मायानगरी के मायापतियों पर ईडी-ग्रहण

मायानगरी मुम्बई पर ईडी की पैनी नज़र है। इसकी $खास वजह मुम्बई के कुछ व्यवसायियों और फ़िल्मी हस्तियों के पास अथाह पैसा है। तो क्या यह माना जाए कि मनी लांड्रिग के नाम पर लोगों को नोटिस भेजकर हिरासमेंट के लिए बुलाने वाला ईडी दिल्ली में बैठे कुछ लोगों के बैंक एकाउंट फुल करने और मौक़ा मिले, तो अपनी जेबें भी भरने की जुगत में लगा हुआ है? आरोप तो ऐसे ही लग रहे हैं आजकल ईडी अफ़सरों पर। कुछ समय पहले तानाजी मंडल नाम के ईडी के एक अधिकारी को महाराष्ट्र के भूषण पाटील और राजेश शेट्टी नाम के उसके दो सहयोगियों के साथ करोड़ों रुपये रिश्वत लेने के एक मामले में गिरफ़्तार किया गया था। कथित आरोप तो यहाँ तक है कि ईडी के अधिकारियों ने पैसे और नेमफेम वाले मुम्बई के निवासियों की रातों की नींद उड़ा दी है। कुछ समय से शिवसेना के संजय राउत के अलावा कुछ नामी-गिरामी व्यापारियों, नेताओं को इसी तरह ईडी डराती रही है। अब ईडी ने बॉलीवुड प्रोडक्शन हाउस महादेव बेटिंग ऐप के प्रमोशन के लिए काम करने वाले क़रीब 34 फ़िल्मी और टीवी कलाकारों को भी रडार पर ले रखा है। ईडी ने मुम्बई के क़ुरैशी प्रोडक्शन हाउस पर भी छापेमारी की है। ये प्रोडक्शन हाउस भी महादेव ऐप का प्रमोटर है।

ईडी के सूत्रों का दावा है कि महादेव ऐप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल से हवाला की मोटी रक़म मिली थी। अब ईडी के रडार पर संजय दत्त, सुनील शेट्टी, सोनू सूद, सोनाक्षी सिन्हा, सुखविंदर सिंह, कपिल शर्मा, सारा अली $खान, मलाइका अरोड़ा समेत 34 लोगों को ईडी ने नोटिस भेजा है। इनमें से कई अभिनेता-अभिनेत्री ईडी के सामने हाज़िर हो चुके हैं, तो कइयों को ईडी के सवालों का सामना करना है। इन सभी फ़िल्मी कलाकारों पर महादेव बेटिंग ऐप के ज़रिये मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनाया गया है। ईडी प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग के तहत इन फ़िल्मी कलाकारों के बयान दर्ज करके फ़िलहाल तो छोड़ रही है; पर आगे वो किसके साथ क्या करेगी? यह कोई नहीं जानता। लेकिन जो सूत्रों से पता चला है, वो यह है कि ईडी भी कमाने की कोशिश में है। किसी ईडी के क़रीबी सूत्रों ने बड़े विश्वास में लेते हुए छापेमारी के पीछे दिल्ली से किसी का (नाम नहीं लिया) दबाव बताया है। इसके पीछे का मक़सद हम सभी जानते हैं कि पैसे के लिए तो सारा खेल ही होता है। ऐसे में ईडी को कहीं से निर्देश तो मिलता ही होगा।

सवाल यह है कि मनी लांड्रिग के जिस पैसे को एकदम ईमानदारी से सरकारी ख़ज़ाने में जमा होना चाहिए, उस पैसे की चैरिटी चोरी-छिपे कहाँ होती है? सबको मालूम है कि ग़रीबों में तो यह चैरिटी होती नहीं होगी। आज के दौर में पैसे सबको चाहिए। कलाकार भी चार पैसे कमाने के वास्ते मुम्बई में आकर अपना नसीब आजमाते हैं। बहुत मुश्किल से कुछ कलाकार फ़िल्मी दुनिया के फलक पर चमकते हैं। जब वे अच्छा पैसा कमाने लगते हैं, तो वे सरकार के पास टैक्स भी जमा कराते हैं। यह अलग बात है कि कुछ फ़िल्मी कलाकारों पर टैक्स चोरी के भी आरोप लगते रहे हैं; पर ज़्यादातर कलाकार तो मोटा टैक्स सरकार को जमा करते हैं। ईडी का इतनी बड़ी संख्या में कलाकारों नोटिस भेजने से मालूम होता है कि महादेव ऐप से जुड़े कलाकारों को अब आसानी से बख़्शा नहीं जाएगा। जिसकी जो भी नस कमज़ोर होगी, उसी को ईडी दबा देगा। ईडी इन महादेव ऐप के प्रोमोटरों से कलाकारों को दिये जाने वाले पैसे के सोर्स जानने की कोशिश करने में लगा है। ईडी सूत्रों से मिली जानकारी में पता चला है कि हर साल महादेव ऐप के ज़रिये 20,000 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार हुआ।

बता दें कि महादेव एक ट्रेडिंग ऐप है, जिसकी शुरुआत सौरभ चंद्राकर के एक क़रीबी दोस्त रवि उप्पल ने कुछ लोगों के साथ मिलकर की थी। बाद में सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल ने इस ऐप का पूरा कारोबार दुबई में शिफ्ट कर लिया और वहीं से कारोबार करने लगे। यहाँ तक तो सब कुछ ठीक चलता रहा। पर जब सौरभ चंद्राकर की शादी में (सूत्रों के मुताबिक) कोई 200 करोड़ रुपये से भी ज़्यादा ख़र्च किये जाने की बात सामने आयी, तो ईडी ने इसे अपने शिकार का ज़रिया बनाते हुए उन सभी कलाकारों को नोटिस जारी कर दिया, जो इस शादी में शामिल हुए। अभी अक्टूबर में ईडी ने मुम्बई के जंबो कोविड सेंटर घोटाले मामले की परते खोलने का दावा करते हुए शिवसेना सांसद संजय राउत के एक क़रीबी सुजीत पाटकर को ईडी ने शिकंजे में लिया है। सुजीत पाटकर ने एक सरकारी गवाह के जैसे इस घोटाले में शिवसेना सांसद संजय राउत का नाम लिया है। ईडी के सूत्रों ने दावा किया है कि 32.44 करोड़ रुपये के इस घोटाले में से 2.81 करोड़ रुपये सुजीत पाटकर के निजी बैंक अकाउंट में जमा हुए थे। इस मामले में ईडी ने अपनी चार्जशीट में लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज, उसके तीनों पार्टनर और दहिसर जंबो कोविड सेंटर के डीन डॉक्टर किशोर बिसूरे हैं। मुम्बई में एक कहावत है कि यह शहर हर किसी को अपनी चकाचौंध में समा लेता है। तो क्या नेता और क्या सरकारी अफ़सर भी इस चकाचौंध से सम्मोहित नहीं होते होंगे? आजकल के ज़्यादातर लोग किसी भी तरह पैसा कमाना चाहते हैं। यह एक इंसानी फ़ितरत भी है।