मुंबई में नेतागीरी के दम पर कालाबाज़ारी

के. रवि (दादा)

एक युवक उत्तर प्रदेश से वर्ष 2004 में मुंबई आता है और ठीक 19 साल में न सिर्फ़ करोड़पति बन जाता है, बल्कि सोने और डायमंड के मुंबई के व्यापार में उसका पूरा दबदबा हो जाता है। दबदबा इतना कि उसकी बिना मर्ज़ी के कोई सोने और डायमंड का बड़ा व्यापारी अपना धंधा नहीं कर पाता है। यह युवक कोई और नहीं, बल्कि मोहित कंबोज नाम का भाजपा नेता है। अभी कुछ महीने पहले ही एक ख़बर सामने आयी थी कि सोने और डायमंड के कुछ व्यापारियों में से एक व्यापारी ने सरकार की राजस्व न चुकाकर भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से क़रीब 3,00,000 करोड़ रुपये की सम्पत्ति बना है और आज़ाद घूम रहा है। कालाबाज़ारी करने में ऐसे जितने लोग सफल हो रहे हैं, उनको मोहित कंबोज जैसे नेताओं की शह मिली है, जो अपना हिस्सा लेकर कालाबाज़ारी करने वाले सोने और डायमंड के व्यापारियों की भ्रष्ट अधिकारियों और भ्रष्ट नेताओं से पैठ कराते हैं।

अभी हाल ही में मुंबई की एक अदालत ने भाजपा नेता मोहित कंबोज और कई अन्य के ख़िलाफ़ धोखाधड़ी के मामले को बंद करने की सीबीआई की रिपोर्ट ख़ारिज की थी। मोहित कंबोज और इन दूसरे आरोपियों पर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के 103 करोड़ रुपये की गड़बड़ी करने का मामला चल रहा था, जिसे सीबीआई ने आरोपियों को जेल न भेजकर फाइल ही बंद कर दी। जैसे ही मामला मुंबई की एक अदालत में पहुँचा, तो अदालत की इंसाफ़ की परंपरा को निभाते हुए अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट जयवंत यादव ने इसे ख़ारिज कर दिया। मजिस्ट्रेट जयवंत यादव ने न्यायपूर्ण ढंग से 23 अक्टूबर के अपने फ़ैसले में कहा कि पहली नज़र में सभी आरोपियों के ख़िलाफ़ आपराधिक साज़िश, धोखाधड़ी और जालसाज़ी का मामला पूरी तरह से स्थापित होता है। मैं मानता हूँ कि भारतीय दंड संहिता की धारा-120(बी), 417, 420, 467, 468 और 471 के तहत दंडनीय अपराध किये गये प्रतीत होते हैं। इस मामले में की गयी जाँच भी पर्याप्त नहीं है। जाँच अधूरी है। आरोपियों के आपराधिक कृत्य से निपटने की ज़रूरत है। क्योंकि उन्होंने फ़र्ज़ी दस्तावेज़ तैयार करके एक राष्ट्रीयकृत बैंक को करोड़ों रुपये का चूना लगाकर सार्वजनिक धन का दुरुपयोग किया है। मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को ख़ारिज करके उचित जाँच करके उसकी रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

इस मामले में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की शाखा की ओर से बैंक के उप महाप्रबंधक पी.के. जगन ने टेनेट एक्जिम प्राइवेट लिमिटेड के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करायी थी। इस एफआईआर में कम्पनी के सीएमडी मोहित कंबोज के अलावा संचालक जितेंद्र कपूर, नरेश एम. कपूर, सिद्धांत आर. बागला, हितेश मिश्रा, रुद्राक्ष मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड (कॉर्पोरेट गारंटर), ललित व सुरेंद्र (चार्टर्ड अकाउंटेंट) और एक अन्य अज्ञात लोकसेवक का नाम दर्ज कराया गया। सूत्रों के अनुसार, आरोपियों ने दस्तावेज़ों के साथ छेड़छाड़ की, बैंक से क़र्ज़ लेने के लिए हेराफेरी के अलावा क़र्ज़ वापसी करने की नीयत न दिखाते हुए हेराफेरी की।

क़र्ज़ न लौटाने पर सीबीआई के पास मामला पहुँचा; लेकिन कुछ ही समय में इस मामले के आरोपियों को क्लीन चिट मिल गयी। इसके बाद बैंक ने कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया और अब यह मामला दोबारा खुलने की चर्चा है। रिपोर्टर के अनुसार, यह मामला तो क़र्ज़ का है, जिसमें धोखाधड़ी साफ़ दिख रही है। पर इसके अलावा मुंबई में डायमंड और सोने की कालाबाज़ारी के अलावा दूसरी विपक्षी पार्टियों के साफ़ छवि के नेताओं को आरोपित करने के कई मामले देखने को मिल रहे हैं। कुछ शिकायती सूत्रों के अनुसार, मोहित कंबोज के निशाने पर दो ही प्रकार के लोग इन दिनों मुंबई में रहते हैं- मुंबई के सोना और डायमंड व्यापारी, जिन्हें बिना ऐसे लोगों के सोने और डायमंड का व्यापार करना सम्भव ही नहीं लगता है और दूसरे वे नेता, जो मोहित कंबोज के बारे में बहुत कुछ जानते हैं और विपक्षी पार्टियों के हैं। मोहित कंबोज के बारे में कहा जाता है कि वह एक बार में कई-कई शिकार करते हैं। एक तो वह सोने और डायमंड के व्यापारियों के हर लेन-देन पर नज़र रखते हैं और उनके नंबर दो की कालाबाज़ारी में शरीक़ होते हैं, जिसके बदले मोहित कंबोज की जेब गर्म होती है। दूसरी ओर वह विपक्षी नेताओं और खुद के रहस्य जानने वालों का शिकार करते हैं।

रिपोर्टर के अनुसार, हालाँकि हमारा मक़सद किसी को दोषी ठहराना या बदनाम करना नहीं है। पर जो ख़बरें सामने आ रही हैं, पत्रकारिता से जुड़े होने के चलते हम वो बातें पाठकों के सामने रखकर इतना ही कहना चाहते हैं कि मुंबई में सोने और डायमंड की कालाबाज़ारी बहुत बड़े पैमाने पर हो रही है, जिसमें कई लोगों के काले चिट्ठे सरकार के सामने खुलने चाहिए और कालाबाज़ारी करने वालों के ख़िलाफ़ एक ईमानदारी वाली गहन जाँच होनी चाहिए; जिससे सोने और डायमंड की कालाबाज़ारी करने वाले व्यापारियों, उन्हें इस तरह के काम कराने वाले भ्रष्ट नेताओं और भ्रष्ट अधिकारियों के चेहरे से भी शराफ़त का मुखौटा उतर सके। इससे विश्व प्रसिद्ध मुंबई में सोने और डायमंड की बड़े पैमाने पर हो रही कालाबाज़ारी कुछ हद तो रुकेगी ही, साथ ही कई शरीफ़ दिखने वाले चेहरे बे-नक़ाब होंगे। इससे सोने और डायमंड के ईमानदार व्यापारी भी चैन की साँस ले सकेंगे, जिससे साथ ही समय-समय पर सरकार के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।