भाजपा में आपका जाना और आना बहुत जल्द हो गया. अब आगे क्या करेंगे?
मैं पूरी तरह से स्तब्ध हूं. इतनी बड़ी एक राष्ट्रीय पार्टी थी. मैंने सोचा था कि पार्टी के साथ लगकर सालों-साल से दोनों समुदायों के बीच जो लाइन खिंची हुई है उसे खत्म करूंगा. लेकिन अभी मैंने भविष्य के बारे में कुछ नहीं सोचा है.
मुख्तार अब्बास नकवी ने आपके ऊपर बेहद संगीन आरोप लगाए हैं. इस पर आप क्या कहेंगे?
इतने सालों से भाजपा में रहकर भी ये एक आदमी को भाजपा के साथ जोड़ नहीं सके. ये बिना जमीन और बिना जमीर के नेता हैं. इन्हें इस बात का डर सता रहा था कि अगर कोई जमीनी नेता पार्टी में आ जाएगा तो इनकी दुकान बंद हो जाएगी. पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं ने मुझे भरोसा दिया था. जो आरोप लगा रहे हैं उनकी दिक्कत ये है कि सालों तक ये मुसलमानों को भाजपा से जोड़ नहीं सके.
अब आपकी पत्नी भी नकवी के आवास के सामने धरने पर बैठ गई हैं. आपकी मांग क्या है?
सीधी सी बात है, अब तो मैं पार्टी में हूं नहीं. मैंने तो उसी दिन चुनौती दी थी कि या तो अपने आरोप सिद्ध करें या फिर 72 घंटों के भीतर माफी मांगें. पर ये साब मुंह छिपाकर बिल में घुस गए हैं. कहां हैं. अगर आप किसी के ऊपर आरोप लगा रहे हैं तो आपके पास उसे साबित करने के लिए सबूत भी होंगे. मैंने तो कहा कि आप बहस-मुबाहिसा कर लीजिए, आमने-सामने बैठकर मुझसे बात कर लीजिए. पर आप तो मुंह छुपाकर बैठे हैं. दम है तो रूबरू होकर बात करिए. आप देखिए कि मैं राज्यसभा का सदस्य हूं और इस देश की एजेंसियां कितनी नकारा है कि जिस देशद्रोही की खबर नकवी साब को है उसके बारे में एजेंसियों को कोई खबर ही नहीं है. महज 10 दिन पहले वे (मुख्तार अब्बास नकवी) मुझसे एयरपोर्ट पर मिले थे. मेरी खुलकर बातचीत हुई थी. मैंने अपनी मंशा उनके सामने रखी थी. तब उन्हें कोई दिक्कत नहीं थी. इन 10 दिनों के दरम्यान भी उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई. ऐन जिस दिन मैंने पार्टी ज्वाइन की उसी दिन उनके पेट में दर्द हुआ. वे डरे हुए हैं.
पर आपके ऊपर आरोप लगते रहे हैं, मसलन भटकल के साथ ताल्लुकात की खबरें भी आपको पार्टी से निकाले जाने की एक महत्वपूर्ण वजह बताई गई.
दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है भटकल से मेरा. है कोई सबूत किसी के पास तो उसे मेरे सामने रखिए. मैं सार्वजनिक जीवन से संन्यास ले लूंगा. पर ये हवा-हवाई आरोप लगाकर आप किसी के राजनीतिक जीवन पर कीचड़ नहीं उछाल सकते. जाने कहां की पैदावार है भटकल. मुझे तो पता भी नहीं ऐसे किसी शख्स के बारे में. मैंने तो इस पार्टी में कभी काम किया नहीं है. मुझे नहीं पता कि यह पार्टी कैसे काम करती है.
जो आरोप आपको भाजपा में लेने के बाद लगाए गए वे तो काफी पुराने हैं. तो क्या पार्टी की निगाह में वे पहले से नहीं थे? किन लोगों से पार्टी में आपकी बात हुई थी?
पार्टी के सभी बड़े नेताओं के साथ मेरी बात हुई थी. किसी को मुझे पार्टी में शामिल करने पर कोई आपत्ति नहीं थी. मेरे ऊपर कोई आरोप है ही नहीं.
आपके ऊपर आरोप है कि गुलशन कुमार की हत्या से आपके तार जुड़े हुए हैं. यह क्या मामला है?
मेरी मुंबई में ट्रैवेल एजेंसी थी. वहां 40 से ज्यादा कर्मचारी काम करते थे. मेरी एजेंसी से तीन लोगों का टिकट कटवाया गया था. उन लोगों के ऊपर हत्या के षडयंत्र में शामिल होने का आरोप था. उन्हीं के साथ मुझे भी गिरफ्तार किया गया था. पर वे सारे लोग बरी कर दिए गए. मैं भी बाइज्जत बरी हो गया था.
आपके ऊपर यह आरोप भी लग रहा है कि जितनी कम उम्र और सामान्य सी पढ़ाई-लिखाई के बावजूद थोड़े से समय में जितनी तरक्की आपने की उसके पीछे दाउद इब्राहिम का हाथ था.
जो लोग हमारी पढ़ाई-लिखाई की बात कर रहे हैं आकर मुझसे बात कर लें. उन्हें पता चल जाएगा. मेरी उम्र 44 साल है. मैंने अपने जीवन के 26 साल मुंबई में गुजारे हैं. इतने साल मुंबई में काम करने के बाद मैं 10-20 करोड़ रुपए भी नहीं कमा सकता. क्यों? क्या मुसलमान इस देश में 10-20 करोड़ भी नहीं कमा सकता अपनी मेहनत से? कोई रिलायंस से पूछता है कि चालीस साल में उन्होंने हजारों करोड़ का साम्राज्य कैसे खड़ा कर लिया?
आपने नीतीश कुमार का साथ क्यों छोड़ दिया?
नीतीश कुमार ने हमसे वादा किया था कि वे राज्यसभा में भेजेंगे. पर बाद में उन्होंने मुझे धोखा दिया. मैं इतनी सारी मेहनत करूं, रुपया-पैसा भी लगाऊं और चुनाव हार जाऊं तो क्या फायदा. जब उन्होंने वादा करके मुझे धोखा दे दिया तो मैं कैसे उनके ऊपर विश्वास करूं. तो मैंने भी मौका देखकर अपने लिए बेहतर फैसला कर लिया.
तो क्या भाजपा ने भी आपसे कोई वायदा किया था?
देखिए मुझे राजनीति करनी है. बिहार में तीनों पार्टियां एक-एक नेताओं की जेब में हैं. जदयू नीतीश की जेब में है, शरद यादव की वहां क्या हैसियत है? इसी तरह लालू यादव और रामविलास पासवान भी हैं. भाजपा एक राष्ट्रीय पार्टी है. मुझे उम्मीद थी कि उनके साथ जुड़कर मैं मुसलमानों को भाजपा से जोड़ने की दिशा में काम कर सकूंगा. पर कुछ लोगों को शायद यह मंजूर नहीं है