दबे पांव आते आतंक से हर पल सजगता ज़रूरी

गिरजाघर और होटलों में धमाके:तीन सौ मरे

तकरीबन दस दिन बीते। पूरा श्रीलंका भयंकर शोक में है। अप्रैल में ईस्टर का रविवार एक ऐसी भयानक सुबह थी जब सूरज की तपिश बढ़ रही थी और ज़मीन पर लगभग हर कहीं धमाके हो रहे थे। हर कहीं खून, दहशत, भागदौड़, रोना-बिलखना। तीन गिरजाघरों में लोग आए थे प्रार्थना के लिए तभी हुए धमाके। तीन पांच सितारे होटलों में पहुंचे थे अलग-अलग आत्मघाती विस्फोटक मानव। लोग कतार में नाश्ते के लिए खड़े थे। अचानक ज़ोरदार धमाका। कोई कुछ समझता तब तक सब कुछ राख। हर कहीं खून, गोश्त के लोथड़े और कपड़े। बस।

श्रीलंका सरकार का मानना है कि नए किस्म का यह आतंकवाद है। इससे निपटने के लिए संविधान में हेर फेर भी करना पड़ सकता है। तकरीबन 253 लोग मारे गए। तमिल आतंकवाद से कहीं अलग है यह। प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे बड़े $गमगीन कहते हैं। सूचना आई थी लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया। अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन आईएसआईएस ने घटना के 72 घंटों के बाद जिम्मेदारी ली है। दावा किया न्यूजीलैंड मेें हुए हादसे की यह जवाबी र्कावाई है।

गिरजाघरों में लोग अपनी खुशी-$गम बांटने के साथ ही प्रभु को याद करने ही तो गए। माताओं के साथ बच्चे थे, परिवार था। सामूहिक प्रार्थना सभा में मौजूद था आत्मघाती मानव। कितना ताकतवर था वह धमाका। गिरजाघर की ऊँची छतें उखड़ गई। न जाने कहां गिरीं।

राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने पूरे देश में इमरजेंसी घोषित कर दी थी। पूरे देश में आतंकवादी ठिकानों की खोज शुरू हुई। एक फैक्ट्री पर गोलाबारी की गई। पंद्रह मारे गए। इन में पांच बच्चे भी थे। फैक्ट्री से बड़े पैमाने पर हथियार, गोला-बारूद, आईएसआईएस के झंडे बरामद हुए।

श्रीलंका की स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डाक्टर अनिल जयसिंधे कहते हैं कि हमने अपनी छानबीन में पाया कि धमाकों में मारे गए लोगों की तादाद लगभग 253 है। उन्होंने कहा कि शुरू की भगदड़ चीख-पुकार में जो आंकडे आए थे वे 359 लोगों के मरने की तादाद बता रहे थे। लेकिन छानबीन के बाद अब तक 253 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है। श्रीलंका सरकार ने पूरे देश में मुस्लिम महिलाओं पर बुर्का पहनने पर रोक लगा दी है। मुल्ला-मौलवियों ने इसे अस्थाई मान कर समर्थन दिया है।

राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने बताया कि रक्षा सचिव हेमश्री फरनांदो ने अपना इस्तीफा भेज दिया है। पुलिस प्रमुख पुजिय जय सुंदरा को अपने अपने पद से इस्तीफा देने को कहा है। उन्होंने क्योंकि इस्तीफा देने से इंकार कर दिया है इसलिए वे छुट्टी पर भेजे गए। एक डिप्टी आई जी अब बतौर कमिश्नर नियुक्त हुए हैं। धमाकों का होना और हथियारों की बरामदगी बदस्तूर जारी है। पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि राजधानी के पूर्व में एक धमाका हुआ लेकिन उसमें कोई मारा नहीं गया। पुलिस ने जनता को सलाह दी है कि वे अपने कार्यलयों से जल्दी लौट जाए जिससे कभी वे भीड़ का हिस्सा न बनें। सेंट्रल कोलंबों के रेस्टोरेंट भी इसलिए अब जल्दी ही बंद हो जाते हैं।

श्रीलंका सरकार ने 39 देशों के यात्रियों को आने पर वीजा देने की प्रक्रिया फिलहाल रोक दी है। भारत समेत कई देशों ने अपने नागरिकों को श्रीलंका न जाने की सलाह दी है। ईस्टर संडे (21 अप्रैल) का दिन पूरे श्रीलंका के लिए भयावह था। पूरे देश में तकरीबन आठ धमाके हुए। अधिकारियों को अंदेशा है कि दो या तीन धमाके और हो सकते हैं, कहीं भी। गिरफ्तारियां पंद्रह से ज्य़ादा हुई हैं और रात तक सात कथित अभियुक्त गिरफ्तार किए गए हैं।

राष्ट्रपति सचिवालय के सलाहकार और समन्वंय अधिकारी शिराल लक्थिलका ने जानकारी दी कि पुलिस ने संदेहास्पद तरीके से नज़र आ रहे सात लोगों को अपने घेरे में लिया है। ये एक गाड़ी में थे और कोलंबों के सिनॉमॉन ग्रैंड होटल में धमाके से पहले गिरफ्तार किया है। इस तरह एक के बाद दूसरा (सीरियल)धमाका पहले कभी नहीं देखा गया। यहां तक कि जब श्रीलंका में तमिल टाइगर (लिट्टे) से कड़ा युद्ध हो रहा था। अलबत्ता नाईजीरिया में ज़रूर ऐसा ही हमला (2011) में हुआ। उन्होंने बताया कि हमने तत्काल उस गाड़ी को कोलंबों के उत्तरी इलाके में एक अपार्टमेंट के परिसर में बरामद कर लिया। सुरक्षा दस्तों ने पूरे अपार्टमेंट को घेरे मेें ले लिया जब तीसरी मंजिल पर अधिकारी तलाशी के लिए एक फ्लैट में घुसने को थे तभी कहीं से एक सुसाइड बांबर ने धमाका किया। इसमें स्पेशल टास्क फोर्स के एक अधिकारी और दो कांस्टेबल मारे गए। जो इस छानबीन टीम में थे।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस घटना के संदर्भ में तमाम तरह की छानबीन की जा रही है। हमारा संदेह उन अंतरराष्ट्रीय तत्वों पर भी है जो हमारे संदेह के घेरे में हैं।

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार यह जानकारी मिली थी एक भारतीय और एक श्रीलंका के सूत्र से कि आतंकी हमला होने को है। ऐसा अनुमान है कि 11 अप्रैल को भारतीय हाई कमीशन ने चर्च को सजग किया गया था। इस चेतावनी में एक गुट का नाम भी उभरा। इसका नाम था नेशनल ट्हवीट जमात। जो इस्लाम शुद्धतावादी खुद को बताते थे। पूरे देश में सिंहल-तमिल नववर्ष के चलते 12 अप्रैल से बंदी सी थी। यानी किसी ने तब कोई ध्यान ही नहीं दिया। इस देश में पिछले एक दशक से शांति का माहौल रहा है। चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया जाता।

आतंकवाद पड़ोस में। नया शिकारगाह श्रीलंका। ईस्टर के रविवार की सुबह एक के बाद एक आठ धमाके। निशाना बने तीन ऐतिहासिक गिरजाघर और तीन बड़े होटल। तकरीबन तीन सौ लोग मारे गए। छह सौ से ज़्यादा घायल। होटलों में टिके 45 पर्यटक भी आए धमाके की चपेट में। सरकार को सजग रहने की चेतावनी थी। लेकिन वह सरकारी स्तर पर नजऱअंदाज की गई। फिर देश में जान-माल का भारी नुकसान। कोलंबों में कफ्र्यू। पूरे देश में अब आपातकाल। तीस साल की सिविल वार के दौरान भी पूरे देश में आपातकाल था। अब फिर।

जब लगभग यकीन हो रहा था कि तकरीबन दस साल पहले देश में तीस साल चली सिविल वार में लिट्टे की सैनिक पराजय के बाद अब देश में धीरे-धीरे शांति होगी, प्रगति होगी। अचानक धमाकों से दहल उठा कोलंबों। आत्मघाती दस्ते के लोगों ने रचा यह खेल। कामयाब रहे दहशत भड़काने में। लेकिन इस खूनी खेल के पीछे दस्ता कौन है इसका अभी खुलासा नहीं हुआ है। हालंाकि सरकारी प्रवक्ता ने स्थानीय संस्था का नाम ‘नेशनल तौहीद जमात’ का नाम ज़रूर लिया है। लेकिन वे खुद कहते हैं कि इस नए नाम से लगता नहीं कि आर्थिक तौर पर ये इतने सक्षम हैं कि ऐसी खूनी हरकत को अंजाम दे सकें। यानी यह खोल होगा। पीछे होंगी कई दूसरी बड़ी ताकतें। क्या मकसद है निर्दोषों के ऐसे खून-खराबे से?

श्रीलंका में आज दो करोड़ बीस लाख मुसलमान हैं। वहां सेक्युलर तस्वीर रही है। श्रीलंका के राजनीतिक दल सेक्युलर होने को देशहित में मानते हैं। लेकिन अब ईसाइयों के पीछे जो खूनी रंगत दिखी वह पूरे देश के लिए चेतावनी है।

श्रीलंका के कोलंबों में अलग-अलग स्थानों पर थोड़ी-थोड़ी देर बाद हुए आठ धमाकों से यहां का जनजीवन बहुत अस्त-व्यस्त हो गया। तीन सौ से ज़्यादा लोग मारे गए और 600 से ज़्यादा घायल हुए। इन धमाकों के लक्ष्य में कोलंबों का सेंट एंटोनी गिरजाघार, दक्षिणी समुद्री किनारे पर नेगोम्बो के सेंट सेमेस्टियन और पूर्वी इलाके के बटदीकलोआ का एक चर्च था। इन सब में ईस्टर के रविवार को सामूहिक प्रार्थना हो रही थी। तीन धमाके तो पांच सितारे होटल, शांग्रीला, सिनेमान ग्रेंड और किंग्सबरी पर हुए। इनमें टिके विदेशी पर्यटक और स्थानीय लोग चपेट में आ गए।

ज़्यादातर मौतें श्रीलंका के नागरिकों की हुई। इनमें बड़ी तादाद में ईसाइयों की थी जो ईस्टर पर जुटे थे। श्रीलंका के सिनामान ग्रैंड होटल में पहुंचा आत्मघाती विस्फोटक बड़ी शांति से ईस्टर रविवार को नाश्ते की कतार में खड़ा था। उसकी पीठ पर विस्फोटक बंधे थे। वह पिछली रात ही होटल में आया था। होटल के रजिस्टर में उसने अपना नाम मोहम्मद अज्जाम मोहम्मद लिखा। उसकी प्लेट पर जैसे ही खाना रखा जा रहा था तभी उसने धमाका कर दिया। उस समय वहां भीड़ भी थी।

होटल के एक प्रबंधक ने बताया कि होटल के ताप्रोबेन रेस्टोरेंट में सप्ताह के अंत और ईस्टर की छुट्टियों के चलते खासी भीड़ थी। सुबह के साढ़े आठ बज रहे थे। खासी चहल पहल थी। उनमें ज़्यादातर परिवार थे। कतार से आगे आते ही उसने धमाका कर दिया। हमारा एक प्रबंधक जो सभी के स्वागत में खड़ा था। वह भी मारा गया। धमाका करने वाला भी मरा। उसके शरीर के कुछ हिस्से जो ठीक-ठाक थे उन्हें पुलिस ले गई।

जानकारों के अनुसार धमाका करने वाला वह आदमी श्रीलंका का ही था। वह यहां से एक भले परिवार का नौजवान था। उसने अपना जो पता लिखा वह गलत था। उसने यही बताया था कि उसके आने का मकसद व्यापार था।

दूसरे दो होटल, शांग्री-ला, और किंग्सबरी में तभी उसी समय धमाके होने की खबरें आईं। तीन गिरजाघरों में ईस्टर संडे सर्विस के कारण काफी श्रद्धालु थे। सेंट एंटनी श्राइन तो ऐतिहासिक कैथोलिक गिरजाघर है। यहां हुए धमाके में तो इतनी ताकत थी कि छत का काफी हिस्सा भी उड़ गया। लकड़ी के टुकड़े नीचे गिरे। उस समय 35 विदेशियों की मौत हो गई। हर कहीं शोर था। घायलों को अस्पताल ले जाने की पहल की गई। तकरीबन बीस लोग बेहद गंभीर थे जिन्हें फौरन नेशनल अस्पताल में ‘एडमिट’ किया गया।

यह होटन श्रीलंका के प्रधानमंत्री के आधिकारी आवास के पास था। स्पेशल टास्क के कमांडों फौरन सक्रिय हुए। चश्मदीदों के अनुसार शांग्री-ला से दो ज़ोरदार धमाकों की आवाज़ सुनाई दी। कुछ लोगों के मारे जाने की खबर भी मिली। होटल से जारी बयान के अनुसार सुबह नौ बजे इसके टेबल वन रेस्टोरेंट में धमाके हुए। इस हादसे से हम बेहद दुखी हैं। जिन परिवारों पर इन हादसों का असर पड़ा है। उनके प्रति हमारी सहानुभूति है।

कोलंबों के महंगे और बेहतर पांच सितारा होटल में है किंग्सबरी। यह वल्र्ड ट्रेड सेंटर के एक दम पास है।

श्रीलंका सरकार ने नेशनल तौहीद जमात इस्लामी समूह को रविवार को हुए इन धमाकों के लिए जिम्मेदार बताया है। सरकार के प्रवक्ता और मंत्री राजिता सेनारत्ने ने सोमवार (22 अप्रैल) को जानकारी दी। वे श्रीलंका सरकार में मंत्री भी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार यह पता लगा रही है कि इस समूह को अंतरराष्ट्रीय समर्थन कहां से हासिल हो रहा है। इस संगठन को आर्थिक मदद कैसे मिलती है। इसकी भी छानबीन की जा रही है।

उन्होंने कहा, सहसा यह भरोसा नहीं होता कि एक छोटी सी संस्था इतने बड़े पैमाने पर ऐसा कर सकती है। यह भी पता कर रहे हैं कि ऐसे आधुनिक विस्फोटक कहां के हैं और कैसे इन तक पहुंचे। इन्होंने आत्मघाती मानव दस्ते कैसे और कहां तैयार किए। इनके प्रबंधक कौन हैं? उन्होंने कहा कि किसी भी समूह ने अब तक धमाकों की जिम्मेदारी नहीं ली है।

सेनारत्ने ने बताया कि विदेश से उनकी सरकार को किसी खुफिया एजेंसी से चार अप्रैल को यह जानकारी मिली थी कि आतंकी हमले का अंदेशा हैं। लेकिन प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे और राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना श्रीसेना के बीच उचित संपर्क न होने के कारण उस सूचना के संबंध में कोई ध्यान नहीं दिया जा सका। एक तरह से प्रधानमंत्री को इस मामले से बिलकुल अनजान रखा गया। सेनारत्ने ने माना कि इन धमाकों से जाहिर है कि श्रीलंका सरकार ने खुफिया सूचनाओं पर कोई सावधानी नहीं बरती।

राष्ट्रपति सचिवालय के परामर्शदाता और समन्वय अधिकारी शीरल लख्तिलाका ने कहा, जांच एजेंसियां इन हमलों के पीछे के छिपे मकसद का पता लगा रही हैं। यदि आप पिछला इतिहास देखेंगे तो दक्षिण एशिया में सक्रिय उग्रवादी संगठनों में लश्कर-ए-तोएबा और आईएसआईएस हैं। इन्होंने पहले कभी श्रीलंका को निशाने पर नहीं लिया। यह तय है कि विदेशी लोगों के उकसावे में स्थानीय तत्वों ने इस घटना को अंजाम दिया हो।

उधर श्रीलंका पुलिस ने कोलंबों के शांग्री-ला के विस्फोटक मानवों में से एक की पहचान कर ली है। इस धमाकों के सिलसिले में पकड़े गए 24 लोगों में से नौ लोगों को पुलिस ने चीफ मेजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया। ये लोग उस फैक्टरी में काम करते थे जिसका मालिक वह मानव विस्फोटक था। जो मारा गया और जिसकी पहचान इन लोगों ने की थी। आठ धमाकों में से सात को मानव विस्फोटक दस्ते ने अंजाम दिया था। इस दस्ते के छह लोगों का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। एक मानव विस्फोटक का कुछ आपराधिक इतिहास है। उसे शक के चलते एक क्रिमिनल कोर्ट में पेश किया गया। लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया गया। यह धार्मिक उग्रवादी अपराध का मामला है। ये सभी लोग श्रीलंका से अलग-अलग जि़लों से लाए गए थे। इस साल के शुरू में विस्फोटकों और डिटोनेटर का एक बड़ा जखीरा पुट्टलाम में मिला था। उस समय पुलिस ने चार लोगों को गिरफ्तार किया और कहा कि वे किसी स्थानीय उग्रवादी समूह के लोग हैं। इनमें से एक को बाद में छोड़ दिया गया।

सोमवार की आधी रात से पूरे देश में आपातकाल लगा दिया गया है। इससे पुलिस, सेना, नौसेना और वायुसेना को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार करने के अधिकार हैं। ये किसी को भी अदालत में बिना पेश किए रख सकते हैं। से सारी व्यवस्थाएं तब भी देश में लागू थीं जब देश में तीस साल गृहयुद्ध छिडा रहा। इस कदम की मंजूरी श्रीलंका सरकार की ससंद से मंगलवार को मिलेगी। सारी जांच पडताल में इंटर पोल भी सहयोग कर रहा है।

बारह भारतीय मारे गए

कोलंबों में ईस्टर रविवार को हुए धमाकों में 12 भारतीय भी मारे गए। इनमें सबसे ज्य़ादा जनता दल (एस) के सात कार्यकर्ता नेता थे। इनमें से एक कर्नाटक के मुख्यमंत्री के करीबी सहयोगी थे। ये अपने सहयोगियों के साथ पंच सितारा होटल शांग्रीला में टिके थे। जिसे एक आत्मघाती मानव विस्फोटक ने निशाना बनाया था।

अधिकारियों के अनुसार कर्नाटक में 18 अप्रैल को हुए चुनावों के बाद ये कोलंबों आ गए थे। मारे गए लोगों में व्यापारी भी थे। बंगलुरू के ग्रामीण जिला नेलामांगला और तुमकुर क्षेत्र के ये लोग जनता दल (एस) के नेता और पूर्व विधायक ईकृष्णप्पा के सहयोगी थे। जो लोग मारे गए उनमें लक्ष्मण गौंडा रमेश, केएम लक्ष्मी नारायण, एम रंगप्पा, के जी हनुमंतरियप्पा, एच शिवकुमार और ए मारेगौडा थे। इनमें हनुमंतरियप्पा की उम्र 50 साल की थी और वे रियल एस्टेट में थे। उनकी फर्म मातुश्री डेवलपर्स है। वे मुख्यमंत्री कुमार स्वामी के काफी करीब बताए जाते हैं। वे दक्षिण कर्नाटक के वोक्कलिगा समुदाय के एक बड़े नेता थे।

पारिवारिक लोगों के अनुसार मारे गौडा, हनुमंतरियप्पा और मुदृराजू प्राय: एक साथ विदेश यात्रा करते। जनवरी में ये लोग वियतनाम भी गए थे। ये सभी शादीशुदा और परिवार वाले हैं।