देश के दूसरे सबसे बड़े राष्ट्रीयकृत बैंक – पंजाब नेशनल बैंक – में 11500 करोड़ रुपये के बड़े घोटाले ने देश में हलचल मचा दी है। इसका राजनीति पर भी असर पड़ा है और कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष सत्तारूढ़ भाजपा सरकार पर लगातार हमला बोल रहा है। जो जानकारियां सामने आ रही हैं उससे भाजपा बैचेनी महसूस कर रही है। सोशल मीडिया में इस घोटाले के आरोपी नीरव मोदी की दावोस के सम्मलेन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ तस्वीरें आने के बाद भाजपा रक्षात्मक दिख रही है जबकि कांग्रेस लगातार हमलावर होती जा रही है। नार्थ ईस्ट के तीन राज्यों में चुनाव से पहले भाजपा के लिए यह घोटाला दिक्कत पैदा कर सकता है। इसी साल के आखिर में कुछ और बड़े राज्यों में भी चुनाव होने हैं लिहाजा कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष इस मामले में भाजपा और मोदी सरकार पर दबाव बनाने में जुट गया है जबकि भाजपा के नेता भी इस पर विपक्ष को जवाब देने में जुटे हैं।
सरकार इस मामले को लेकर कितने दबाव में है इसका अंदाजा इस बात से लग जाता है कि घोटाला सामने आने के बाद १४ फरवरी को ही सार्वजनिक अवकाश के बावजूद मोदी सरकार ने जांच एजेंसियों को इस मामले में तेजी दिखने के लिए सक्रिय किया। सरकार ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय को फौरन इस पर कार्रवाई करने को कहा। इसी का नतीजा था कि जांच एजेंसियों ने १५ फरवरी को ही सुबह सबेरे नीरव मोदी और उससे जुड़े व्यक्तियों और कंपनियों के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की।
घोटाला सामने आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया – ”भारत को लूटने की नीरव मोदी द्वारा दी गई गाइड: प्रधानमंत्री को गले लगाओ, उनके साथ दावोस में दिखो। इस प्रभाव का इस्तेमाल कर 12 हजार करोड़ लूटो और जब सरकार दूसरी तरफ मुंह कर ले तो माल्या की तरह देश से भाग जाओ। ” गांधी ने यह ट्वीट कांग्रेस सासंद गौरव गोगोई के उस ट्वीट के बाद किया, जिसमें दावोस में विश्व आर्थिक फोरम में प्रधानमंत्री मोदी की भारत के तमाम मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) की तस्वीर दिखाई गई है। सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर में भगोड़ा हीरा व्यापारी दूसरी पंक्ति में दिख रहा है और प्रधानमंत्री मोदी पहली पंक्ति के बीच में हैं।
कांग्रेस ही नहीं माकपा ने भी सर्कार को घेरा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता सीताराम येचुरी ने भी ट्वीटर पर यह फोटो शेयर करके हुए लिखा – ”नीरव मोदी स्विट्जरलैंड में हो सकता है, जहां वह प्रधानमंत्री मोदी के साथ दिखा था। येचुरी ने कहा – ”अगर यह व्यक्ति 31 जनवरी को दर्ज की गई एफआईआर से पहले भाग गया है तो फिर वह यहां है। दावोस में प्रधानमंत्री के साथ उसकी फोटो है, जोकि एफआईआर से एक सप्ताह पहले की है। क्या भारत से भागने के बाद एफआईआर हुई? मोदी सरकार को अवश्य स्पष्ट करना चाहिए। यह एक तरीका सा बन गया है जिसमें जो बैंक के साथ धोखाधड़ी करता है, उसे मोदी सरकार की तरफ से भगा दिया जाता है।” तृणमूल कांग्रेसne भी मोदी सर्कार को इस मसले पर घेरा है। जाहिर है विपक्ष इस घोटाले को राजनितिक रूप से भुनाने में कोइ कसार नहीं छोड़ना चाहता।
इसे देश का अब तक का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला बताया जा रहा है। हाल के वर्षों में ललित मोदी और विजय माल्या के बाद यह तीसरा मामला है जिसमें मुख्या आरोपी देश छोड़ कर भाग गया है। उधर बेंगलुरु के एक बिजनेसमैन ने इस मामले पर यह दावा करके मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है कि उन्होंने (व्यापारी) हरि प्रसाद एसवी ने २०१६ में ही प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को मेहुल चौकसी की गड़बड़ियों के बारे में सूचना दे दी थी लेकिन उनकी इस शिकायत पर ठंडा रुख अख्तियार किया गया।
गौरतलब है कि मेहुल चौकसी गीतांजलि ज्वेलरी सीरीज का मालिक है और उसका भी नाम पीएनबी घोटाले में शामिल है। इस घोटाले में मेहुल के साथ-साथ नीरव मोदी भी शामिल है। घोटाले का खुलासा होने के बाद केन्द्रीय जांच एजेंसियों ने नीरव मोदी, उनकी पत्नी एमी, उनके भाई निशाल और मेहुल चौकसी के खलाफ 280 करोड़ रुपये की मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज किया है। मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक में बिजनेसमैन हरि प्रसाद का दावा है कि ”अगर साल 2016 में पीएमओ को दी गई जानकारी पर एक्शन लिया गया होता तो पहले ही इस घोटाले का पर्दाफाश किया जा सकता था।” घोटाले के दोनों आरोपी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी देश छोड़कर भाग चुके हैं। कहा जा रहा है कि मेहुल चार जनवरी को ही विदेश भाग गया था, जबकि नीरव मोदी घोटाले का खुलासा होने के बाद देश छोड़कर भागा।
घोटाला सामने आने के बाद राष्ट्रीयकृत बैंक पंजाब नैशनल बैंक का कहना है कि मुंबई स्थित उसकी एक शाखा में करीब 1.8 अरब अमेरिकी डॉलर का जो घोटाला नज़र में आया है, उसका असर कुछ अन्य बैंकों पर भी पड़ सकता है। सेबी को दी जानकारी में बैंक ने कहा – ”पंजाब नेशनल बैंक ने धोखाधड़ी के लिए अनधिकृत रूप से किए गए कुछ लेनदेन मुंबई स्थित अपनी एक शाखा में पकड़े हैं, जो ‘कुछ चुनिंदा खाताधारकों को लाभ पहुंचाने’ के लिए किए गए थे।” फर्ज़ीवाड़ा कर किए गए लेन देन बैंक की वर्ष 2017 की शुद्ध आय (13.2 अरब रुपये) की आठ गुणा रकम के बराबर हैं। घोटाला सामे आने के बाद इसके शेयर ७.५ फीसदी तक गिर गए और अक्टूबर २०१७ के बाद बैंक ने सबसे कम दाम पर कारोबार किया।
पूरे घोटाले की जड़ मे ”लेटर ऑफ अंडरटेकिंग” जिसे एलओयू कहा जाता है, है। तकनीकी बात करें तो यह एक तरह की गारंटी होती है, जिसके आधार पर दूसरे बैंक खातेदार को पैसा मुहैया कराते हैं। यदि खातेदार डिफॉल्ट कर जाए तो एलओयू मुहैया कराने वाले बैंक की यह जिम्मेदारी होती है कि वह संबंधित बैंक को बकाए का भुगतान करे। इस मामले में पीएनबी के उप प्रभंधक गोकुलनाथ शेट्टी पर आरोप है की उसने कथित तौर पर स्विफ्ट मेसेजिंग सिस्टम का दुरुपयोग किया। बैंक इसी नियम के आधार पर विदेशी लेन देन में एलओयू के जरिए दी गारंटी को प्रमाणित करते हैं।
पंजाब नेशनल बैंक की एक ब्रांच ने अरबपति ज्वैलर नीरव मोदी और उनसे जुड़ी कंपनियों को (एलओयू) लैटर ऑफ अंडरटेकिंग और फॉरेन लैटर ऑफ क्रेडिट (एफएलसी) जारी किए जिसके आधार पर उन्होंने विदेशों में स्थित भारतीय बैंकों से कर्ज उठाया। एलओयू दरअसल एक पत्र होता है जो एक बैंक अपने ग्राहक के लिए दूसरे बैंक को जारी करता है। एलओयू जारी होने पर दूसरा बैंक उक्त ग्राहक को उस पत्र के आधार पर लोन दे सकता है। जनवरी मे जब एलओयू की अवधि खत्म हो गई और भारतीय बैंकों की विदेशी शाखओं को कर्ज की रकम वापस नहीं मिली तो घोटाले का खुलासा हुआ। पीएनबी ने अपने दर्जन भर कर्मचारियों को इस मामले में निलंबित भी किया है।
वित्त मंत्रालय के अनुसार पीएनबी फ्रॉड मामले में छह कंपनियों को 9539.38 करोड़ रुपये के एलओयू और 1799.36 करोड़ रुपये के एफएलसी जारी हुए। इसके आधार पर सोलर एक्सपोर्ट, स्टेलर डायमंड, डायमंड आर यूएस, गीतांजलि जेम्स, गिली इंडिया, नक्षत्र और चंद्री पेपर्स को जारी हुए।
पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के बाद विपक्ष ने निशाने पर आई मोदी सरकार ने ”सख्त रुख” दिखने की कोशिश की है। सरकार ने कहा है कि मामले में सरकारी बैंक की पूरी धनराशि वसूल की जाएगी और किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि बैंक इस मामले के लिए जरूरी प्रॉविजनिंग (घाटे की भरपाई के लिए अलग से धन रखना) करेगा और इसके लिए उसके पास पर्याप्त धन है। वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के सचिव राजीव कुमार ने कहा कि यह मामला सिर्फ एक बैंक के एक ब्रांच का है और दोषी व्यक्ति के खिलाफ हर संभव कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि पीएनबी फ्रॉड में सभी परिसंपत्तियों को वसूल किया जाएगा और किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले का असर अन्य बैंकों पर नहीं पड़ेगा। जांच एजेंसियां इस मामले की पड़ताल कर रही हैं। साथ ही अन्य बैंकों को भी इस मामले के बारे में सतर्क कर दिया गया है।
दो पब्लिक सेक्टर बैंक और एक प्राइवेट बैंक पर इस घोटाले का असर पद सकता है। इसमें यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया, इलाहाबाद बैंक और एक्सिस बैंक शामिल हैं जिन्होंने आरोपी को क्रेडिट की पीएनबी के लेटर ऑफ़ अंडरटेकिंग के आधार पर पेशकश की थी।
अब यह घोटाला राजनितिक अखाड़े में पहुंच गया है। बैंक घोटाला मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर निशाना साधा। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा – ”हीरा व्यापारी नीरव मोदी के देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक से 11,500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी ”भारत को लूटने” का तरीका है, जिसमें उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नजदीकी बढ़ाई, उन्हें गले लगाया और फिर शराब कारोबारी विजय माल्या की तरह देश से फरार हो गया।
पार्टी के नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया । कांग्रेस नेता ने केंद्र पर हमला बोलते हुए कहा कि ‘लूटो और भाग जाओ’ मोदी सरकार का चाल, चरित्र और चेहरा बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जुलाई, 2016 में ही वित्तीय फर्जीवाड़े की जानकारी दी गई थी, इसके बावजूद क्या मोदी सरकार सोई हुई थी?
सुरजेवाला ने सवाल उठाया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने घोटाले पर कार्रवाई करने में 15 दिन क्यों लगाए, जबकि 29-30 जनवरी को ही यह मामला सामने आया गया था। उन्होंने पूछा कि इस मामले में पंजाब नेशनल बैंक ने इतनी देरी से केस क्यों दर्ज कराया? ईडी ने छापा मारने में 15 दिन क्यों लगा दिए? सरकार ने इस मामले को महत्व क्यों नहीं दिया? सुरजेवाला ने कहा कि वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के बारे में जानकारी दी गई थी और पीएम से कार्रवर्इ की मांग भी की गई थी। उनके मुताबिक, पीएमओ ने शिकायत को कार्रवाई के लिए रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के पास भेज दिया था। इसके बावजूद न तो पीएमओ ने कुछ किया और न ही वित्त मंत्रालय ने कदम उठाया। इस बीच, छोटे मोदी (नीरव मोदी) 11,000 करोड़ रुपये की चपत लगाकर देश से चंपत हो गए।
प्रसाद ने बाकायदा संवाददाता सम्मेलन करके कहा – ”नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में ऐसा कोई ऋण नहीं दिया गया, जो एनपीए बन गया हो। नीरव मोदी को संप्रग सरकार के कार्यकाल के दौरान ऋण दिया गया था।” उन्होंने कहा कि ‘प्रधानमंत्री ने लोकसभा में कहा था कि हमारी सरकार ने ऐसा कोई ऋण नहीं दिया है, जो एनपीए बन गया हो। एनपीए की विरासत हमें कांग्रेस से मिली है।’ उन्होंने नीरव मोदी और उन सब के खिलाफ भी कार्रवाई करने का वादा किया, जिन्होंने उन्हें भगाने में मदद की। प्रसाद ने कहा, ‘किसी को बख्शा नहीं जाएगा।’ उन्होंने कहा, ‘धोखाधड़ी का पता लगने के बाद तुरंत कार्रवाई की गई। आयकर विभाग नीरव मोदी के खिलाफ काफी कड़ी कार्रवाई कर रहा है।’ प्रसाद ने नीरव मोदी को ‘छोटा मोदी’ कहने पर भी कांग्रेस को फटकार लगाई। उन्होंने कहा, ‘राहुल गांधी अपनी क्षमता की वजह से नहीं, बल्कि अपने परिवार की वजह से एक पार्टी के अध्यक्ष हैं। वह किस भाषा का प्रयोग कर रहे हैं?’ यह पूछे जाने पर कि क्या इस घटना से प्रधानमंत्री की छवि पर असर पड़ेगा, उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री की छवि कांग्रेस और कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला जैसी खराब नहीं हो सकती। प्रधानमंत्री के पास भारत के लोगों का आशीर्वाद है।’