लोकसभा और राज्य सभा की कार्यवाही गुरुवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गईं। इस तरह संसद के बजट सत्र का समापन हो गया जो 31 जनवरी को शुरू हुआ था। यह दो चरणों में आयोजित किया गया। सत्र के दौरान महंगाई का मुद्दा छाया रहा और विपक्ष ने इस मसले पर सदन से वॉक आउट भी किया।
बजट सत्र के समापन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई विपक्षी नेताओं से मुलाकात की। इनमें नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव और अन्य नेताओं शामिल हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी इस मौके पर उपस्थित थे।
सत्र के दौरान कांग्रेस और टीएमसी सहित विपक्षी दलों ने सरकार को पेट्रोल कीमतों बढ़ौतरी और महंगाई सहित जनता से जुड़े कई मुद्दों पर लगातार घेरे रखा। उधर कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार महंगाई के विषय पर चर्चा कराने से भागती रही जिस कारण लोकसभा और राज्यसभा की बैठकें अचानक स्थगित करवा दी गईं।
सत्र समाप्ति के बाद राज्यसभा में कांग्रेस दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पत्रकारों से कहा – ‘महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा है। पिछले कुछ दिन में पेट्रोल और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर से अधिक की वृद्धि की गई है। रसोई गैस सिलेंडर पर 50 रुपये बढ़ाये गये हैं। सीएनजी के दाम में भी रोजाना बढ़ोतरी हो रही है। उर्वरक के दाम में वृद्धि की गई है जिससे किसानों को दिक्कत हो रही है। सरकार किसान संगठनों के साथ समझौते के संदर्भ में चर्चा नहीं कराना चाहती थी।’
बजट सत्र का दूसरा चरण 8 अप्रैल तक चलाया जाना था, लेकिन इसे आज एक दिन पहले ही समाप्त कर दिया गया। पहले चरण में संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही, राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ 31 जनवरी को शुरू हुई थी, जो 11 फरवरी तक। चली। लोकसभा के दूसरे सत्र में 27 बैठकें हुईं और सदन की कार्य उत्पादकता 129 प्रतिशत रही। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज सुबह कहा – ‘सत्र के दौरान सदन की बैठकें लगभग 177 घंटे 50 मिनट तक चलीं। इस दौरान 182 तारांकित प्रश्नों के उत्तर दिये गए।’
उधर राज्यसभा में 99.80 प्रतिशत कामकाज हुआ। राज्यसभा सचिवालय के अनुसार सदन 100 प्रतिशत कामकाज की उपलब्धि हासिल करने में 10 मिनट से चूक गया। उच्च सदन ने इस सत्र के दौरान 23 प्रतिशत समय का उपयोग सरकारी विधेयकों पर चर्चा के लिए किया वहीं 37.50 प्रतिशत समय का उपयोग अन्य चर्चा के लिए किया गया।