मुंबई की सीली हवा में इन दिनों रानी मुखर्जी के बारे में तरह-तरह की चर्चाएं हैं. उनके दिन लद गए, उनमें अब वह बात नहीं रही, उन्होंने आदित्य चोपड़ा के साथ शादी कर ली है, वे भी रेखा की तरह अपनी ही दुनिया में सिमट गई हैं वगैरह वगैरह.
क्या सच है और क्या झूठ इसकी थाह लेने के लिए हम रानी से मिलने की सोचते हैं. मगर वे उन अभिनेत्रियों में से नहीं जो कहीं भी आपसे टकरा जाएं और फिर आपके साथ बात करने लगें. इसलिए पहले हमें कुछ हफ्ते फोन पर खर्च करने पड़ते हैं. इधर-उधर से की गई कुछ कोशिशों और कई फोन कॉलों के बाद आखिर में मुलाकात का दिन तय हो जाता है.
इस दिन मूसलाधार बारिश हो रही है. रानी का फोन आता है कि वे तय वक्त से देर से पहुंचेंगी. मौसम का मिजाज ऐसा है कि आपके मन में वही सवाल उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं. मसलन क्या अफेयरों में लगातार मिली असफलता ने रानी को अपनी ही दुनिया में सीमित कर दिया होगा? या कहीं ऐसा तो नहीं कि बॉक्स ऑफिस पर लगातार ढेर हुई फिल्मों ने उन्हें अवसाद की तरफ धकेल दिया हो?
‘स्टार का मतलब यही है कि आपकी जिंदगी पर हमेशा रहस्य की एक चादर लिपटी रहनी चाहिए’
लेकिन आदमकद शीशों और शानदार कालीनों से सजे जुहू के अपने भव्य फ्लैट में रानी जब हमसे मिलती हैं तो ऐसा कुछ नहीं लगता. उनकी ट्रेडमार्क 100 वॉट की मुस्कान अपनी जगह मौजूद है. हालांकि आप पर लगातार जमी उनकी हल्की भूरी आंखें आपको जब-तब असहज करती रहती हैं.
ये वही रानी हैं जिनके बारे में जानने के लिए टेबलॉयड बेकरार हैं कि कहीं से उन्हें गहरे दुख में बताती कोई खबर मिल जाए. मगर यहां तो ऐसा कुछ नहीं लगता बल्कि वे पहले से कहीं बेहतर लग रही हैं. 32 साल की इस अभिनेत्री ने योग को अपनी जीवनशैली में शामिल कर लिया है जिसकी बदौलत वे खासी छरहरी नजर आ रही हैं. उन्होंने शॉर्ट स्कर्ट पहनी हुई है और न के बराबर मेकअप के बावजूद उनकी शख्सियत का शाही अंदाज बरकरार है.
40 और 50 के दशक की मशहूर अमेरिकी फिल्म अभिनेत्री लॉरेन बकॉल ने कभी कहा था, ‘मैं बीत चुकी चीज नहीं हूं. मैं वह चीज हूं जिसे अभी घटित होना है.’ रानी ने ये लाइनें शायद ही कहीं पढ़ी हों. उन्हें पढ़ने का शौक जो नहीं. कई बड़ी हीरोइनों के उलट, जो अपनी पढ़ने की आदत के बारे में बताते नहीं अघातीं, रानी कहती हैं, ‘मैं कम ही पढ़ती हूं. मुझे किताबों की गंध से एलर्जी है. सच में!’
अब वे खुलकर बात करने लगी हैं. लेकिन यह खुलकर सवाल पूछने का आमंत्रण नहीं है. दरअसल, रानी से बात करते हुए आपको हमेशा यह महसूस होता रहता है कि उन्होंने अपने आसपास एक लक्ष्मण रेखा खींच रखी है. वे इसे पार नहीं करतीं और आपके लिए भी यही बेहतर होता है कि आप अपने सवाल इसके दायरे की सीमा में ही रखें. फिर भी आप हिम्मत जुटाते हैं और उनसे उन अफवाहों के बारे में पूछते हैं जो उनके बारे में चल रही हैं और यह भी कि आखिर क्यों उन्होंने अपने जीवन पर विरक्ति की एक चादर-सी ओढ़ ली है.
हमें हैरत होती है जब रानी इन सवालों पर नाराजगी नहीं जतातीं. वे शोहरत के स्वभाव के बारे में बात करती हैं और इस पर भी कि पिछले 15 साल के दौरान इसमें क्या बदलाव आया है. थोड़ी नाराजगी और असहायता दिखाते हुए वे कहती हैं, ‘मैं इसका सारा दोष ट्विटर को देती हूं. अब हर किसी तक पहुंचना इतना आसान है. आज स्टार खुद को बिलकुल अलग तरह से मैनेज करते हैं. उनकी जिंदगी का हर दिन एक तय शेड्यूल में बंधा हुआ है. वे मीडिया को अपने बारे में खबरें देते हैं. और दूसरे स्टार्स के बारे में भी! किसी स्टार ने नया फोन ले लिया, कोई सेट पर बेहोश हो गया…ये सब चीजें खबर कब से बन गईं? जब मैं इंडस्ट्री में आई थी तो फिल्म पत्रकारिता का मतलब टेबलॉयड में छपने वाली खबरें नहीं था. स्टार का मतलब यही है कि आप किसी खास वक्त पर कुछ खास लोगों के लिए ही उपलब्ध हों. और आपकी जिंदगी पर हमेशा रहस्य की एक चादर लिपटी रहे. यही वजह है कि मैं जरा भी नहीं बदली हूं.’
उतार-चढ़ाव
हीरोइन या अभिनेत्री से कहीं ज्यादा रानी खुद को एक स्टार मानती हैं. जो लोग उन्हें पसंद नहीं भी करते वे भी यह बात तो मानेंगे ही कि आज वे एक स्टार हैं. उनकी शुरुआत फिल्म राजा की आएगी बारात से हुई थी जो बॉक्स ऑफिस पर डूब गई. फिर 1998 में उनकी पहली हिट फिल्म गुलाम आई जिसमें उन्होंने आमिर के साथ मुख्य भूमिका निभाई थी. इसके बाद आई वह फिल्म जिसने उन्हें स्टारडम दिया. यह थी करन जौहर की बतौर निर्देशक पहली फिल्म कुछ कुछ होता है जिसमें वे शाहरुख खान के साथ थीं. संजय लीला भंसाली की ब्लैक और मणिरत्नम की युवा के बाद वे शिखर पर थीं. लेकिन प्रतिभा और एक आम-सी खास लड़की जैसी छवि के बावजूद वे इस शिखर पर ज्यादा दिन ठहर नहीं पाईं. फिल्में फ्लॉप होने लगीं. बाकी की कसर शादीशुदा आदित्य चोपड़ा के साथ उनके रोमांस की खबरों ने पूरी कर दी. इस सबके दौरान रानी ने चुप्पी साधे रखी. उनकी तरफ से कोई बयान नहीं आया. इससे एक और अफवाह चल पड़ी कि काफी समय से रानी को सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है.
हम उनसे पूछते हैं कि क्यों उन्होंने अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की. जवाब में कुछ समय तक उनके चेहरे पर एक उदासीनता का भाव रहता है और फिर थोड़ी ही देर पहले मग से निकाले गए गर्म पानी का एक घूंट भरने के बाद वे कहती हैं, ‘शायद मैं हर हफ्ते एक स्पष्टीकरण नहीं दे सकती थी. यह मेरे स्वभाव में ही नहीं है कि मैं किसी पत्रकार को फोन करूं और कहूं कि आपने मेरे बारे में यह क्यों लिखा. मैं यकीन के साथ कह सकती हूं कि इससे निर्देशक मायूस हो गए होंगे और इसीलिए शायद उन्होंने मुझे फिल्में नहीं दीं. रहा सवाल शादी का तो जब यह होगी तो मैं खुद सारी दुनिया को बता दूंगी.’ इंडस्ट्री में उनके दोस्त कौन हैं, इसके जवाब में रानी कहती हैं, ‘दोस्ती बहुत जटिल शब्द है. वास्तव में मेरे दोस्त कौन हैं इसे बारे में तो मैं आपको तभी बता सकती हूं जब मैं बूढ़ी हो जाऊंगी और मेरे बच्चे मुझे छोड़ चुके होंगे. तब जो लोग मेरे साथ होंगे वही मेरे सच्चे दोस्त होंगे.’
रानी के साथ काम कर चुके कई फिल्मकार भी बताते हैं कि वे शुरू से ही ज्यादा बातचीत से परहेज करती रही हैं. निर्देशक कुणाल कोहली की मानें तो रानी की लक्ष्मण रेखा कोई नई घटना नहीं है लेकिन चूंकि फिलहाल उनके दिन सही नहीं चल रहे इसलिए इसकी चर्चा हो रही है. रानी कहती हैं, ‘जब आप चोटी पर होते हैं तो लोग चाहते हैं कि आप गिरें और वे ऐसा करने के लिए कुछ भी कहेंगे.’ फिल्म पत्रकार खालिद मोहम्मद कहते हैं, ‘मशहूर होने के बाद वे ज्यादा ही घमंडी हो गई थीं और इसी वजह से उनका पतन हुआ. प्रसिद्धि आपके सिर पर नहीं चढ़नी चाहिए.’ हालांकि दूसरे लोग उनसे सहानुभूति जताते हैं. मसलन पत्रकार रऊफ अहमद, जिन्हें रानी ने अपना पहला इंटरव्यू दिया था, कहते हैं, ‘मीडिया क्रूर होता है. अगर आपने एक बार भी गलती की तो लोग आपको बुरी तरह धक्का दे देते हैं. आदित्य चोपड़ा के साथ उनके अफेयर की अफवाह ने उनका काफी नुकसान किया.’
मगर रानी दुखी नहीं हैं. वे आहत जरूर हैं. उनकी आंखों में हार न मानने और लोगों को गलत साबित करने का एक दृढ़ निश्चय दिखता है, वे कहती हैं, ‘सिर्फ यह साबित करने के लिए कि मैं अभी भी वजूद में हूं, मुझे कई फिल्में साइन करने की जरूरत नहीं है, भले ही मेरे करियर का यह शायद सबसे मुश्किल दौर हो.’
सीधी बात
जेसिका लाल हत्याकांड पर आधारित राजकुमार गुप्ता की फिल्म नो वन किल्ड जेसिका में रानी एक टीवी पत्रकार की भूमिका निभा रही हैं. अगर दमदार भूमिका मिले तो क्या वे लीड के अलावा कोई और रोल भी कर सकती हैं? दूसरों के उलट वे सीधे-सीधे कहती हैं, ‘सवाल ही नहीं होता.स्टार हमेशा स्टार होता है. मैं जो भी रोल करूंगी वही लीड हो जाएगा.’
आज भले ही उनके पास सिर्फ एक फिल्म है पर उन्हें इसकी परवाह नहीं. इसकी भी नहीं कि जो वे कह रही हैं उससे कहीं किसी को बुरा न लग जाए. वे हर बात बेलागलपेट कह देती हैं और इसीलिए उनसे बात करते हुए जरा सावधान रहना पड़ता है. l