‘मोदी ईमानदार हैं तो लोकायुक्त की नियुक्ति क्यों नहीं कर रहे’

आप गुजरात के पुराने नेता हैं, लेकिन आपकी पार्टी की उम्र चार महीने से थोड़ी ही अधिक है. ऐसे में यह 11 साल से सत्ता में जमे नरेंद्र मोदी को कितनी चुनौती दे पाएगी?
बतौर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के पास अब आखिरी के कुछ दिन बचे हैं. अभी वे लंबे-चौड़े दावे कर रहे हैं लेकिन 20 दिसंबर को उन्हें और उनके पक्ष में अभियान चलाने वाले सभी लोगों को पता चल जाएगा कि गुजरात पर राज करने के उनके दिन अब गए. मैं अपने लंबे राजनीतिक अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि भाजपा यह चुनाव हार रही है और नरेंद्र मोदी अब गुजरात के मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे.
लेकिन सारे चुनाव सर्वेक्षणों और आम लोगों से हो रही बातचीत के आधार पर तो यही लग रहा है कि नरेंद्र मोदी एक बार फिर जीतने वाले हैं.
चुनाव सर्वेक्षण के नतीजे कैसे तय किए जाते हैं, यह हम जैसे राजनीतिक व्यक्ति को भी पता है और मीडिया में काम करने वाले आप जैसे लोगों को भी. इस पर मैं ज्यादा विस्तार से नहीं बोलूंगा. लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि इस तरह के सर्वेक्षण से गुजरात की जनता गुमराह नहीं होने वाली है. रही बात आम लोगों की तो उनमें मोदी सरकार को लेकर काफी गुस्सा है. आज हर तरफ सवाल उठ रहे हैं. अगर इतना ही भाजपा और मोदी को समर्थन मिल रहा होता तो भाजपा की रैलियों में इतनी कम संख्या क्यों दिख रही है.

तो आपके हिसाब से इस बार गुजरात चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले होंगे?
निश्चित तौर पर. हम लोग पूरे प्रदेश में घूम रहे हैं और लोगों में गुस्सा साफ तौर पर देख रहे हैं. प्रदेश में ऐसे मतदाताओं की बड़ी संख्या है जो मोदी से मुक्ति तो चाहते थे लेकिन कांग्रेस के पाले में भी नहीं जाना चाहते थे. अब उनके पास गुजरात परिवर्तन पार्टी का विकल्प है. इसलिए नतीजे चौंकाने वाले होंगे.

लेकिन लोग तो यह मानते हैं कि मोदी ने प्रदेश का काफी विकास किया है. फिर वे आपको क्यों वोट देंगे?
मोदी को मैं बहुत लंबे समय से जानता हूं. वे किसी भी चीज को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने में माहिर हैं. उन्होंने अपने कार्यों का प्रचार अपने ढंग से कराने के मकसद से सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च किए हैं. इसलिए हर तरफ यह कहा जाता है कि मोदी ने काफी विकास किया है. लेकिन अगर आप बड़े शहरों से निकलकर आदिवासी और ग्रामीण इलाकों में जाएं तो हकीकत का आपको अहसास हो जाएगा. आदिवासी इलाकों में कुपोषण आज भी एक बहुत बड़ी समस्या है. किसी ने अध्ययन करके बताया है कि इस वजह से उन इलाकों के लोगों की औसत आयु दस साल घट गई है. दरअसल, मोदी ने आम आदमी की कीमत पर औद्योगिक विकास किया है. इसका फायदा बड़े कॉरपोरेट घरानों को मिला है. छोटे व्यापारी भी परेशान हैं. छोटे व्यापारियों से इस चुनाव में धनदान के नाम पर 550 करोड़ रुपये की वसूली भाजपा ने की है.

नरेंद्र मोदी के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने गुजरात को भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश बनाया है. तो फिर जनता उन्हें ही क्यों न एक बार फिर प्रदेश की बागडोर सौंपे?
मैंने आपको बताया कि ये सब बातें नरेंद्र मोदी के कुशल प्रचार प्रबंधन की वजह से की जाती हैं. मोदी के राज में भ्रष्टाचार घटने के बजाय बढ़ा है. जिस सीएजी की रिपोर्ट पर भाजपा संसद नहीं चलने देती और केंद्रीय मंत्रियों के इस्तीफे की मांग करती है उसी सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि गुजरात में 46,000 करोड़ रुपये की गड़बड़ी हुई. नरेंद्र मोदी ने बड़ी चतुराई से इस रिपोर्ट को आखिरी विधानसभा सत्र के अंतिम दिन सदन के पटल पर रखा. उन्हें पता था कि विधानसभा अब मिलने वाली नहीं इसलिए उन्होंने ऐसा किया. इस मसले पर मोदी सफाई क्यों नहीं दे रहे हैं? अगर मोदी और उनकी सरकार इतनी ही ईमानदार होती तो पिछले नौ साल से गुजरात में लोकायुक्त की नियुक्ति क्यों नहीं हुई. जब मैं मुख्यमंत्री था तो लोकायुक्त के पास मेरे खिलाफ शिकायत गई थी जो जांच के बाद बेबुनियाद निकली. लेकिन मोदी में तो जांच का सामना करने की भी हिम्मत नहीं, इसलिए वे लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं कर रहे.

भाजपा के नेता ऑफ द रिकॉर्ड यह कहते हैं कि केशुभाई अपनी पार्टी को तो जीता नहीं पाएंगे लेकिन कुछ सीटों पर भाजपा का खेल खराब कर देंगे. तो क्या आप जीतने के लिए नहीं खेल बिगाड़ने के लिए मैदान में हैं?
नहीं, ऐसा नहीं है. हम जीतने के लिए चुनाव में उतरे हैं. भाजपा के जो नेता यह कह रहे हैं कि गुजरात परिवर्तन पार्टी सीटें नहीं जीतेगी, वे जमीनी हकीकत से अनजान हैं. जब रेलगाड़ी चलती है तो फिर यह नहीं देखती कि पटरी पर कौन है. वह चलती ही जाती है.

क्या चुनाव के बाद कांग्रेस से किसी तरह के तालमेल की कोई संभावना है?
नहीं. गुजरात परिवर्तन पार्टी खुद अपने बूते बहुमत हासिल करेगी.

यह सिर्फ दावा है या फिर जमीनी हकीकत से इसका कोई मेल है?
मैंने आपको पहले ही बताया कि आखिर क्यों गुजरात के लोग मोदी से नाराज हैं. हमने जहां-जहां सभा की वहां भारी संख्या में लोग आए. अहमदाबाद की सभा में डेढ़ लाख से अधिक लोग आए. ये लोग सिर्फ आ नहीं रहे बल्कि हमें वोट भी देंगे.