचुरी मिल मजदूरों की जो लंबी लड़ाई साल भर से चली है जिसमें जीत हासिल हुई। आज कंपनी फंसी है अपनी वायदे में। एक रुपए में पूरी कंपनी मजदूरों को देने का वादा सेंचुरी मिल मालिक बिरला जी ने किया था। आंदोलन के लोग अपने को नर्मदा बचाओ आंदोलन का हिस्सा मानते हैं। मेधा पाटकर अपने 33 वर्ष के अनुभवों को लेकर इस आंदोलन में ऊर्जा दे रही है। सेंचुरी मिल मजदूरों में बहुत लोग बिहार और उत्तरप्रदेश के हैं उनमें से नवीन भाई भी है। आंदोलन के ढेर सारे गीत, उनकी दर्द भरी आवाज में बस यात्रा के साथ कार्यक्रम और तब असली गूंज रहे हैं।

यात्रा में युवाओं की भागीदारी पूरी वैचारिक सोच और जिम्मेदारी के साथ है। उमा और हिमशी यात्रा की जिम्मेदारी लेकर चल रही हैं। यात्री कब कहां उतरे? कार्यक्रम कैसे हो? कौन से पर्चे बांटने हैं? बस कहां रुकनी है? अगला पड़ाव कौन सा होगा? पूरी यात्रा का प्रबंधन उनके पास है। साथ में कई युवा भी हैं।

हाल ही में चुने गए डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के उपाध्यक्ष पल्लव ज्योति हजारीका है, देवजानी बोडो, रिंपी बड़ठाकुर, आर्यमन, आर्यन, रोहित, अक्षित, भागीरथ यह सब 30 वर्ष से कम के युवा संविधान की प्रस्तावना सभा के अंत में पढ़ते हैं। संविधान सम्मान यात्रा क्या है? क्यों है इसके बारे में सभा में बात रखते हैं। यात्रा की वीडियो शूट करते हैं। फेसबुक पर अपडेट करते हैं। मगर काम सुगठित रूप से हो, उसकी जिम्मेदारियां बांटकर चलते हैं।

यात्रा बस में खूब गीत गाते हैं। ऐसी सकारात्मक ऊर्जा देश में फैले जहर को दूर करने निकली है।

ऐसे युवाओं की टोली यात्रा की दूसरी और तीसरी चरणों में थोड़ी बढऩे वाली है।

जयपुर में गौरव यात्रा के समापन तक चुनाव आयोग ने अपनी प्रेस वार्ता भी रोकी थी। जो बताता है कि जब कहीं हद तक आज मीडिया सत्ता न्यायपालिका चुनाव आयोग तक एक मु_ी में कैद है जो संविधान को बदलना चाहते हैं इसीलिए संविधान सम्मान यात्रा बाबा साहब के विचारों और सपनों सम्मानित करना और बचाना यह यात्रा का संदेश है।