बारिश का कहर, ग़लती किसकी?

उत्तर भारत समेत दक्षिण भारत के कई राज्यों विकट बारिश से लोगों में हाहाकार मची हुई है। अनुमानित 12 राज्यों में बाढ़ की स्थिति के चलते आमजन एवं किसान बेहाल हैं। पूरे देश में अब तक लाखों एकड़ फ़सल बर्बाद हो चुकी है, जिसके चलते किसान हर बार की तरह भगवान को याद करते हुए अपने भाग्य को कोस रहे हैं। वहीं नेता एक-दूसरे पर ग़लती थोपने एवं कीचड़ उछालने में लगे हैं।

किसान रामेश्वर सिंह ने उदासी भरे स्वर में कहा कि भैया, हम तो तबाह हो गये। ग़रीबों की तो भगवान भी नहीं सुनते। कहाँ जाएँ, जीवन तबाह हो गया हमारा। हर वर्ष कोई-न-कोई फ़सल तबाह हो जाती है। भगवान के कोप से बची हुई फ़सल को सांड, नीलगायें एवं बंदर नहीं छोड़ते। किसान का जीवन तो आग पर चलने जैसा है।

उत्तर प्रदेश ही क्या देश के अधिकतर किसानों की पीड़ा रामेश्वर सिंह की तरह ही है। इस बार कई वर्ष के बाद ऐसा हुआ है कि देश के अनेक राज्यों में अत्यधिक बारिश के कारण जनजीवन त्रस्त हुआ है। देश की गंगा नदी, यमुना नदी, सतलुज नदी, घाघरा नदी, ब्रह्मपुत्र नदी, भाकड़ा नदी, गंडक नदी. नर्मदा नदी, कोसी नदी, व्यास नदी, सतलुज नदी. चंबल नदी एवं हिंडन नदी समेत दर्ज़नों छोटी नदियाँ उफान पर हैं।

समाचारों एवं सूचनाओं से प्राप्त जानकारी बताती है कि उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब, मध्य प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, बिहार, झारखण्ड, असम, विदर्भ, गोवा, सौराष्ट्र, कच्छ, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम, मणिपुर, त्रिपुरा, कर्नाटक एवं केरल में इस बार अत्यधिक बारिश हुई है। इसके अतिरिक्त आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, मध्य महाराष्ट्र, मराठावाड़ा, ओडिशा, छत्तीसगढ़ एवं तमिलनाडु में औसत बारिश हुई है। मौसम विभाग की मानें, तो बारिश अभी और होगी। कई राज्यों में ऑरेंज अलर्ट एवं कई राज्यों में रेड अलर्ट जारी हो चुका है।

बताया जाता है कि इस बार अरब सागर में बने चक्रवात बिपरजॉय के चलते यह तबाही हुई है। चक्रवाती तूफ़ान बिपरजॉय गुजरात के समुद्री तटों से जून के आरंभ में टकराया था, जिसके चलते गुजरात के समुद्र किनारे बसे लोगों को बड़ी हानि उठानी पड़ी थी। इस चक्रवाती तूफ़ान से सौराष्ट्र समेत उत्तर गुजरात में तूफ़ान एवं बारिश ने सभी को डरा दिया था।

तूफ़ान के लगभग दो सप्ताह बाद बारिश आरम्भ हुई, तो रुकने का नाम नहीं ले रही है। किसान फ़सलों की तबाही पर रो रहे हैं, तो मज़दूर वर्ग काम न मिलने से भूखों मरने की स्थिति में है। नदी किनारे बसे गाँवों में पानी भरने के अतिरिक्त दूर के गाँवों एवं शहरों तक में पानी भर गया है। सैकड़ों छोटी सडक़ों समेत कई हाईवे के जलमग्न होने के समाचार पढऩे एवं सुनने को मिल रहे हैं।

बड़े बुजुर्ग कह रहे हैं कि ऐसी तबाही कई वर्षों बाद आयी है। हर राज्य में जान एवं माल की हानि के समाचार आ रहे हैं। राज्यवार हालात सुनकर हर कोई स्तब्ध है। राकेश कुमार का कहना है कि प्राकृतिक आपदा से कोई नहीं लड़ सकता ये मनुष्य के वश में है ही नहीं। जो लोग एवं नेता लोग बाढ़ को लेकर राजनीतिक पेच लड़ाने में आनंद ले रहे हैं, उन्हें बाढग़्रस्त क्षेत्रों में जाकर पीडि़तों की सहायता करनी चाहिए।

उत्तर प्रदेश में हाईवे डूबा

उत्तर प्रदेश के अधिकतर जनपदों में बाढ़ की स्थिति है। कन्नौज हाईवे पर पानी भर गया। गंगा, यमुना, चंबल, राप्ती, कोसी, घाघरा, हिंडन एवं अन्य कई नदियों में बाढ़ के हालात है। नोएडा, गौतमबुद्ध नगर, ग़ाज़ियाबाद, बुलंदशहर, मुज़फ्फ़रनगर, मेरठ, हापुड़, अमरोहा, बाग़पत, शामली, मुरादाबाद, बरेली, रामपुर, बदायूँ, संभल, पीलीभीत, शाहजहाँपुर, आगरा, फ़िरोज़ाबाद, मैनपुरी, मथुरा, अलीगढ़, एटा, हाथरस, कासगंज, इटावा, औरैया, लखनऊ, वाराणसी, जौनपुर, कानपुर, भदोही, मिर्जापुर, ग़ाज़ीपुर, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, गोरखपुर जनपदों में नदियाँ उफान पर हैं। गंगा, यमुना समेत कई नदियाँ ख़तरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। नदियों के किनारे बसे गाँवों, क़स्बों व शहरों से हज़ारों लोगों को बचाव कार्य के तहत निकालकर शिविरों में ले जाया गया है।

उत्तराखण्ड में भी भारी बारिश

भारी बारिश के चलते पर्वतीय राज्य उत्तराखण्ड में भी कई स्थानों पर जन-जीवन पटरी से उतर गया है। बाढ़ एवं बारिश के चलते चारधाम यात्रा मार्ग प्रभावित है। गंगोत्री हाईवे पर एवं गंगानाली में लगभग 2,000 से अधिक काँवडिय़ों के फँसने की सूचना है। इसे देखते हुए काँवडिय़ों को रोका जा रहा है। बदरीनाथ हाईवे तोताघाटी एवं कौडिय़ाला लम्बे समय तक बंद रहा। टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बदरीनाथ में सडक़ें एवं हाईवे अवरुद्ध हैं। चमोली में विभिन्न स्थानों पर 3,000 से अधिक तीर्थयात्रियों को रोकना पड़ा है।

स्थानीय लोगों एवं अंदर फँसे तीर्थयात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है। पातालगंगा में पहाड़ी से लगातार दो तीन दिन भारी पत्थर गिरे हैं। गढ़वाल में पाँच हाईवे, चार राज्यमार्ग और 170 संपर्क मार्ग समेत 179 सडक़ें अवरुद्ध होने की सूचना है। सैकड़ों गाँवों का संपर्क जनपद मुख्यालयों से कटने की सूचना है।

उत्तराखण्ड में भी करोड़ों की हानि की सूचना है। काँवडिय़ों को उत्तरकाशी के पौराणिक घाट से गंगाजल भरना पड़ रहा है। राज्य में कई स्थानों पर भूस्खलन, पड़ाड़ खिसकने के समाचार हैं। संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष परिस्थिति में ही वाहनों की आवाजाही हो पा रही है।

इस बारिश में पिछले महीने ही 20 लाख रुपये के व्यय से कर्णप्रयाग-गैरसैंण राज्यमार्ग पर बनकर तैयार हुई आदिबदरी में पुरातत्व विभाग के विश्राम गृह की सुरक्षा दीवार ढह गयी। टिहरी झील का जलस्तर सामान्य से 14 मीटर अधिक बढक़र 778 मीटर के आसपास पहुँच गया था। भागीरथी एवं भिलंगना नदियों से प्रतिदिन 1,600 क्यूमैक्स पानी टिहरी झील में गिरने की सूचना है। उत्तराखण्ड के संवेदनशील एवं अतिसंवेदनशील क्षेत्रों को $खाली कराया जा रहा है।

दिल्ली के लालक़िले तक पानी

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रों में कई स्थानों समेत लालक़िले तक बाढ़ का पानी घुसने की सूचना है। यमुना नदी का जलस्तर बढऩे से दिल्ली के निचले हिस्सों में पानी भरे जाने के समाचार मिल रहे हैं।

इस बार बारिश एवं हरियाणा के हथनी कुंड से पानी छोड़े जाने के चलते यमुना नदी का जलस्तर ख़तरे के निशान 205 मीटर को पार करते हुए 208 मीटर से ऊपर पहुँच गया। इससे लाल किले समेत कई निचली बस्तियों में पानी घुस जाने के समाचार हैं। दिल्ली में अनेक दल राहत कार्य में लगे होने के समाचार हैं। 2700 राहत शिविरों में दिल्ली के बाढग़्रस्त लोगों को पहुँचाया गया है।

दिल्ली सरकार में मुख्यमंत्री एवं मंत्री राहत कार्यों में लगे होने की सूचनाएँ हैं। रिंग रोड पर बाढ़ का पानी आने से आईएसबीटी, कश्मीरी गेट में हिमाचल, पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा और उत्तराखण्ड से आने-जाने वाली बसों का परिचालन प्रभावित हुआ है। बाढग़्रस्त क्षेत्रों में स्कूल बंद होने की सूचना है।

समाचारों में बताया गया है कि दिल्ली में दिल्ली में 33 वर्षों बाद यमुना नदी ने भयावह रूप धारण किया है। कहा जा रहा है कि 1978 में यमुना नदी का जलस्तर 207.49 मीटर पर पहुँचा था। मगर बाढ़ तो इससे पहले एवं बाद में भी लगभग छ:-सात बार दिल्ली में आयी है, ऐसा समाचारों में कहा जा रहा है। मगर यमुना नदी में जलस्तर बढऩे का 45 साल का रिकॉर्ड टूटा है।

समाचारों से पता चला है कि दिल्ली के 10 से अधिक क्षेत्रों में पानी घुस गया है। हरियाणा द्वारा हथिनी कुंड बैराज से सीमित पानी छोडऩे की अपील दिल्ली के मुख्यमंत्री को केंद्र सरकार से करनी पड़ी है। हरियाणा ने डूबने से बचने के लिए हथिनी कुंड बैराज के सभी 18 गेट खोल दिये थे, जिससे दिल्ली बाढ़ की चपेट में आ गयी।

हरियाणा के सैकड़ों गाँव जलमग्न

हरियाणा में बारिश से हाहाकार मची हुई है। हरियाणा के मैदानी क्षेत्रों में वहाँ बहने वाली यमुना नदी, घग्गर नदी एवं मारकंडा नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया है। इससे हरियाणा के सात जनपद एवं उनके 554 गाँव बाढ़ की चपेट में हैं। हरियाणा के पंचकूला, अंबाला, यमुनानगर, करनाल, पानीपत, कैथल एवं कुरुक्षेत्र, पलवल, सिरसा, जींद, फ़तेहाबाद, फ़रीदाबाद जनपदों के कई गाँव जलमग्न हैं।

हरियाणा सरकार बाढग़्रस्त क्षेत्रों से लोगों को निकालकर राहत शिविरों में पहुँचाने में जुटी है। नदियों के अतिरिक्त हरियाणा के हथनी कुंड बैराज में भी जलस्तर ख़तरे के निशान से ऊपर चल रहा है। अगर इस कुंड का पानी यमुना में नहीं छोड़ा जाता, तो कहा जा रहा है कि आधा हरियाणा डूब जाता। हरियाणा के कई जनपदों एवं उनके गाँवों का संपर्क टूट जाने के समाचार हैं। भारी बारिश, बाढ़ एवं जलभराव के चलते हरियाणा में 10 लोगों की मृत्यु की सूचना है। बाढ़ की स्थिति यह है कि अंबाला छावनी भी जलमग्न हो गयी। हज़ारों एकड़ फ़सलों के तबाह होने की सूचनाएँ हरियाणा से हैं।

पंजाब एवं चंडीगढ़ में मुसीबत

पंजाब एवं चंडीगढ़ में कई क्षेत्रों में बाढ़ का पानी प्रवेश करने के समाचार हैं। दोनों राज्यों की अनेक सडक़ें जलमग्न हैं। कई गाँवों एवं कुछ शहरों में घरों में पानी भर गया है। पंजाब में बने भाखड़ा नागल बाँध का जलस्तर 22 फुट के लगभग बढऩे की सूचना है। 1,621 फुट ऊँचाई वाले इस बाँध के गेट का स्तर 1,645 फुट है। इस बाँध में 20 फुट अतिरिक्त जलस्तर झेलने की क्षमता है। इस बाँध का जलस्तर बढऩ से धीमी गति से पानी छोडऩा पड़ रहा है, जिसके चलते लुधियाना के सतलज बेल्ट, आनंदपुर साहिब एवं रोपड़ सहित अन्य जनपदों में जन-धन की हानि होने की संभावना है। अभी तक पंजाब के 14 जनपदों के 1,058 से अधिक गाँव बाढ़ की चपेट में हैं।

सबसे अधिक बुरे हालात रोपड़ जनपद के हैं, जिसे बचाने के लिए भाखड़ा ब्यास बाँध प्रबंधन समिति ने पानी न छोडऩे का निर्णय लिया। पंजाब के बाढग़्रस्त क्षेत्रों मे बचाव कार्य चल रहा है। सैकड़ों लोगों को राहत शिविरों में पहुँचाए जाने की सूचना है। पंजाब में 200 एकड़ से अधिक फ़सलों के ख़राब होने के समाचार हैं। कई सडक़ों के टूटने एवं धंस जाने की भी सूचनाएँ हैं। पंजाब के फ़िरोजपुर में 2,08,597 क्यूसैक पानी हरि के हेड से छोड़े जाने के समाचार हैं, जिसके चलते कई गाँवों में पानी आ गया है। पंजाब की नदी सतलुज का जलस्तर भी ख़तरे के निशान से ऊपर बताया जा रहा है।

लुधियाना में बुड्ढा दरिया का जलस्तर बढऩे से तबाही के हालात होने के समाचार मिले हैं। राज्य के कुछ क्षेत्रों में लोगों को सचेत रहने को कहा गया है। चंडीगढ़ में भी भारी बारिश के चलते कई सडक़ें धंसने के समाचार हैं। कुछ क्षेत्रों में जलापूर्ति प्रभावित होने के समाचार हैं।

अन्य कई राज्य भी चपेट में

इस वर्ष लगातार हो रही भारी बारिश के चलते देश के अन्य कई राज्यों में भी बाढ़ के हालात हैं। राजस्थान के अजमेर, भीलवाड़ा, बूंदी, चित्तौडग़ढ़, राजसमंद, टोंक एवं उदयपुर जनपदों में भारी बारिश होने से कुछ शहरों एवं इन सभी जनपदों के हज़ारों गाँवों में पानी घुसने के समाचार हैं। राजस्थान में भी फ़सलों को नुकसान पहुँचा है। राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में बचाव कार्य चल रहा है।

बाढग़्रस्त क्षेत्रों से 1,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया है। पश्चिमी राजस्थान के 10 जनपदों में औसत बारिश से अनुमानित 220 गुनी बारिश हुई है। कुछ पशुओं एवं लोगों की मौत की भी सूचना है। भारी बारिश एवं बाढ़ के चलते राजस्थान 3,000 से अधिक गाँवों की लम्बे समय तक बिजली गुल रहने की सूचना है। महाराष्ट्र में भी भारी बारिश से कई गाँवों में विकट हानि हुई है। इस राज्य में औसत स्तर से अधिक बारिश हो चुकी है। महाराष्ट्र के कोंकण में रेड अलर्ट जारी है। इसके अतिरिक्त मुंबई, पुणे, राजगढ़, ठाणे, पालघर, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, सतारा, सांगली, नासिक, नंदुरबार, धुले, अहमदनगर, सोलापुर, उस्मानाबाद, लातूर, बीड, छत्रपति संभाजीनगर, जलगाँव, जालना, बुलढाणा, वाशिम, हिंगोली, नांदेड़, यवतमाल, अमरावती, वर्धा, नागपुर, गोंदिया, गढ़चिरौली, चंद्रपुर, अकोला एवं कोल्हापुर में भी भारी बारिश के आसार बताए जाते हैं। भारी बारिश के चलते मध्य महाराष्ट्र के कई जनपदों में येलो अलर्ट की सूचना है।

मध्य प्रदेश के भी कई जनपदों में भारी बारिश हुई है। कई जनपदों के लोगों को सचेत रहने को कहा गया है। इस राज्य की चिलर नदी, नर्मदा नदी का जल स्तर लगातार बढ़ रहा है। राज्य के इंदौर, उज्जैन, धार, रतलाम, मंदसौर, नर्मदा पुरम, सागर, ग्वालियर, चंबल एवं शहडोल सहित 29 जनपदों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की गयी है। विदिशा के 20 गाँवों में बाढ़ आने के समाचार हैं। इस जनपद के 25 से अधिक घरों के तबाह होने के समाचार मिले हैं।

बिहार में भी हर वर्ष की तरह कई क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति के समाचार हैं। कोसी नदी, बूढ़ी गंडक नदी एवं अन्य नदियों में बाढ़ के हालात होने की सूचना है। बिहार के पटना, नालंदा, गया, नवादा, बेगूसराय, लखीसराय, भागलपुर, शेखपुरा, जहानाबाद, मुंगेर, खगडिय़ा, बांका, जमुई, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, सिवान, सारण, गोपालगंज, सीतामढ़ी, मधुबनी, मुज़$फ्फ़रपुर, दरभंगा, वैशाली, शिवहर समस्तीपुर, सुपौल, अररिया, किशनगंज, मधेपुरा, सहरसा, पूर्णिया एवं कटिहार जनपदों के कुछ क्षेत्रों में बाढ़ आयी हुई है। अभी इन जनपदों में और बारिश होने की संभावना जतायी गयी है।

असम में बाढ़ के चलते कई जनपदों में हाहाकार मची हुई है। समाचारों एवं सूचनाओं के पता चला है कि असम के बिश्वनाथ, बोंगाईगाँव, चिरांग, धेमाजी, डिब्रूगढ़, कोकराझार, माजुली, नलबाड़ी, तामुलपुर एवं तिनसुकिया क्षेत्र बाढ़ प्रभावित हैं। राज्य की बेकी नदी, दिसांग नदी, एवं ब्रह्मपुत्र नदी का जलस्तर ख़तरे के निशान से ऊपर होने के समाचार हैं। असम के 19 राजस्व क्षेत्रों के कुल 179 गाँवों के जलमग्न होने की सूचना है। इस राज्य में 2,200 हेक्टेयर से अधिक खेती बर्बाद होने की सूचना है। राज्य के 100 से अधिक गाँव बाढ़ ग्रस्त हैं एवं 231 गाँवों में बाढ़ की स्थिति की सूचना है।

झारखण्ड, छत्तीसगढ़, मिजोरम, मणिपुर एवं गोवा राज्यों में भी कई स्थानों पर भारी बारिश हुई है। गोवा के कुछ स्थानों पर भूस्खलन की सूचना है। कुछ सडक़ों के धँस जाने की सूचना भी है।

आपदा के कारण व उपाय

प्राकृतिक आपदाएँ प्राचीनकाल से ही आती रही हैं एवं आगे भी आती रहेंगी। मगर कहा जाता है कि इन प्राकृतिक आपदाओं के लिए मनुष्य ही उत्तरदायी है। देश में हर वर्ष अनुमानित 24,00,000 हरे पेड़ काटे जा रहे हैं। मगर वृक्षारोपण प्रतिवर्ष अनुमानित 3,00,000 से भी कम है। पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार मानव दबाव बढऩे के चलते वहां अमूमन हर वर्ष आपदाएँ आती रहती हैं। हिमाचल में इस वर्ष मची तबाही का कारण भी यही है।

अत: हम मनुष्यों को प्रकृति संरक्षण करने की ओर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए जल संरक्षण, भू संरक्षण, वन संरक्षण करने के अतिरिक्त अत्याधुनिक प्रगति के उन कार्यों को रोकने की आवश्यकता है, जिनसे भूमि की अपनी प्राकृत बनावट प्रभावित होती है। अगर लोगों ने अभी से प्रकृति से खिलवाड़ नहीं रोका, तो भविष्य में परिणाम भयावह हो सकते हैं। इसलिए लोग अपनी इस भूल को सुधारें एवं प्रकृति से छेड़छाड़ की ग़लती न करें।

हिमाचल में विकट तबाही

इस बार हिमाचल प्रदेश में अत्यधिक बारिश ने सबसे अधिक तबाही मचायी है। हिमाचल प्रदेश में 24 जून से बारिश ने ऐसी तबाही मचायी कि सामान्य से अनुमानित 500 प्रतिशत से अधिक बारिश इस राज्य में हुई है। प्रदेश के छोटे-बड़े 40 पुल बह गये। कई बड़े मकानों सहित 420 से अधिक मकान पूरी तरह तबाह गये एवं अनुमानित 2,322 मकानों को हानि पहुँची है। दर्ज़नों छोटे-बड़े वाहनों के बह जाने एवं सैकड़ों वाहनों के क्षतिग्रस्त होने की सूचनाएँ हैं।

पूरे राज्य में लाखों जन, हज़ारों पशु बाढ़ एवं बारिश से प्रभावित हुए हैं। 400 से अधिक पशुशालाएँ नष्ट हुई हैं। राज्य में अनुमानित 60 लाख से अधिक रुपये की पशुधन हानि एवं कई करोड़ की सम्पत्ति की हानि होने का अनुमान लगाया गया है। सैकड़ों लोग के जल प्रलय में फँसे होने की सूचना है, राहत में लगे दल उन्हें सुरक्षित निकालने में लगे हैं। हिमाचल सरकार के आकड़ों की माने तो, राज्य में बारिश के कारण 111 से अधिक लोगों की जान चली गई है, जबकि 16 लोग लापता हैं और 100 लोग घायल हुए हैं। राज्य भर में 492 जानवरों की मौत हो चुकी है। 1,300 सडक़ें बंद हैं, लगभग 4,500 करोड़ का नुकसान हो चुका है।

भूस्खलन एवं बाढ़ के कारण राज्य में 1,189 सडक़ें बंद करने की सूचना है। दर्ज़नों सडक़ें तबाह हो चुकी हैं। 3,737 जगहों पर जलापूर्ति बाधित है। लोक निर्माण विभाग को 710 करोड़ रुपये से अधिक, जल शक्ति विभाग को अनुमानित 1371.53 करोड़ से अधिक, बागवानी विभाग को 75 करोड़ रुपये से अधिक एवं शहरी विभाग को 6.47 करोड़ रुपये से अधिक हानि के समाचार मिले हैं। किसानों को करोड़ों रुपये, पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट को 1,261.89 करोड़ रुपये से अधिक की हानि का अनुमान है। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, मनाली, किन्नौर, मंडी, बिलासपुर, लुहणू एवं अन्य जनपदों में भारी तबाही मची है। 3,000 से अधिक पर्यटकों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुँचा दिया गया है। 5,000 से अधिक स्थानीय लोगों को भी निकालकर राहत शिविरों में पहुँचाने की सूचना है। बचाव कार्य चल रहा है। संवेदनशील एवं अति संवेदनशील क्षेत्रों को खाली करा दिया गया है। हिमाचल प्रदेश सरकार आपदा कोष का मुँह खोल चुकी है। केंद्र सरकार ने भी 180 करोड़ रुपये राज्य में राहत के लिए जारी किये हैं।