राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाई तो राहुल की योजना की सफलता संभव : अर्थशास्त्री

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ”न्याय योजना” जिसमें देश के २५ करोड़ गरीबों को सालाना ७२,००० रूपये देना सुनिश्चित करने का ऐलान किया गया है को लेकर  उठाये हैं और आर्थिक विशेषज्ञों ने अपने-अपने मत दिए हैं। हालांकि, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर अरुण कुमार का कहना है कि यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति होगी तो हमारी अर्थव्यवस्था से इतना पैसा निकलना संभव है। याद रहे राहुल गांधी की घोषणा के मुताबिक इस योजना का पैसा महिलाओं के खाते में जमा होगा।
गौरतलब है कि इस योजना पर करीब ३.६० लाख करोड़ का खर्च होने की सम्भावना है। प्रो अरुण कुमार का कहना है कि ३. ६० लाख करोड़ रुपया हमारी जीडीपी का १.८   फीसदी है और मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाकर अर्थव्यवस्था से इतना पैसा निकाला जा सकता है। उनके मुताबिक नोटबंदी और जीएसटी का अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है और गरीबी गहराई है जिसकी चिंता सबको है। यही वजह रही कि केंद्र सरकार ने छोटे और सीमांत किसानों को सालाना ६,००० रुपये की समर्थन राशि देने के लिए ७५,००० करोड़ की घोषणा अपने बजट में की।
अरुण कुमार के मुताबिक ”न्याय योजना” के लिए पैसा जुटाना सबसे बड़ी बात होगी।
उन्होंने कहा – कुछ दिन पहले यह रिपोर्ट आई थी कि देश के सबसे अमीर नौ लोगों के पास देश की ५५ फीसदी दौलत है। भारत में करीब १५० अरबपति हैं, जो जापान से भी ज्यादा है हालाँकि वहां की प्रति व्यक्ति आय भारत से ३० गुना है। इस लिहाज से देखा जाए तो देश में आर्थिक असमानता लगातार बढ़ी है। सरकार चाहे तो। .५  फीसदी वेल्थ टैक्स लगाकर १ ५० लाख करोड़ रुपये इस योजना के लिए निकाल सकती है।
प्रोफेसर कुमार का कहना है कि टैक्स में छूट हमारी जीडीपी का छह फीसदी यानी ५-६ लाख करोड़ रुपए है। ”इसे खत्म तो नहीं लेकिन कुछ कम किया जा सकता है। केलकर कमेटी की रिपोर्ट में भी यही कहा गया था कि सरकार टैक्स रेट कम करे और टैक्स में छूट घटाए। ऐसा करने पर कम से कम एक लाख करोड़ जुटाए जा सकते हैं।  केंद्र सरकार ने पहले से ही गरीब किसानों के लिए ७५,००० करोड़ का प्रावधान कर रखा है, इसे भी इसमें शामिल किया जा सकता है। लिहाजा, अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो योजना के लिए पैसे जुटाए जा सकते हैं और इसका वित्तीय घाटे पर कोई प्रभाव भी नहीं पड़ेगा।”
राहुल गांधी की न्याय योजना से अर्थव्यवस्था पर प्रभाव को लेकर अरुण कुमार का कहना है कि इस योजना के लागू होने लोगों की क्रय शक्ति बढ़ेगी जिसकी वजह से थोड़ी बहुत महंगाई भी बढ़ सकती है। ”लेकिन इसका सकारात्मक प्रभाव यह पड़ेगा कि किसानों को उनकी फसल का सही दाम मिलना भी शुरू हो जाएगा जो अभी नहीं मिल रहा है। इसके साथ ही सुस्त पड़े छोटे-मझोले उद्योगों की गति भी बढ़ेगी।  जिससे रोजगार भी बढ़ेगा और सरकार का टैक्स कलेक्शन भी बढ़ेगा।”