नोटबंदी बड़ा घोटाला : विपक्ष

एक वीडिओ जारी कर किया दावा, कंटेंट की प्रमाणिकता अभी सवालों में

चुनाव के पास देश के विपक्षी नेताओं ने मोदी सरकार पर सनसनीखेज आरोप लगते हुए नोटबंदी के नाम पर देश के साथ गद्दारी करने का गंभीर आरोप लगाया है। अपनी बात को प्रमाणित करने के लिए एक प्रेस कांफ्रेंस में विपक्षी नेताओं ने एक वीडियो भी जारी किया है और दावा किया है इसमें कथित रूप से भाजपा नेताओं, कुछ बैंकर्स का स्टिंग किया गया है और यह वीडियो दिसंबर, २०१६ का है।
वैसे विपक्ष के नेताओं ने इस वीडियो की सत्यता पर अभी कोइ दावा नहीं किया है, यानी इसके कंटेंट की प्रमाणिकता सही है या गलत इसपर इन नेताओं ने कोइ दावा नहीं किया है। एक साझे ब्यान में विपक्षी दलों ने दावा किया कि ”यह वीडियो पत्रकारों ने मिलकर नोटबंदी की खास जांच (स्टिंग) के दौरान बनाया है।” साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के कपिल सिब्बल, रणदीप सुरजेवाला, अहमद पटेल, गुलाम नबी आज़ाद, मल्लिकार्जुन खड़गे, राजद के मनोज झा, शरद यादव उपस्थित थे।
प्रेस कांफ्रेंस में कपिल सिब्बल ने कहा – ”कुछ चौकीदारों ने देश के साथ गद्दारी की है और आम आदमी की जेब से पैसा छीन लिया है।” इस वीडियो में दिखाया गया कि पांच करोड़ के ५०० के नोट आए और तीन करोड़ के २००० के नोट दे दिए गए, ये सभी ३१ दिसंबर, २०१६ के बाद हुआ, ऐसा विपक्ष का दावा है।
सिब्बल ने यह भी कहा कि वह इस वीडियो की पुष्टि नहीं कर सकते हैं। न ही वह कह रहे हैं कि ये वीडियो उनका है। उन्होंने कहा – ”ये वीडियो उन्हें एक वेबसाइट से मिला है, जिसमें कुछ चौंकाने वाली बात सामने आई हैं। हम चाहते हैं कि इस वीडियो में जो दिखाया गया है, उसकी जांच हो। केंद्र सरकार की ओर से ८ नवंबर, २०१६ को ५००  और १००० रुपये के नोटों को बंद कर दिया गया था। पीएम नरेंद्र मोदी ने ही नोटबंदी का ऐलान किया था। तभी से विपक्षी पार्टियां इसके खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।”
उधर कांग्रेस मीडिया सेल के इंचार्ज रणदीप सुरजेवाला ने एक ब्यान में कहा कि नोटबंदी स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा घोटाला है। ”इस घोषणा से प्रधानमंत्री का मकसद भाजपा को समृद्ध करना और गरीब जनता को उनकी मेहनत की कमाई से वंचित करना था। अमीरों को आहत पहुँचाने के नाम पर, भाजपा ने खुद को समृद्ध किया।”
प्रेस नॉट के मुताबिक माना जाता था कि डिमोनेटाइजेशन का मकसद  आतंकवाद, काला धन, जाली मुद्रा और भ्रष्टाचार को मिटाना था |  लेकिन इनका असली उद्देश्य तो देश का खज़ाना लूटना था। ”वास्तव में डिमोनेटाइजेशन एक बहुत बड़ा खोटाला है, जिसने काले धन के अवैध लेन-देन में मदद की |”
 सुरजेवाला ने कहा – ”इस तरह के लेन-देन न केवल गुजरात में, बल्कि पूरे देश में हुए । ऐसा ही एक एपिसोड महाराष्ट्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन के गोदाम में काले धन को बदले जाते हुए दर्शाता है । डिमोनेटाइजेशन, भाजपा के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक को लूटने और भारत की गरीब जनता को दंडित करने का एक ज़रिया था |”
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि ”हम आने वाले कुछ हफ़्तों के अंदर इस घोटाले के कुछ और डिटेल्स का खुलासा करेंगे, जिसमें कथित रूप से बैंकर्स, पब्लिक ऑफिशल्स, भाजपा के नेता और कार्यकर्ता और कई अन्य लोग शामिल हैं, जिनके बिना यह संभव नहीं था। इन एपिसोड्स में हम भारतीय रिज़र्व बैंक के कामकाज पर भी प्रकाश डालेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारी इस प्रकरण में  किस हद तक शामिल थे, ये आगे की जांच का विषय है | यह स्पष्ट है कि भाजपा में शीर्ष पर बैठे कई व्यक्ति कथित रूप से इस उद्यम में शामिल थे। जैसे ही इन टेप्स के कंटेंट्स प्रमाणित हो जाते है, यह स्पष्ट हो जाएगा कि जिम्मेदार लोगों ने देशद्रोह का कार्य किया है।”