बजट 2021-22 : सेहत पर ज़ोर, आम आदमी व मध्य वर्ग निराश

कोरोना काल में बजट 2021-22 में सेहत का खास ख्याल रखा गया है। स्वास्थ्य का बजट पिछले के 94 हज़ार करोड़ से बढ़ाकर 2,32,846 करोड़ रुपये कर दिया है। यानी स्वास्थ्य बजट में 137 प्रतिशत का इजाफा कर किया गया है। कोरोना टीकाकरण के लिए 35000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इससे उम्मीद की जा रही है कि सभी को कोविड-19 का मुफ्त टीका मिल सकता है।
आयकर के दायरे में आने वालों को कुछ नहीं मिला है। 75 से अधिक उम्र वालों को सशर्त आईटीआर से छूट देने का ऐलान किया है। कृषि सेस के नाम पर डीजल-पेट्रोल के दामों में इजाफे का का रास्ता ज़रूर खोल दिया है। मध्य वर्ग के लिए खुश होने के लिए कुछ नहीं है। किसानों के लिए आसान कर्ज उपलब्ध कराने के लिए अतिरिक्त राशि की व्यवस्था और मंडियों को मजबूत करने की बात कही गई है। रक्षा बजट और रेलवे का बजट भी बढ़ाया गया है। पर कोई नई रेलगाड़ी का ऐलान नहीं किया गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना सबसे छोटा बजट भाषण पेश करते हुए बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी करने का ऐलान किया। कई और सरकारी संस्थाओं के निजीकरण का रास्ता खोला। रेलवे के लिए 1.14 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया। 100 नए सैनिक स्कूल और लेह में केंद्रीय विश्वविद्यालय खोलने का भी निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया।
वित्त मंत्री ने इस बजट में प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ योजना लांच की। इसके लिए बजट में 64 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो 6 साल में खर्च किये जायेंगे। 602 जिलों यानी देश के हर जिला स्तर पर एक प्रमुख स्वास्थ्य केंद्र, इंटीग्रेटेड हेल्थ लैब की स्थापना की जाएगी। नौ लैब के साथ ही सरकार ने चार नए वायरोलॉजी संस्थान की स्थापना करने का ऐलान किया है। हालांकि देश की विशाल आबादी को देखते हुए कई स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे नाकाफी बता रहे हैं। भविष्य का ख्याल रखते हुए बीमारियों को काबू करने और निगरानी में ज़रूर मदद मिल सकती है।
देश में 17 हजार हेल्थ सेंटरों की स्थापना की जाएगी। शहरी स्वच्छ भारत मिशन को और अधिक धार देने की घोषणा की गई है। इससे स्वास्थ्य पर आने वाले खर्च में कटौती होगी और लोगों को राहत मिलेगी। 2000 करोड़ रुपये स्वच्छ हवा के लिए भी रखे गए हैं। स्वच्छता मिशन पर भी खास ध्यान दिया गया है।