यस बैंक पर पाबंदी अच्छे संकेत तो नहीं

देश की अर्थव्यवस्‍था की हालत सही नहीं है, यह तो पिछले काफी समय से हमारे सामने है। नोटबंदी के बाद से हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। सबसे ज्यादा बोझ बैंकों पर ही पड़ा है और उन्हीं पर ही दबाव है। यहां तक कि रिजर्व बैंक पर भी अच्छा खासा दबाव है। इन सबके बावजूद जल्द सुधरते हालात नहीं नजर आ रहे हैं। अब ताजा मामला देश के निजी क्षेत्र के चौथे सबसे बड़े बैंक पर  केंद्रीय बैंक यानी रिजर्व बैंक की ओर से पाबंदी लगाए जाने का सामने आया है। यानी इसका मतलब ये है कि जिस भी ग्राहक का बैंक का खाता यस बैंक में है, वह महीने में 50 हजार रुपये से अधिक नहीं निकाल पाएगा। सरकार और रिजर्व बैंक से लाख सफाई आने के बावजूद ग्राहकों का भरोसा वापस आना मुश्किल ही लग रहा है।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है ‌कि यस बैंक को बचाने के लिए सरकार और आरबीआई मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने हर खाताधारक को भरोसा दिलाया कि उनका पैसा सुरक्षित है। सरकार बैंक के लिए जल्द ही रिजॉल्यूशन प्लान लेकर आएगी। सीतारमण ने कहा कि पिछले दो महीनों से वह खुद स्थिति को देख रही हैं। निर्मला बोलीं, वह आरबीआई से बात करेंगी कि यस बैंक के जमाकर्ताओं को नकदी की समस्या का सामना न करना पड़े। साथ ही कम से कम एक साल के लिए बैंक में काम करने वालों की नौकरी न जाए, यह सुनिश्‍चित किया जाएगा।

शेयर बाजार में यस बैंक के शेयर धड़ाम हुए हैं। बीएसई और एनएसई दोनों में हाहाकार मच गया। इतना ही नहीं, बैंक को एसबीआई में मर्ज करने की बात की जा रही है तो एसबीआई के भी शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। निजी क्षेत्र के बैंक में गड़बड़ी के बारे में जांच एजेंसियों को भी मालूम है। कर्ज के जोखिम भरे फैसलों का पता चलने के बाद रिजर्व बैंक ने यस बैंक प्रबंधन में बदलाव पर जोर दिया था।

2004 में बने इस निजी बैंक के संस्‍थापक राणा कपूर भी बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं। पीएम मोदी की नोटबंदी के ऐलान को उन्होंने मास्टर स्ट्रोक करार दिया था। इसके अलावा उन्होंने ही  भारत के सबसे पहले 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्‍था हासिल करने की बात कही थी। यस बैंक ने अनिल अंबानी, एसेल ग्रुप, डीएचएफएल, वोडाफोन जैसी कंपनियों को लोन दिया जो डिफॉल्ट हुए हैं।

समाधान जल्द कर लिया जाएगा : आरबीआई गर्वनर

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि बैंक से जुड़े मुद्दों का समाधान जल्दी कर लिया जाएगा। इसके लिए 30 दिन की समय सीमा तय की गई है। रिजर्व बैंक इस दिशा में जल्द कार्रवाई करेगा। उन्होंने कहा कि यस बैंक पर रोक लगाने का निर्णय किसी एक इकाई को ध्यान में रखकर नहीं किया गया है। यह निर्णय देश के बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली की सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखने के लिए किया गया है। वहीं, भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि यस बैंक की समस्या सिर्फ उससे जुड़ी है, यह पूरे बैंकिंग सेक्टर की समस्या नहीं है। स्टेट बैंक ने कहा है कि यस बैंक मामले में निवेश के सभी विकल्प खुले हुए हैं। उन्होंने ये भी कहा कि ग्राहकों चिंता करने की जरूरत नहीं है।