भाजपा को अपने पैरों पर खड़ा कराने वाले दो दिग्गज भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी पार्टी के वर्तमान नेतृत्व से बहुत नाराज हैं। इन दोनों को कुछ अन्य के साथ जिस तरीके से चुनाव से बाहर किया गया है और उन्हें खुद चुनाव से हटने का ब्यान देने के लिए कहा गया उससे इन वरिष्ठ भाजपा नेताओं में गुस्सा भर गया है। गिरिराज सिंह भी सीट बदलने से बहुत खफा हैं और इसे अपने स्वाभिमान को चोट बता रहे हैं।
जोशी ने तो सार्वजनिक रूप से अपना गुस्से का इजहार कर दिया है। जोशी ने बाकायदा अपने हलके के मतदाताओं को चिट्ठी लिखकर बताया है कि कैसे भाजपा नेतृत्व की तरफ से उनपर दवाब बनाया गया कि वे किसी भी सीट से चुनाव न लड़ने का ऐलान पार्टी मुख्यालय आकर करें। उन्हें यह सन्देश पार्टी महासचिव रामलाल की तरफ से दिया गया।
पार्टी की इस ”अपील” को मुरली मनोहर जोशी ने सीधे तौर पर नकार दिया। जोशी ने कहा – ”ये पार्टी के संस्कार नहीं हैं। अगर हमें चुनाव न लड़वाने का फैसला हुआ है तो कम से कम पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को हमें आकर सूचित करना चाहिए। हम पार्टी दफ्तर आकर इसकी घोषणा नहीं करेंगे।”
मुरली मनोहर जोशी ने कानपुर के वोटरों के लिए एक चिट्ठी भी जारी की है। इस चिट्ठी में जोशी ने लिखा – ”पार्टी महासचिव रामलाल की ओर से मुझे कहा गया है कि मैं कानपुर या फिर किसी ओर सीट से चुनाव न लड़ूं।”
आडवाणी के नजदीकियों की तरफ से भी कुछ इसी तरह की आडवाणी की नाराजगी की ख़बरें छनकर बाहर आई हैं। आडवाणी ही वो नेता हैं जो भाजपा को दो सीटों से १८२ तक अपने बूते पहुँचाने में सफल हुए थे और आज पार्टी जहाँ पहुँची है उसमें आडवाणी का बहुत बड़ा रोल रहा है। यही नहीं पार्टी के प्रति आडवाणी के समर्पण को बहुत सम्मानजनक नजर से देखा जाता है। आज भी भाजपा में आडवाणी के लाखों मुरीद हैं।
कहते हैं आडवाणी को महासचिव रामलाल की तरफ से ही चुनाव न लड़वाने का फरमान सुनाया गया और पार्टी के किसी भी वरिष्ठ नेता (पार्टी अध्यक्ष शाह या मोदी) ने उनसे सीधे बात नहीं की जिससे आडवाणी बहुत आहत हैं। यह आडवाणी जिन्होंने मोदी को सीएम बनवाया और हर संकट में उनकी मदद के लिए भी आगे आये। ऐसे में आडवाणी का आहात होना वाजिब भी दिखता है।
कहते हैं कलराज मिश्र, शांता कुमार और करिया मुंडा अन्य नेता हैं जिन्हें पार्टी की तरफ से खुद चुनाव नहीं लड़ने वाला ब्यान देने के लिए कहा गया था। उमा भारती भी अपनी तरफ से चुनाव न लड़ने की बात कह चुकी हैं जिसके बाद उन्हें भाजपा का उपाध्यक्ष बना दिया गया। एक और दिग्गज नेता सुषमा स्वराज भी चुनाव से इंकार कर चुकी हैं हालाँकि उन्होंने इसके लिए स्वास्थय को कारण बताया था।
बेगूसराय से टिकट के मसले पर वरिष्ठ नेता गिरिराज भी बहुत नाराज हैं। भले वे प्रदेश नेतृत्व को अपना टिकट बदलने का जिम्मेबार बता रहे हैं लेकिन उनके नजदीकियों का कहना है कि टॉप लेवल से इशारे के बिना ऐसा कैसे हो सकता है कि उनका हल्का बदल दिया जाए। वे भी उन्हें भरोसे में न लेने का आरोप लगा रहे हैं। गिरिराज ने इसे अपने स्वाभिमान का मसला मान लिया है। ”जो मेरे स्वाभिमान से खिलबाड़ करेगा, मेरे लिए स्वाभिमान के सामने बाकी सब तुच्छ है।” बेगुसराए में कन्हैया कुमार उनके मुकाबले में होंगे, यदि वे पार्टी का फैसला मानकर चुनाव में उतरे तो।