भारत की गरिमा को लगे पंख

कई देशों में यूपीआई और रुपये के चलन को मिली मंज़ूरी से भारत का बढ़ेगा रुतबा

जी-20 की बैठक की तैयारियों के बीच भारत की गरिमा को पंख लग रहे हैं। हाल ही में भारत सरकार के ट्रांजैक्शन एप यूपीआई से लेन-देन करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने समझौता किया है। भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने द्विपक्षीय लेन-देन के समझौते में दोनों देशों की मुद्राओं (रुपये और दिरहम) के लेन-देन के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं, जिसमें कहा गया है कि दोनों देश संयुक्त अरब अमीरात के इंस्टेंट पेमेंट प्लेटफॉर्म (आईपीपी) और भारत के यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) का इस्तेमाल करेंगे। संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास और सेंट्रल बैंक ऑफ यूएई के गवर्नर ख़ालिद मोहम्मद बलामा ने इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।

बता दें कि संयुक्त अरब अमीरात से पहले भारत सरकार के इस एप के इस्तेमाल के लिए फ्रांस और श्रीलंका भी अपनी सहमति दे चुके हैं। फ्रांस और भारत के बीच यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के इस्तेमाल को लेकर हुए समझौते के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस में एक कला केंद्र में भारतीय मूल के लोगों से बात की थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस में रहने वाले भारतीयों से कहा था कि जल्द ही एफिल टॉवर के पास भी भारतीय पर्यटक यूपीआई का इस्तेमाल करते हुए रुपये में भुगतान कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि यूपीआई के इस्तेमाल के लिए फ्रांस से एक समझौता हुआ है, जिसकी शुरुआत एफिल टॉवर से होगी। बता दें कि साल 2022 में यूपीआई सेवा देने वाली संस्था नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने फ्रांस की तेज़ और सुरक्षित ऑनलाइन भुगतान प्रणाली लायरा के साथ समझौता किया था, जिससे दोनों देशों के बीच भारतीय और फ्रांस की मुद्रा को लेन-देन में इस्तेमाल किया जा सके।

फ्रांस में भारतीय मूल के लोगों से बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सन् 1981 में अहमदाबाद में फ्रांस के सांस्कृतिक केंद्र एलायंस फ्रैंकोइस सेंटर की शुरुआत हुई थी, जिसके वह (मोदी) पहले सदस्य बने थे। इस नाते फ्रांस से उनका लगाव का$फी पुराना है।

फ्रांस के अलावा श्रीलंका में भी भारतीय ट्रांजैक्शन एप यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) से लेन-देन को लेकर समझौता हो चुका है। श्रीलंका में यूपीआई के इस्तेमाल को मिली हरी झंडी के साथ भारत-श्रीलंका ने अपने आर्थिक सम्बन्धों और द्विपक्षीय सम्बन्धों को मज़बूती से आगे बढ़ाया है। श्रीलंका के साथ भारत के यूपीआई लेन-देन के लिए देश की राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की मौज़ूदगी में समझौते का आदान-प्रदान हुआ था।

श्रीलंका, फ्रांस, संयुक्त अरब अमीरात के अलावा सिंगापुर ने भी भारतीय ट्रांजैक्शन एप यूपीआई के इस्तेमाल को स्वीकृति दी है। भारत और सिंगापुर ने अपनी-अपनी भुगतान प्रणालियों यूपीआई और पेनाउ के दोनों देशों में इस्तेमाल के लिए फरवरी, 2023 में भारतीय रिजर्व बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ सिंगापुर के गवर्नरों ने समझौते पर हस्ताक्षर किये। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय रिजर्व बैंक के यूपीआई को बढ़ावा देने वाले $कदम से रुपये का विदेशों में चलन बढ़ेगा। अभी तक यूपीआई के इस्तेमाल को चार देशों ने समझौता किया है। ज़ाहिर है भविष्य में अन्य देश भी इसके लिए आगे बढ़ेंगे।

यूपीआई का इस्तेमाल अभी सिंगापुर, श्रीलंका, फ्रांस और संयुक्त अरब अमीरात में होगा। इन समझौतों से रुपये में ट्रांजैक्शन करने वाले उन भारतीयों को परेशानी नहीं होगी, जो विदेशों में रह रहे अपने परिजनों और रिश्तेदारों के साथ लेन-देन करने के अलावा विदेशों में घूमने और व्यापार करने जाते हैं। यूपीआई के अलावा इन चार देशों में इस्तेमाल होने वाले उनके एप्स का इस्तेमाल भारत में भी होगा, जिससे भारत आने वाले इन देशों के पर्यटकों को मुद्रा (करेंसी) को लेकर मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ेगा। केंद्र सरकार के देश की सीमा से बाहर विदेशों में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) को बढ़ावा देने वाले इस $कदम से यूपीआई के इस्तेमाल करने वालों की संख्या और विश्वसनीयता बढ़ेगी। यूपीआई के इस्तेमाल की सुविधा पहले चुनिंदा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर आने वाले जी20 देशों के यात्रियों के लिए होगी।

19 अगस्त को जी20 की एक बैठक को वर्चुअली तरी$के से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 के डिजिटल इकोनॉमी मंत्रियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत में दुनिया का सबसे सस्ता इंटरनेट डेटा है। आज के दौर में भारत में 85 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं। इसके चलते आज भारत में 85 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं और देश में 45 प्रतिशत रियल टाइम ट्रांजैक्शन होता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि रियल टाइम ट्रांजैक्शन को ऑनलाइन पेमेंट कह सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमने शासन को बेहतर, तेज़ और पारदर्शी बनाने के लिए टेक्नोलॉजी का भरपूर लाभ उठाया है। उन्होंने कहा कि जन धन खाते, आधार और मोबाइल फोन ने देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन की क्रान्ति ला दी है।

यूपीआई के विदेशों में ट्रांजैक्शन के लिए इस्तेमाल के अलावा रुपये को लेकर जुलाई में एक और ख़ुशख़बरी सामने आयी थी। यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक फ़ैसले के चलते मुमकिन हो सका है।

दरअसल जुलाई में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट के लिए रुपये के इस्तेमाल को इजाज़त दी थी। इससे ग्लोबल ट्रेडिंग में रुपये का इस्तेमाल व्यापारी कर सकेंगे। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले हर व्यापार में चीज़ों के लेन-देन के लिए भारतीय रुपया चलेगा। अंतरराष्ट्रीय ख़रीद-फ़रोख़्त में रुपये के इस्तेमाल को बढ़ावा मिलने से रुपये के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था में भी मज़बूती आएगी और रुपया डॉलर की तरह ही पूरी दुनिया में चलने के लायक होगा। अभी तक कुछ ही देशों की मुद्राएँ अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में चलती रही हैं, जिनमें डॉलर में लेन-देन का चलन सबसे ज़्यादा रहा है। लेकिन पिछले साल रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध के बाद अमेरिका ने कई देशों पर डॉलर में रूस के साथ व्यापार करने पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके बाद ऐसे देशों में रुपये में व्यापार करने का विकल्प सामने आया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपने एक परिपत्र में कहा है कि बैंकों को यह व्यवस्था लागू करने के पहले उसके विदेशी मुद्रा विभाग से पहले से अनुमति लेनी पड़ेगी।

भारत से निर्यात बढ़ाने पर ज़ोर और रुपये में अंतरराष्ट्रीय कारोबारी समुदाय की बढ़ती दिलचस्पी को ध्यान में रखते हुए यह तय किया गया है कि बिल बनाने और रुपये में आयात-निर्यात का भुगतान करने के लिए यह ज़रूरी है। उम्मीद की जा रही है कि भारत सरकार के इन दो कदमों- यूपीआई और रुपये को बढ़ावा देने से भारतीय मुद्रा यानी रुपये का चलन विदेशों में बढ़ेगा। इसके साथ-साथ विदेशों से भारत आने वाले पर्यटक, व्यापारी और भारत से विदेश जाने वाले पर्यटक और व्यापारी आसानी से लेन-देन कर सकेंगे। केंद्र सरकार के इस $कदम की सराहना की जानी चाहिए।