सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए टैक्स पेयर्स के खर्च पर कैश और मुफ्त वस्तुओं के वितरण पर एक केंद्र सरकार, मध्य प्रदेश सरकार और राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया है साथ ही चुनाव आयोग से भी 4 सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
शुक्रवार को सीबीआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने जनहित याचिका पर केंद्र, भारतीय रिजर्व बैंक और निर्वाचन आयोग को भी नोटिस जारी किया है।
याचिकाकर्ता की पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि, “चुनाव से पहले सरकार द्वारा नकदी बांटने से ज्यादा खराब और कुछ नहीं हो सकता। हर बार यह होता है और इसका बोझ आखिरकार करदाताओं पर आता हैं। चुनावों से ठीक 6 महीने पहले मुफ्त चीजें जैसे स्कूटी, लैपटॉप और टैब जैसी कर्इ चीज़े बांटी जाती है और राज्य सरकारों की ओर से इसे जनहित का नाम दे दिया जाता है।”
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि, “चुनाव से पहले हर तरह के कई वादे किए जाते हैं और हम इस पर किसी तरह का नियंत्रण नहीं कर सकते। हम इसे अश्विनी उपाध्याय की याचिका के साथ टैग करेंगे लेकिन आपने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय आदि को पक्षकार बनाया है। आपको सरकार को पक्षकार बनाने की जरूरत है और आरबीआर्इ, महालेखा परीक्षक आदि को पक्षकार बनाने की जरूरत है। जिसके बाद पीठ ने कहा कि नोटिस जारी करिए और चार सप्ताह के भीतर जवाब दीजिए। ”
आपको बता दें, चुनावों से पहले जनता को लुभाने के लिए सरकारों द्वारा की जाने वाली घोषणाओं को दूसरे शब्दों में रेवड़ी कल्चर कहा जाने लगा है। इसके खिलाफ हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दायर की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि करदाताओं के पैसे पर नकदी और अन्य मुफ्त के सामानों और सुविधाओं का वितरण किया जा रहा है।