भारतीय बैंकों का डूबा कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है. रिजर्व बैंक ने चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसे हालात देश को कड़ी चुनौती देंगे. फेडरल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा कि सितंबर 2015 तक भारतीय बैंकों की 5.1 फीसदी संपत्ति डूबी हुई थी. मार्च 2016 तक यह बढ़कर 7.1 फीसदी हो गई. अक्टूबर में रिटायर होने वाले रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने फंसे या डूबे कर्ज से मुक्ति पाने पर खास ध्यान दिया है. राजन डूबे कर्ज खातों को या तो बंद करना चाहते थे या फिर पैसा डकारने वालों को डिफॉल्टर की सूची में डालना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने 2017 की समयसीमा रखी थी. अपनी रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा है, ‘भारत का वित्तीय तंत्र टिकाऊ बना हुआ है, हालांकि बैंकिंग सेक्टर अहम चुनौतियां झेल रहा है.’ रिजर्व बैंक ने 2015 में बैंकों से अपनी संपत्ति की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने को कहा था. उसमें चौंकाने वाली बातें सामने आईं. वित्त मंत्री अरुण जेटली के मुताबिक सरकार डूबे कर्ज से बाहर निकलने के लिए बैंकों को 25 अरब रुपये पूंजी के तौर पर देगी.