प्रदेश का विकास राजधानी से नहीं

छत्तीसगढ़ को कभी ”धान का कटोरा’’ कहा जाता था। आज नए प्रदेश छत्तीसगढ़ की अपनी राजधानी है नया रायपुर में। एक प्रदेश का विकास उसकी राजधानी देखकर नहीं लगाया जा सकता क्योंकि राजधानी का वैभव सरकारी होता है। यानी राज्य की असीमित धन राशि से सुंदर चमचमाती सड़कें, नई लग्जरी कारें, सड़कों पर रोशनी और साफ-सुथरी अलीशान इमारतें। अभी पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की पहली प्रचार रैली में शुक्रवार (9 नवंबर) को कहा, ‘कांग्रेस को नक्सलियों के खिलाफ बोलना चाहिए। नक्सलवाद शैतान मनोवृति वाला राक्षस है। उन्होंने कहा कि राज्य की पूर्ववर्ती सरकारों ने बस्तर क्षेत्र के विकास के लिए काम नहीं किया। कांग्रेस आदिवासियों का मखौल उड़ाती है। उन्होंने कहा बस्तर को बचाना है। बस्तर के नौजवानों का भविष्य बदलना है। दूरदर्शन के हमारे कैमरामैन अच्युतानंद साहू यहां कैमरे में लोकतंत्र को उतार रहे थे। वे मारे गए।

उधर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पंखाजूर नगर में एक बड़ी जनसभा में कहा राज्य की रमनसिंह सरकार ने गद्दी संभालने से पहले राज्य के किसानों से जो वादे किए थे उन्हें ही वह भूल गई। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री ने वादा किया था कि वे हर व्यक्ति के खाते में 15 लाख रुपए जमा कर देंगे। उन्होंने 100 करोड़ लोगों को रोजग़ार देने और कृषि कजऱ् काफ करने का वादा किया था। लेकिन इनमें से एक भी वादा पूरा नहीं किया गया।

उन्होंने रमनसिंह सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, ‘राज्य में कथित चिट फंड घोटालों में 15 हजार करोड़ रुपए का घोटाला हुआ। साथ ही नागरिक आपूर्ति घोटालों की जांच क्यों नहीं कराई जाती। उन्होंने कहा कि राज्य में कांग्रेस की यदि सरकार बनी तो दो साल का बकाया बोनस दिया जाएगा जिसकी घोषणा रमनसिंह सरकार ने की लेकिन उसे दिया नहीं। उन्होंने कहा, किसानों से धान रुपए 2500 प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जाएगा। साथ ही किसानों को हर साल खरीदे गए धान पर बोनस भी दिया जाएगा। राज्य में बढ़ती अशिक्षा को दूर करने के लिए उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग में सभी खाली पद भरे जाएंगे। नोटबंदी पर उन्होंने कहा कि उसके कारण आज गरीब महिलाएं, छोटे व्यापारी और आम लोग परेशान हैं। छोटे-मोटे रोजग़ार खत्म हो गए।

छत्तीसगढ़  में लगातार 15 साल से भाजपा की सत्ता संभाल रहे डाक्टर रमन सिंह अपने कार्यकाल से पूरी तौर पर संतुष्ट हैं। उनका कहना है कि बस्तर में नक्सलियों के प्रति काफी नाराजग़ी और गुस्सा है। सत्ता में आने पर उनकी कोशिश यहां शांति लाने की होगी।

राज्य निर्वाचन आयोग और नक्सलियों के बीच पोस्टरवार काफी दिलचस्प है।  निर्वाचन आयोग ने बड़े-बड़े बैनर,  पोस्टरों में ‘वोट पैंडम’ (वोट उत्सव) मनाने के लिए मतदान में भाग लेने की अपील की हैं कई मतदान केंद्रों को तो भव्य मंदिर की तरह सजाया भी गया है। उधर नक्सलियों ने दंतेवड़ा और सुकुमा के भीतरी  इलाकों में अपने पोस्टर लगा कर लोगों से मतदान में भाग न लेने की अपील की है।

छत्तीसगढ़ में दो चरणों में चुनाव होने हंै। पहले चरण में विधानसभा की 18 सीटों और शेष 72 सीटों के लिए 20 नवंबर को वोट पडेंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहरी नक्सलियों पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि ये लोग नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रिमोट कंट्रोल से आदिवासी बच्चों का जीवन तबाह कर रहे है। वें उन्हें कलम की जगह बंदूकें थमा रहे हैं। जबकि अपने बच्चों को वे विदेश में पढ़ाते हैं।

छत्तीसगढ़ में पहले चरण में 70 फीसद मतदान

छत्तीसगढ़ के कथित माओवादी इलाकों के 18 विधानसभा क्षेत्रों में 70 फीसद मतदान 12 नवंबर को हुआ। छत्तीसगढ़ में संपन्न पहले चरण के मतदान के साथ ही पांच राज्यों की विधान सभाओं में मतदान का सिलसिला शुरू हो गया। इस चुनाव को चुनावी पंडित अगले साल होने वाले आम चुनाव का सेमीफाइनल बता रहे हैं। चुनाव आयोग के अनुसार मतदान फीसद में और भी बढ़ोतरी की संभावना है। माओवादियों ने जनता से चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा न लेने के लिए कहा था लेकिन उनकी अपील पर जनता ने ज्य़ादा ध्यान नहीं दिया। सुरक्षा सैनिकों ने भी मतदान के इच्छुक लोगों को पूरी मदद दी