फिर चाँद की ओर भारत 

देश की बहुत महत्त्वाकांक्षी परियोजना है चंद्रयान-3

एक समय था, जब भारत की मानवीय कहानियों में बच्चे चाँद (चंद्रमा) को रोटी समझने की भूल करते थे। अब भारत चाँद पर उतरने की तैयारी कर रहा है। भारत के महत्त्वाकांक्षी ‘मिशन मून’ को फिर पंख लगे हैं। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) ने 14 जुलाई को देश के तीसरे मिशन मून ‘चंद्रयान-3’ को कामयाबी के साथ आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से प्रक्षेपित (लॉन्च) किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों को इसके लिए बधाई दी। हालाँकि वह इस दौरान फ्रांस की यात्रा पर थे।

40 दिन के बाद 23-24 अगस्त को चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर चाँद के दक्षिण ध्रुव पर उतरेंगे। ये दोनों 14 दिन तक चाँद पर प्रयोग करेंगे। भारत के चाँद मिशन के लिए चंद्रयान-3 बहुत ही महत्त्वाकांक्षी परियोजना है। चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे जब आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया, तो वहाँ उपस्थित वैज्ञानिकों और इसे देखने आये सैंकड़ों लोगों ने हर्षध्वनि के साथ इसका स्वागत किया।

चंद्रयान-2 की लैंडिंग के समय आयी दिक़्क़त और इसके नाकाम होने से लिए सबक़ के बाद वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का है। सितंबर, 2019 में चंद्रयान-2 मिशन के दौरान लैंडर विक्रम चाँद की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। यह भारत के लिए बड़ा झटका था।

चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट के तीन लैंडर/रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। सब उम्मीद कर रहे हैं कि 40 दिन बाद जब चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर चाँद के दक्षिण ध्रुव पर उतरेंगे और 14 दिन तक चाँद पर प्रयोग करेंगे, तो इससे अद्भुत जानकारियाँ दुनिया के सामने आएँगी।

चंद्रयान-3 क्या करेगा?

चंद्रयान-3 मिशन के साथ कई प्रकार के वैज्ञानिक उपकरण भेजे गये हैं। इनसे लैंडिंग साइट के आसपास की जगह में चंद्रमा की चट्टानी सतह की परत, चंद्रमा के भूकम्प और चंद्र सतह प्लाज्मा और मौलिक संरचना की थर्मल-फिजिकल प्रॉपर्टी की जानकारी मिलने में मदद हो सकेगी। चंद्रयान-3 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा जाएगा। मिशन को सफल करने के लिए इसमें कई अतिरिक्त सेंसर जोड़े गये हैं। इसकी गति को मापने के लिए इसमें एक लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर सिस्टम लगाया है।

चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग सफल रहती है, तो भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन चंद्रमा पर अपने स्पेसक्राफ्ट उतार चुके हैं। चंद्रयान-3 का बजट क़रीब 615 करोड़ रुपये है। चार साल पहले भेजे गये चंद्रयान-2 की लागत 603 करोड़ रुपये थी। हालाँकि इसकी लॉन्चिंग पर भी 375 करोड़ रुपये ख़र्च हुए थे। पहली बार भारत का चंद्रयान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा, जहाँ पानी के अंश पाये गये हैं। सन् 2008 में भारत के पहले चंद्रमा मिशन के दौरान की गयी खोज ने दुनिया को चौंका दिया था।

लॉन्चिंग के समय फ्रांस की यात्रा पर गये प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट में लिखा- ‘चंद्रयान-3 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय लिखा है। ये हर भारतीय के सपनों और महत्त्वाकांक्षाओं की ऊँची उड़ान है। ये महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं उनकी भावना और प्रतिभा को सलाम करता हूँ।’

“चंद्रयान-3 ने चाँद की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है। इसका प्रोपल्शन मॉड्यूल चाँद के ऑर्बिट में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन की स्टडी करेगा। मिशन के ज़रिये इसरो पता लगाएगा कि चाँद की सतह कितनी सिस्मिक है। इसके साथ ही चाँद की मिट्टी और धूल की भी स्टडी की जाएगी।“

एस. सोमनाथ

इसरो प्रमुख