राबड़ी और तेजस्वी के खिलाफ चार्जशीट ने लालू की बढ़ाई मुश्किलें

ऐसा लगता है कि परेशानियाँ  बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का साथ नहीं छोड़ रही हैं।

एक तरफ झारखंड हाई कोर्ट ने लालू यादव के मेडिकल ग्राउंड पर पेरोल बढ़ाने से इंकार कर दिया है और झारखंड हाईकोर्ट ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री को 30 अगस्त तक सरेंडर करने का आदेश दिया है।

वहीं दूसरीओर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को भारतीय रेल पर्यटन एवं खानपान निगम (आइआरसीटीसी) होटल आवंटन मनी लांड्रिंग मामले में राजद प्रमुख, उनकी पत्‍‌नी राबड़ी देवी और छोटे बेटे तेजस्वी यादव के खिलाफ अपनी पहली चार्जशीट दायर की।

रिपोर्ट्स के मुताबिक़ प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत नई दिल्ली स्थित एक विशेष अदालत के समक्ष दाखिल आरोप पत्र में इनके अलावा लालू के करीबी प्रेमचंद गुप्ता, उनकी पत्‍‌नी सरला गुप्ता, लॉरा प्रोजेक्ट्स नाम की एक कंपनी और दस अन्य को नामजद किया गया है।

चार्जशीट में ईडी ने आरोप लगाया है कि संप्रग-एक सरकार में रेल मंत्री रहने के दौरान 2004 में लालू यादव ने रेलवे के होटलों का आवंटन नियमों को ताक पर रख कर कराया।

विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार ने आईआरसीटीसी के दो होटलों के संचालन की जिम्मेदारी एक निजी कंपनी को सौंपने की प्रक्रिया में हुई कथित अनियमितताओं से जुड़े एक मामले में सभी आरोपियों से 31 अगस्त को अदालत में पेश होने को कहा।

जांच एजेंसी के अनुसार, पुरी और रांची स्थित रेलवे के दो होटलों के अधिकारों के सब-लीज कोचर बंधुओं की स्वामित्व वाली मेसर्स सुजाता होटल प्राइवेट लिमिटेड को दिए जाने में लालू यादव और आइआरसीटीसी अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग किया।

ईडी ने यह भी आरोप लगाया है कि होटल के सब-लीज देने के बदले कोचर बंधुओं ने लालू के करीबी प्रेमचंद गुप्ता के परिवार की कंपनी मेसर्स डिलाइट मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड के नाम पटना के एक प्रमुख स्थान पर 358 डेसिमल जमीन फरवरी, 2005 में स्थानांतरित कर दी। गुप्ता की कंपनी को यह जमीन उस वक्त के सर्किल दरों से काफी कम कीमत पर बेची गई।

मामले में 16 अप्रैल को आरोपपत्र दाखिल करने के बाद सीबीआई ने कहा था कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं.

प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि काफी महंगी जमीन की स्वामित्व वाली डिलाइट कंपनी (अब लॉरा प्रोजेक्ट्स) धीरे-धीरे राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को ट्रांसफर कर दी गई।

कंपनी के शेयर को बहुत ही मामूली कीमत पर खरीद कर ऐसा किया गया। राबड़ी की ओर से शेयरों की खरीद के लिए इस्तेमाल किए गए धन पर भी जांच एजेंसी ने सवाल उठाया है। उसका आरोप है कि तेजस्वी ने जिनसे शेयर खरीदे थे, उन लोगों ने वह शेयर अपने पास होने से इन्कार किया है।

पिछले सप्ताह ही खबर आई थी कि आईआरसीटीसी मामले में रेलवे ने अपने एक वरिष्ठ अधिकारी और वर्तमान में रेलवे बोर्ड के अतिरिक्त सदस्य बी. के. अग्रवाल के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है।

अग्रवाल के ख़िलाफ़ मुक़दमा की अनुमति मिल जाने से इस मामले में तीन महीने पूर्व दायर चार्ज शीट पर अब कोर्ट संज्ञान ले सकता हैं।