02 सितंबर, 1945 को द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्त होने के बाद 24 अक्टूबर, 1945 को अंतरराष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा बनाये रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र का गठन किया गया था। इसके बावजूद सन् 1945 से सन् 1989 के बीच अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध चलता रहा। इस शीत युद्ध के बाद अमेरिका एक वैश्विक ताक़त बनकर उभरा। लेकिन युद्ध नहीं थमे। कई देश छोटी-बड़ी लड़ाइयाँ लड़ते रहे। एशिया में भारत-पाकिस्तान और भारत-चीन के बीच युद्ध हुए, तो यूरोप में भी कई देश छोटे-छोटे युद्धों में उलझे रहे। संयुक्त राष्ट्र ने कहीं युद्ध रोकने की पहल की, तो कहीं नहीं की।
हाल के दिनों में एक साल आठ महीने से रूस-यूक्रेन का युद्ध चल रहा है। 24 फरवरी, 2022 से शुरू हुए रूस-यूक्रेन का युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच 7 अक्टूबर, 2023 को हमास ने इजरायल पर अचानक रॉकेट दाग़ने शुरू कर दिये। हमास के इस हमले को इस सदी का सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है। इससे इजरायल का बहुत बड़ा नुक़सान हुआ। इजरायल ने भी युद्ध का ऐलान करते हुए कहा कि युद्ध के नियमों को अब नहीं माना जाएगा। दोनों ओर से अब हज़ारों रॉकेट, ग्रेनेड, मिसाइलें, गोले और गोलियाँ दाग़ी जा चुकी हैं।
अब इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने क़सम खायी है कि वह हमास को $खत्म करके ही दम लेंगे। युद्ध शुरू होते ही भारत इजरायल के साथ खुलकर सामने आ गया। अमेरिका ने इजरायल को हथियारों की खपत बढ़ा दी। अब फिलिस्तीन के साथ 22 अरब देश खुलकर खड़े हो चुके हैं। इसके अलावा कई यूरोपीय देश, कुछ एशियन देश भी ख़ामोशी से फिलिस्तीन के साथ खड़े दिख रहे हैं। इजरायल के साथ भी डेढ़ दर्ज़न के क़रीब देश खड़े हैं। इनमें कुछ ख़ामोशी से समर्थन कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से खुलकर इजरायल का साथ दिया है, उस तरह से अमेरिका ने भी खुलकर उसका समर्थन नहीं किया है। इससे पहले जितनी भी सरकारें भारत की सत्ता में आयीं, किसी ने इजरायल को इस तरह समर्थन नहीं दिया। महात्मा गाँधी ने तो 26 नवंबर, 1938 के अपने अ$खबार ‘हरिजन के अंक में फलिस्तीन में यहूदियों को बसाने को अन्यायपूर्ण बताया था।
कुछ लोग इजरायल और फिलिस्तीन को मुस्लिमों और यहूदियों के बीच युद्ध मान रहे हैं। लेकिन यह वास्तव में अतिक्रमण और अन्याय का युद्ध है। वास्तव में 13 मई, 1948 तक इजरायल अस्तित्व में ही नहीं था। जिस जगह इजरायल बसा है, वह सब फिलिस्तीन ही था और यहाँ ऑटोमन साम्राज्य स्थापित था।
14 मई, 1948 को यहूदियों ने फिलिस्तीन के एक छोटे हिस्से पर क़ब्ज़ा करके नये देश की घोषणा कर दी। आज 22 अरब देश इजरायल के साथ भले ही खड़े हैं; लेकिन अरब देशों ने उस समय इजरायल के अस्तित्व को स्वीकार करने से मना कर दिया था। धीरे-धीरे इजरायल ने अपना दायरा बढ़ाया और सन् 1967 में छ: दिन का युद्ध के बाद इजरायल ने इंजिप्ट से युद्ध लड़कर गाज़ा पट्टी, पूर्वी यरूशलम, पश्चिमी तट और गोलान पहाड़ी पर क़ब्ज़ा कर लिया। इसके बाद दोनों देशों की सीमाएँ तय हो गयीं।
सन् 2004 में इजरायल के तत्कालीन प्रधानमंत्री एरियल शेरोन ने गाज़ा छोड़ने का ऐलान कर दिया। उधर फिलिस्तीन में इजरायल से बदला लेने के लिए सन् 1987 में एक आतंकी संगठन हमास का गठन हुआ। हालाँकि फिलिस्तीन में हमास सन् 1970 से अस्तित्व में था; लेकिन सन् 1987 से पहले ये संगठन घोषित नहीं था। फिलिस्तीनी हमास को अपने देश का सबसे बड़ा क्रान्तिकारी दल मानते हैं। हमास में शामिल लोगों को $फौजियों की तरह ट्रेनिंग और सुविधाएँ आदि दी जाती हैं। अब गाज़ा पट्टी पर हमास का शासन चलता है। यही गाज़ा पट्टी इजरायल के लिए मुसीबत बन गयी है। रूस-यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध को लेकर दुनिया के जितने देश खुलकर सामने नहीं आये, उतने खुलकर फिलिस्तीन और इजरायल के बीच छिड़े युद्ध को लेकर सामने आ गये हैं। इस युद्ध को लेकर दुनिया दो धड़ों में बँटती नर्ज़र आ रही है। दुनिया के कई देशों में शीत युद्ध, अतिक्रमण और खुले युद्धों के चलते तृतीय विश्व युद्ध के हालात बनने के आसार बढ़ते जा रहे हैं। क्या आने वाले समय में तृतीय विश्व युद्ध होगा?