भारतीय वायुसेना आज चंडीगढ़ में अपनी स्थापना के 90 वां आईएएफ दिवस मना रही हैं। वायु सेना वार्षिक परेड और फ्लाई पास्ट दिल्ली-एनसीआर के बाहर चंडीगढ़ की सुखना झील में पहली बार आयोजित किया गया हैं। इस एयर शो में लगभग 80 सैन्य विमान और हेलीकॉप्टर शामिल होंगे, जिसमें हाल ही में शामिल स्वदेश निर्मित लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर ‘प्रचंड’ फ्लाई-पास्ट के दौरान अपने हवाई कौशल का प्रदर्शन करेंगे।
चंडीगढ़ में आयोजित भारतीय वायुसेना दिवस के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा चंडीगढ़ और आसपास के राज्यों से लगभग 35 हजार लोग सुखना लेक पहुंचे हैं। इतना ही नहीं एलसीएस ‘प्रचंड’ के अलावा लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस, सुखोई, मिग-29, जगुआर, राफेल, आईएल-76, सी-130जे और हॉक समेत कई अन्य विमान फ्लाई पास्ट का हिस्सा होंगे। साथ ही हेलीकॉप्टरों में उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर ध्रुव, चिनूक, अपाचे और एमआई-17 हवाई प्रदर्शन का हिस्सा भी होंगे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मौके पर ट्वीट कर भारतीय वायुसेना को बधाई दी और कहा कि, “भारतीय वायु सेना दिवस पर सभी साहसी आईएमएफ वायु योद्धाओं और उनके परिवारों को बधाई और शुभकामनाएं। आईएमएफ अपनी वीरता, उत्कृष्टता, प्रदर्शन और पेशेवर उत्कृष्टता के लिए जाना जाता हैं। हमें नीली वर्दी वाले अपने पुरुषों और महिलाओं पर गर्व है। उन्हें नीले आसमान और सुरक्षित लैंडिंग की बधाई।”
इस के मौके पर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी. आर. चौधरी ने कहा कि अगले साल से वायुसेना में महिला अग्निवीरों की भर्ती शुरू होगी। और आज लड़ाई के तरीके बदल रहे हैं उसी के अनुसार हमे भी तैयार होना होगा। कोई अकेली सर्विस लड़ाई नहीं जीत सकती, अब आत्मनिर्भर होना भी जरूरी हैं। वायुसेना नया वेपन सिस्टम बना रही हैं इसके लिए सरकार ने हथियार प्रणाली शाखा के निर्माण को मंजूरी दी हैं।
उन्होंने आगे कहा कि यह घोषणा करते हुए मेरा सौभाग्य है कि सरकार ने आईएएस में अधिकारियों के लिए एक हथियार प्रणाली शाखा के निर्माण को मंजूरी दे दी है, आजादी के बाद यह पहली बार है कि एक नर्इ परिचालन शाखा बनाई जा रही हैं। अनिवार्य रूप से सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, दूरस्थ रूप से संचालित विमान और जुड़वां और बहु-चालक विमानों में हथियार प्रणाली ऑपरेटरों के बल विशेषज्ञ धाराओं के लिए होगा। इस शाखा से बनने से उड़ान प्रशिक्षण पर खर्च कम होने से 3400 करोड़ से अधिक की बचत होगी।
आपको बता दें, वर्ष 1932 में वायु सेना भारतीय वायु सेना के अधिकारिक रूप से शामिल हुई। प्रत्येक वर्ष यह दिन भारतीय वायु सेना प्रमुख और वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में मनाया जाता हैं। वायुसेना को आधिकारिक तौर पर 1932 में यूनाइटेड किंगडम के रॉयल एयर फोर्स के सहायक बल के रूप में तैयार किया गया था। और सर्वप्रथम ऑपरेशन स्क्वाड्रन 1933 में किया गया था। आईएएस द्वार किए गए प्रमुख ऑपरेशनों में ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन कैक्टस और ऑपरेशन पुमलाई शामिल हैं।