कोयला घोटाला सरकार की नीतिगत असफलता है या प्रधानमंत्री का निजी घोटाला?
लोगों के मन में एक गलत धारणा है कि सिर्फ घूस लेना ही निजी भ्रष्टाचार होता है. अगर एक सरकारी कर्मचारी गलत तरीके से जान-बूझकर किसी को लाभ पहुंचाता है और खजाने की बर्बादी करता है तो वह भी निजी घोटाले की श्रेणी में आता है.
तो इस मामले में प्रधानमंत्री की व्यक्तिगत गलती क्या है?
मेरे ख्याल से उनकी पहली गलती है उस नीति को लागू करने में की गई अनावश्यक देरी जिसकी घोषणा उनकी सरकार ने पहले ही कर दी थी. जून, 2004 में सरकार ने घोषणा की कि निजी कंपनियों को कोल ब्लॉक का आवंटन बोली के आधार पर होगा क्योंकि तमाम ऊर्जा कंपनियों को कोयले की सख्त जरूरत है. और फिर उन्होंने उस नीति को छह साल तक लटकाए रखा. एक बात और ध्यान रखिए, मुख्य खनिजों पर निर्णय लेने का अधिकार केंद्र सरकार के पास होता है. राज्य सरकारों का अधिकार सिर्फ छोटे-मोटे (माइनर) खनिजों पर है. कोयला मुख्य खनिज है. आप यह कहकर पीछा नहीं छुड़ा सकते कि दो-चार लोगों की राय इसके खिलाफ थी इसलिए आपने मनमाना आवंटन किया. आपको बहुमत के साथ जाना चाहिए था.
घूसखोरी की अफवाहें भी उड़ रही हैं?
मुझे नहीं पता. अफवाहों के आधार पर मैं कोई बयान नहीं दे सकता, लेकिन जो बातें उड़ रही हैं वे बेहद चिंताजनक हैं मसलन पसंदीदा लोगों को कोल ब्लॉक आवंटन के लिए पार्टी की तरफ से मंत्रालय में पर्चियां भेजी गईं. 2जी मामले में भी सरकार निरंतर इनकार करती रही थी. एक मंत्री तो हास्यास्पद ‘जीरो लॉस’ फॉर्मूला लेकर भी आए और कैग को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की. अब उन्हीं लोगों ने 2जी स्पेक्ट्रम की बेस कीमत 14,000 करोड़ रुपए रखी है, जबकि उस समय इन्होंने पूरी नीलामी 1,658 करोड़ रुपये में कर डाली थी. इससे साबित होता है कि कैग की रिपोर्ट सही थी.
आप साफ कर चुके हैं कि प्रधानमंत्री के इस्तीफे से कम आपको कुछ मंजूर नहीं होगा. तो उन्हें पद से हटाने की आपकी रणनीति क्या है?
मैं यहां पर अपनी रणनीति उजागर नहीं कर सकता. हम संसद के भीतर और बाहर उनके ऊपर दबाव बनाए रखेंगे.
नियमत: प्रधानमंत्री को हटाने के लिए आपको संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहिए. पर आप इसकी बात नहीं कर रहे हैं?
असाधारण मामलों में विरोध करने के कई वैकल्पिक संसदीय तरीके उपलब्ध हैं. संसद में अवरोध पैदा करना भी उसी का हिस्सा है. हमारी आपसी राय है कि अविश्वास प्रस्ताव के विकल्प पर विचार नहीं करना चाहिए. हमने देखा है कि यह सरकार जनता के बीच भले ही अलग-थलग पड़ जाती हो लेकिन राजनीतिक जमात को अपने साथ खड़ा करने में इसे महारत हासिल है. इस काम में इसने जांच एजेंसियों का भी इस्तेमाल बड़ी चतुराई से किया है. इसलिए हम ऐसा कोई भी काम नहीं करेंगे कि सरकार को बच निकलने का मौका मिले.
संसद ठप पड़ी है, लोग इस बात से चिंतित हैं.
लोग इस बात से ज्यादा चिंतित हैं कि इस सरकार में भ्रष्टाचार लगातार बढ़ रहा है. भ्रष्टाचार उजागर करने के लिए संसद भवन को ठप करना मेरे ख्याल से सही संसदीय तरीका है. एनडीए के शासनकाल में जब तहलका कांड हुआ था तब कांग्रेस ने भी यही किया था. इसलिए वे यह नहीं कह सकते कि यह गलत तरीका है.
यदि प्रधानमंत्री पद नहीं छोड़ते हैं तब क्या होगा? आपने इतनी बड़ी शर्त रख दी है. क्या आप पीछे हट जाएंगे, कुछ दिन बाद स्थितियां सामान्य हो जाएंगी?
हम पीछे नहीं हटने वाले. हम एक के बाद एक कदम आगे बढ़ाते जाएंगे. उन कदमों का खुलासा मैं अभी नहीं कर सकता.
आपने ममता बनर्जी को यूपीए से अलग करने की कोशिश की है?
इस संबंध में मैं कुछ नहीं कह सकता. हम हर व्यक्ति तक पहुंचने की कोशिश करेंगे.
कैग रिपोर्ट में 2004 से पहले एनडीए के शासनकाल की यह कह कर आलोचना की गई है कि उस दौरान कोयला ब्लॉक आवंटन का कोई स्पष्ट ढांचा ही नहीं था.
2004 से पहले आवंटित किए गए कोल ब्लॉकों की संख्या नाममात्र की है और वे भी ज्यादातर सरकारी कंपनियों को हुए हैं. इसलिए इस तरह की समस्या कभी उत्पन्न नहीं हुई. समस्या तब खड़ी हुई जब आपने इतनी बड़ी संख्या में निजी कंपनियों को इसमें शामिल किया.
सारे सवाल, जवाब, आरोप, सफाई संसद के बजाय मीडिया के जरिए दिए जा रहे हैं. क्या यह सही परंपरा है?
संसद में किसी मुद्दे पर बहस कर उसे भूल जाने से अक्सर कोई नतीजा नहीं निकलता. इसीलिए मैंने कहा कि कुछ असाधारण मामलों में संसद में अवरोध पैदा करके सरकार पर कहीं ज्यादा बड़ा नैतिक दबाव बनाया जा सकता है.