केंद्र सरकार ने मणिपुर हिंसा को लेकर मैतेई समुदाय से जुड़े कुछ कट्टरपंथी संगठनों पर बैन लगा दिया है। इनमें- पीपल लिबरेशन आर्मी, यूनाइटेड नेशनल फ्रंट, मणिपुर पीपल आर्मी पर 5 साल का बैन लगा दिया है।
इन सभी संगठनों को केंद्र सरकार ने ऐसी गतिविधियों में सम्मिलित पाया है जो गैर कानूनी है शांति के खिलाफ है और नुकसान पहुंचाने वाली हैं। इसलिए इन पर बैन लगाया गया है।
केंद्र सरकार ने ये कदम उठाने से पहले कई और कदम उठाए थे जिनमें ज्यादा से ज्यादा सेना और सीआरपीएफ के जवानों की तैनाती शामिल है। साथ ही जांच को सीबीआई को सौंपने का फैसला भी लिया गया था।
बता दें, पहले के मुताबिक अभी मणिपुर में हिंसा की स्थिति में थोड़ा सुधार है। किंतु पहले सीएम आवास के पास जिस तरह से कई मौकों पर प्रदर्शन हो चुके है व हथियारों को जब्त किया गया और उपद्रव मचाया गया वो बेहद चिंतित करने वाली स्थिति थी।
आपको बता दें, मणिपुर में तीन समुदाय है इनमें से दो पहाड़ो पर बसे है और एक घाटी में बसा है। मैतेई हिंदू समुदाय है और यह 53 फीसदी घाटी में रहता है। वहीं बाकी दो समुदाय- नागा और कुकी ये दोनों ही आदिवासी समाज से आते हैं और पहाड़ों में बसे हुए हैं। लेकिन मणिपुर हिंसा तब भड़की जब मणिपुर का एक कानून है जो कहता है कि मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में रह सकते हैं और उन्हें पहाड़ी क्षेत्रों में जमीन खरीदने का कोई अधिकार नहीं होगा। हाई कोर्ट ने एक टिप्पणी में कहा था कि राज्य सरकार को मैतेई समुदाय की इस मांग पर विचार करना चाहिए और हाई कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद से ही राज्य की सियासत में तनाव हुआ और विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए जिन्होंने हिंसा का रूप ले लिया।