प्रसार भारती का अपना भर्ती बोर्ड गठित

संघी विचारधारा के पुरुषों, महिलाओं को स्थायी रूप से किया जाएगा नियुक्त!

प्रसार भारती (भारत का लोक सेवा प्रसारक) ने 01 जुलाई, 2020 से अपना भर्ती बोर्ड गठित कर लिया है। प्रसार भारती (भारत का प्रसारण निगम) अधिनियम, 1990 की धारा-10 के तहत प्रसार भारती (ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) भर्ती बोर्ड नियम, 2020 की स्थापना के लिए 12 फरवरी, 2020 को केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने अधिसूचना जारी की थी। इसमें केंद्र सरकार में संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी के वेतनमान से कम वेतनमानों के विभिन्न पदों पर कर्मचारियों को नियुक्त करने का मार्ग प्रशस्त किया गया था।

इसके साथ ही अब आकाशवाणी और दूरदर्शन में मुख्य समाचार सेवाओं, प्रोग्राङ्क्षमग और इंजीनियङ्क्षमग विंग में भर्ती का रास्ता साफ हो गया है। इस कवर के तहत वर्तमान में मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के अनुबन्ध के आधार पर भर्ती किये गये आरएसएस पृष्ठभूमि वाले कॢमयों को नियमित किया जाएगा।

इस तरह संघी विचारधारा के पुरुषों और महिलाओं को स्थायी आधार पर नियुक्त करके एनडीए सरकार की सार्वजनिक संस्थानों पर चौतरफा सीधे हमले की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इसका एकमात्र उद्देश्य केंद्रीय सरकार के कामों की समीक्षा और उन पर नज़र रखने का रास्ता बन्द करना और फासीवादी तरीके से जनता के विचारों और दिमागों को सरकारी प्रचार मशीनरी पर नियंत्रण करके सभी आयामों और अभिव्यक्तियों में बदलना है।

प्रसार भारती भर्ती बोर्ड की नियुक्ति के साथ निगम में मानव संसाधन (एचआर) प्रभाग विघटित हो गया है और भर्ती बोर्ड को सचिवीय सहायता (संचालन व्यवस्था) प्रदान करने के लिए प्रतिस्थापित किया गया है। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएसई) और कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) को भी प्रसार भारती में संयुक्त सचिव स्तर से नीचे के कर्मचारियों की भर्ती की ज़िम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया है। इसके साथ ही चुनाव के ज़रिये सरकार में परिवर्तन के बाद कॉन्ट्रेक्ट पर बड़ी संख्या में रखे गये कर्मचारियों की जगह उपरोक्त नव-नियुक्त कर्मचारियों को रखने की प्रक्रिया का निराकरण भी कर लिया गया है। यह केंद्र में सत्ता बदलने के बावजूद आकाशवाणी और दूरदर्शन में संघ विचारधारा के लम्बे समय तक असर को भी सुनिश्चित करेगा।

प्रसार भारती भर्ती बोर्ड में जगदीश उपासने की अध्यक्षता में छ: सदस्य होंगे। उपासने वर्तमान में भारत प्रकाशन के निदेशक हैं और माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके हैं। वह आरएसएस के साथ जुड़े हुए हैं और उनकी नियुक्ति से आने वाले समय में चीज़ें कैसी रहेंगी, इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय में संयुक्त सचिव (बी-2) बोर्ड के पदेन सदस्य होंगे। बोर्ड के चार अन्य सदस्यों में दीपा चंद्रा- सेवानिवृत्त अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) कार्यक्रम, प्रसार भारती; पी.एन. भक्त- सेवानिवृत्त एडीजी (इंजीनियङ्क्षरग), प्रसार भारती; किम्बुओंग किपगेन- सचिव, सार्वजनिक उद्यम चयन बोर्ड (पीईएसबी) और चेतन प्रकाश जैन- महाप्रबंधक, मानव संसाधन (एचआर), रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल। भर्ती बोर्ड 12 फरवरी, 2020 के सूचना और प्रसारण मंत्रालय की जारी अधिसूचना के अनुसार, खण्ड-5 के तहत निर्धारित अपने कर्तव्य के चार्टर के अनुसार कार्य करेगा।

प्रसार भारती भर्ती बोर्ड का गठन आकाशवाणी और दूरदर्शन में केंद्र की वर्तमान में एक व्यक्ति की सरकार की रणनीति को हिटलरी अंदाज़ में पूरी तरह थोपने में मदद करेगा। पहले ही अन्य सार्वजनिक संस्थान जैसे न्यायपालिका, चुनाव आयोग, यूपीएससी, सीएजी, सीबीआई, एनआईए, ईडी, आयकर प्राधिकरण, आरबीआई, सभी नियामक प्राधिकरण और अन्य, सरकार के आदेशों के अनुसार चल रहे हैं और कानून आधारित संवैधानिक लोकतांत्रिक शासन और सार्वजनिक जवाबदेही के नियम को कमज़ोर कर रहे हैं। वे ऐसा करके लोकतंत्र की होली जला रहे हैं और इन्हें केवल चुनाव केंद्रित करने के लिए काम कर रहे हैं। हालाँकि सच यह भी है कि सार्वजनिक प्रसारक की समाचार सेवाएँ हमेशा उस समय की सरकार के समर्थक जैसी रही हैं।