बहस में उलझे झारखण्ड के ज़मीनी मुद्दे

झारखण्ड में इन दिनों ओबीसी आरक्षण, स्थानीयता, सरना धर्म कोड, सीएए, एनआरसी, बांग्लादेशी घुसपैठ, लव जिहाद जैसे मामले छाये हुए हैं। इन सब के बीच अब नया मामला जातीय जनगणना का आ गया है। राजनीतिक दलों की राज्य में जातीय जनगणना कराने की माँग शुरू हो गयी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दो वर्ष पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र को सार्वजनिक कर भाजपा को घेर रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस समेत तमाम दल जातीय जनगणना के पक्षधर हैं। यहाँ तक कि एनडीए की सहयोगी आजसू ने भी खुलकर जातीय जनगणना कराने की वकालत की है।

विपक्षी दल भाजपा जातीय जनगणना पर बोलने से बचती हुई अन्य मुद्दों को लेकर राज्य सरकार पर हमलावर है। सवाल यह है कि क्या जातीय जनगणना समेत ये तमाम मुद्दे वाक़ई जनहित के हैं, या फिर राजनीतिक? जब इन मुद्दों का हल निकलेगा और लोगों को कितना लाभ मिला? इस आकलन के बाद ही यह जवाब मिल सकेगा। फ़िलहाल जो आसार दिख रहे हैं, उसमें तो जातीय जनगणना भी तमाम मुद्दों में राजनीति करने के लिए एक मुद्दा ही दिख रहा।

बिहार में नीतीश सरकार ने जातीय जनगणना का आँकड़ा जारी कर देश को एक नया राजनीतिक मुद्दा दे दिया है। पूरे देश में इसकी चर्चा है। $खासकर कांग्रेस ने इसे चुनावी मुद्दा बना लिया है। भाजपा इस मुद्दे पर थोड़ी बैकफुट पर है। झारखण्ड भी इससे अछूता नहीं है। यहाँ सत्तासीन झामुमो और कांग्रेस जातीय जनगणना कराने के पक्ष में है। एनडीए यानी भाजपा में सहयोगी आजसू भी हिमायती बना दिख रहा। वहीं भाजपा, विहिप और बजरंग दल के नेता जातीय जनगणना पर बोलने से बच रहे हैं। वे इसकी जगह स्थानीयता, लव जिहाद और बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठा रहे हैं। विश्व हिन्दू परिषद् के केंद्रीय मंत्री सह केंद्रीय धर्माचार्य सम्पर्क प्रमुख अशोक तिवारी 8 अक्टूबर को रांची आये हुए थे। एक कार्यक्रम के दौरान तिवारी ने कहा कि झारखण्ड सहित पूरे देश में लव जिहाद और धर्मांतरण बड़ी समस्या है। उनका यह बयान उस समय आया है, जब राज्य में लव जिहाद मामले में पहली बार कोई $फैसला आया है। दरअसल राष्ट्रीय शूटर तारा शाहदेव धर्म परिवर्तन मामले में सीबीआई कोर्ट ने 5 अक्टूबर को सज़ा सुनायी।

इसे राज्य का पहला लव जिहाद का मामला कहा जा सकता है। इस मामले के बाद ही लव जिहाद शब्द राज्य में चर्चा में आया था। उधर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी समय-समय पर बांग्लादेशी घुसपैठ बढ़ने की बात करने के अलावा कांग्रेस और झामुमो पर तुष्टिकरण का आरोप लगा रहे हैं। भाजपा विधायक अनंत ओझा पाकुड़ और साहिबगंज क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठ से क्षेत्र के डेमोग्राफी बदलने का मामला विधानसभा में उठाते रहते हैं।

इन सब को लेकर भाजपा राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) और संशोधित नागरिकता क़ानून (सीएए) की बात कर रही। बाबूलाल मरांडी इन दिनों पूरे राज्य में संकल्प यात्रा निकाल रहे हैं। उन्होंने जमशेदपुर में 10 अक्टूबर को एक सभा में कहा कि भाजपा राज्य में सत्ता में आने पर भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देगी। इधर झारखण्ड में भी बिहार की राह पकड़ने का दबाव बन रहा है। राज्य में कांग्रेस और राजद के सहयोग से झामुमो के नेतृत्व में सरकार चल रही है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा है कि हमारे नेता राहुल गाँधी ने सा$फ कह दिया है, जातियों को उनकी जनसंख्या के आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए। सूत्रों की मानें, तो आगामी विधानसभा सत्र में जातीय जनगणना कराने का प्रस्ताव पारित करने का दाँव गठबंधन सरकार चल सकती है। सरकार इसे कैसे और कब कराएगी? यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा।

स्थानीयता हो या ओबीसी आरक्षण या फिर जातीय जनगणना, हर मामले की गेंद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन केंद्र सरकार के पाले में डाल रहे हैं। बिहार में जातीय जनगणना का आँकड़ा जारी होने के बाद हेमंत सोरेन ने कहा कि मैं तो बीते दो साल से जातीय जनगणना की बात कर रहा हूँ। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो साल पहले लिखे पत्र की बात को सार्वजनिक किया। हेमंत सोरेन ने कहा कि जातीय जनगणना को लेकर 2021 से ही प्रयास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि पिछड़े वर्ग के लोगों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराने में ये आँकड़े सहायक सिद्ध होंगे। हालाँकि झारखण्ड में अभी जातीय जनगणना तत्काल होने के आसार कम हैं। क्योंकि आधा अक्टूबर बीत चुका है। अब दशहरा, दीपावली, छठ जैसे त्योहार शुरू हो जाएँगे, जो दिसंबर में क्रिसमस तक जारी रहेंगे। इसके बाद फरवरी-मार्च, 2024 से लोकसभा चुनाव के लिए मतदाता सूची का पुनरीक्षण, चुनाव कर्मियों का प्रशिक्षण जैसे कार्यों शुरू हो जाएँगे। अप्रैल-मई तक लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद झारखण्ड में अक्टूबर-नवंबर, 2024 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो जाएगी। इन परिस्थितियों में 2024 में बनने वाली नयी केंद्र सरकार पर ही निर्भर करेगा कि वो जातीय जनगणना कराती है या नहीं।