सम्भवता राहुल गाँधी का यह अब तक का सबसे प्रभावशाली भाषण है। आत्मविश्वास से भरा, जिसमें महाभारत थी, हिन्दू धर्म को परिभाषित करने का राजनीतिक रिस्क था, कांग्रेस के सत्ता में आने पर उनकी नीतियों की हल्की सी झलक थी, पार्टी में पैराशूट की राजनीति के खिलाफ और अनुशासन रखने की छिपी चेतावनी थी, प्रतिद्वंदी भाजपा को अपने डरपोक न होने का सन्देश था और कांग्रेस सदस्यों को बताने की कोशिश थी कि २०१९ का चुनाव कांग्रेस के लिए ऐसी ऊंचाई नहीं, जिसे वह छू न सके। कांग्रेस महाधिवेशन के अंतिम दिन अपने भाषण के जरिये एक ”नया राहुल” और ”नई कांग्रेस” नए कांग्रेस अध्यक्ष ने सामने राखी है। तय है कांग्रेस मैंने वाले दिनों में बड़े परिवर्तन होने वाले हैं।
भाजपा की तरफ से राहुल के भाषण के घंटे भर बाद ही भाजपा की वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने पार्टी की प्रतिक्रिया दी और इमरजेंसी और सिख दंगों के जरिये राहुल के भाषण के प्रभाव को धोने की कोशिश की, लेकिन सच यह है कि राहुल अपने भाषण से कम से आम कांग्रेस कार्यकर्ता और एक आम हिन्दुस्तानी को अपना सन्देश देने में सफल रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस में आम कार्यकर्ता के महत्व को उजागर किया और साफ़ सन्देश दिया है कि पार्टी में अब ससम्मान बुजुर्गों की जगह युवा आने वाले हैं।
उन्होंने कांग्रेस को ”पांडव” और ”भाजपा” को कौरव बताकर पार्टी की गांधीवादी छवि उजागर करने की कोशिश की। दो शिव मंदिरों में अपने जाने और पंडितों की बातों के जरिये हिन्दू धर्म में सहिषुणता को उजागर करने की कोशिश की। राहुल का यह राजनीतिक रिस्क था लेकिन उन्होंने लिया। दरअसल उन्होंने हिन्दू धर्म में सहिषुणता और असहिषुणता के बीच लकीर खींचने की कोशिश की। राहुल बताना चाहते हैं कि उनके नेतृत्व में कांग्रेस एग्रेशन, एरोगेंस की राजनीति नहीं करेगी। प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर राहुल ने सीधा और कड़ा हमला किया। यह बताने की कोशिश कि वे कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के लिए उनसे सीधी टक्कर को तैयार हैं।
राहुल ने बार-बार भाजपा को संघ से जोड़ा। यह सन्देश दिया कि देश में एक ख़ास विचारधारा सत्ता पर काबिज है। यह विचारधारा न्यायपालिका से लेकर हर संबैधानिक संगठन पर काबिज हो रही है और इससे आने वाले दिनों में एक बड़ा खतरा खड़ा होने वाला है। युवाओं, किसानों को अपने भाषण में फोकस किया और यही भी कहा कि कांग्रेस का स्टेज पार्टी ही नहीं पार्टी से बाहर के युवाओं के लिए भी है, वे आएं।
राहुल गांधी ने भाजपा, आरएसएस और पीएम नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला बोला। गांधी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से कहा कि 2019 का चुनाव उन्हें मिलजुलकर लड़ना है और इसके लिए वह नहीं चाहते कि पार्टी के अंदर कोई मनमुटाव हो। कहा कि कौरवों की तरह भाजपा और आरएसएस सत्ता के लिए लड़ रही है और कांग्रेस पांडवों की तरह सत्य के लिए लड़ रही है। कांग्रेस पार्टी पांडवों की तरह है। कहा कि जब यह जरूरी होता है कि किसी मुद्दे पर प्रधानमंत्री बोलें तो वह चुप हो जाते हैं। हम कांग्रेसी जनता के सेवक हैं। बेरोजगारी है, किसान मर रहे हैं और पीएम हमें इंडिया गेट पर योग करने को कहते हैं।
राहुल ने कहा कि भाजपा एक संगठन (आरएसएस) की आवाज है जबकि कांग्रेस देश की आवाज है। राहुल ने कहा कि महात्मा गांधी ने 15 साल जेल में बिताए और देश के लिए अपनी जान दे दी। भारत को यह नहीं भूलना चाहिए कि जब गांधी जेल में फर्श पर सो रहे थे तब सावरकर अंग्रेजों को खत लिखकर दया की भीख मांग रहे थे।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हम दुनिया की सबसे तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्था थे लेकिन आज युवा बेरोजगार हैं। नोटबांडी की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने (मोदी) नोटबंदी लागू कर दी। दुनिया ने कहा कि यह एक बड़ी गलती है। उन्होंने कभी अपनी गलती नहीं मानी। कांग्रेस होती तो मान लेती कि हां ये हमारी गलती थी और उसे ठीक करने के लिए काम करती। गलती इंसान से ही होती है लेकिन मोदी को लगता है कि वह भगवान के अवतार हैं उनसे गलती नहीं हो सकती है।
राहुल ने कांग्रेस में दो दीवारें गिराने की प्रतिज्ञा ली। कहा कांग्रेस पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच की दीवार तब नजर आती है जब कड़ी मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं को यह बोलकर टिकट देने से इनकार कर दिया जाता है कि उनके पास पार्टी टिकट के लिए पैसे नहीं हैं और उसकी जगह किसी और को टिकट दे दिया जाता है। यहां बैठे कई लोगों को मेरी यह बात बुरी लग सकती है लेकिन हमें यह दीवारें गिरानी हैं।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर सीधा हमला किया। कहा – वह (भाजपा) हत्या के आरोपी एक नेता को अपने अध्यक्ष के तौर पर स्वीकार कर सकती है लेकिन कांग्रेस पार्टी कभी स्वीकार नहीं करेगी क्योंकि जनता को पता है कि कांग्रेस का स्तर अच्छा है।
राहुल से पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए देश की इकॉनमी को बर्बाद करने का आरोप लगाया। मनमोहन ने कहा कि कश्मीर के हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। यही नहीं सीमा पार आतंकवाद से निपटने में भी लचर रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए मनमोहन ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में परिस्थितियां बिगड़ती जा रही हैं। सीमा पार आतंकवाद भी बढ़ा है और आंतरिक आतंकवाद में भी इजाफा हुआ है। यह हम सभी नागरिकों के लिए चिंता की बात है। मोदी सरकार इन समस्याओं से निपटने का कोई समाधान नहीं तलाश पाई।’ जम्मू-कश्मीर से संबंधित पक्षों से संवाद की वकालत करते हुए पूर्व पीएम ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। लेकिन हमें वहां की कुछ समस्याओं को भी समझना होगा और उनसे गंभीरता के साथ निपटना होगा। विदेश नीति को लेकर भी मोदी सरकार हमलवार मनमोहन सिंह ने कहा, ‘पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, चीन या नेपाल के साथ हमारी समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन इन्हें बातचीत से ही हल किया जा सकता है। पाकिस्तान की बात करें तो हमें मानना होगा कि वह हमारा पड़ोसी देश है। इसके साथ ही हमें उसे यह समझाना होगा कि आतंकवाद का रास्ता उसके लिए ठीक नहीं है।’
कांग्रेस के प्लेनरी सेशन में पीसीसी डेलिगेट और एआईसीसी के सदस्य मौजूदगी में कार्यसमिति के सदस्यों के चुनने के अधिकार पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को दिए जाने वाले प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास कर दिया गया है। अब जल्द ही कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों की नाम पर मुहर लगा सकते हैं। इसका मतलब साफ है कि राहुल अब अपनी टीम के सदस्यों के नाम खुद तय करेंगे। कांग्रेस कार्यसमिति पार्टी में अहम फैसले लेने वाली शीर्ष संस्था है। कांग्रेस की नई कार्यसमिति के सदस्यों के नाम चयन करने का अधिकार राहुल को सर्वसम्मति से सौंप दिया गया है। कार्यसमिति में कांग्रेस अध्यक्ष समेत कुल 25 सदस्य होते हैं जिनमें १२ मनोनीत होते हैं।