चंद्रमा पर छलाँग, ज़मीन पर धाँधली

चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल ने चंद्रमा के अनछुए दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ भारत ने अंतरिक्ष डोमेन में पहला देश बनने के लिए एक बड़ी छलाँग लगायी। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का पहला अंतरिक्ष यान 02 सितंबर को सूर्य का सर्वेक्षण करेगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि गर्वित राष्ट्र जश्न के मूड में है। लेकिन जश्न के इस माहौल में स्वाभाविक रूप से जो बात विचारशील मीडिया और जनता की जाँच से बच गयी, वह भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की हालिया रिपोर्ट है, जिसमें केंद्र सरकार की कुछ बहुप्रचारित योजनाओं के कार्यान्वयन पर संदेह व्यक्त किया गया है। रिपोर्ट में योजनाओं के कार्यान्वयन में भारी अनियमितताओं और कमियों का पता लगाया गया है। सबसे विचित्र बात यह है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत लगभग 7.5 लाख लाभार्थियों को एक मोबाइल नंबर- 9999999999 से जोड़ा गया था। साथ ही 1,285 लाभार्थियों को एक आधार नंबर 000000000000 से जोड़ा गया। संसद में पेश रिपोर्ट के अनुसार, इसी प्रमुख योजना के तहत 3,446 रोगियों के इलाज के लिए 6.97 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था, जिन्हें पहले उसी आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) के डेटाबेस में मृत दिखाया गया था।

‘तहलका’ में इस बार मुदित माथुर की आवरण कथा- ‘भ्रष्टाचार की परियोजनाएँ!’ में देश के लगभग 55 करोड़ कमज़ोर वर्ग के लोगों के हित में धूमधाम से शुरू की गयी योजनाओं के साथ क्या ग़लत हुआ? इसकी व्याख्या और विश्लेषण किया गया है। कैग को एक प्रहरी के रूप में कार्य करने के लिए अनिवार्य किया गया है और उसने अपनी 12 ऑडिट रिपोट्र्स में केंद्र की अन्य परियोजनाओं में अनियमितताओं को भी उजागर किया है, जिन्हें संविधान के अनुच्छेद-151 के तहत संवैधानिक आवश्यकता के हिस्से के रूप में संसद के रिकॉर्ड पर पेश किया गया था। कुछ अन्य योजनाओं और परियोजनाओं में भी कथित विसंगतियाँ देखी गयीं। उदाहरण के लिए द्वारका एक्सप्रेस-वे की मूल निर्माण लागत 18.20 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर पर स्वीकृत की गयी थी; लेकिन यह लागत 250.77 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर तक पहुँच गयी। कैग की रिपोर्ट में ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा अन्य योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम से लगभग

2.83 करोड़ रुपये के डायवर्जन पर भी प्रकाश डाला गया है। रिपोर्ट में छ: राज्यों में 57.45 करोड़ रुपये के कथित वित्तीय दुरुपयोग का भी खुलासा किया गया है। कैग ने पाया कि हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को परियोजनाओं की दोषपूर्ण योजना के कारण 159.23 करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ है, जबकि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को 142 करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ; क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक सर्किट बोर्डों का स्वदेशीकरण नहीं किया जा सका।

सरकार ने तेज़ी से कार्रवाई करते हुए पहले ही 210 अस्पतालों को सूची से बाहर कर दिया है, जबकि 188 अन्य के लाइसेंस राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का अनुपालन नहीं करने के लिए निलंबित कर दिये गये हैं। हालाँकि भ्रष्टाचार को खत्म करने की अपनी प्रतिबद्धता का दावा करने वाली सरकार के लिए कैग द्वारा उठाये गये सभी बिन्दुओं पर स$फाई देने की ज़रूरत है। बिना किसी दाग़ के कल्याणकारी योजनाओं के सुचारू संचालन को प्राथमिकता देने की तत्काल आवश्यकता है। ऑडिट के निष्कर्ष सार्वजनिक धन की सुरक्षा के लिए एक मज़बूत तंत्र की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं, ताकि सार्वजनिक कल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी निष्पादन को सुनिश्चित करने के लिए अधिक पारदर्शिता लायी जा रही हैं।