डिजिटलाइजेशन अभियान ज़ोरों पर, मगर ग्रामीणों के पास सिर्फ 4.4 फीसदी कम्प्यूटर

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के डाटा-विश्लेषण से पता चलता है कि डिजिटलाइजेशन के अभियानों के बावजूद देश में कम्प्यूटर रखने वालों की संख्या, खासतौर से ग्रामीण संख्या; बहुत कम है।

23 नवंबर, 2019 को जारी किये गये आँकड़ों से पता चलता है कि लगभग 4.4 फीसदी ग्रामीण परिवारों और 23.4 फीसदी शहरी परिवारों के पास कम्प्यूटर था। इसी तरह लगभग 14.9 फीसदी ग्रामीण परिवारों और 42.0 फीसदी शहरी परिवारों के पास इंटरनेट की सुविधा थी। ग्रामीण आबादी की कम्प्यूटिंग क्षमता भी बहुत कमज़ोर थी। कम्प्यूटिंग क्षमता को एक डेस्कटॉप, लैपटॉप, पामटॉप, नोटबुक, स्मार्टफोन और टैबलेट के संचालन के लिए उपयोगकर्ता की क्षमता के रूप में परिभाषित किया गया है। प्रमुख राज्यों में- केरल में सबसे अधिक कम्प्यूटिंग क्षमता है; जबकि छत्तीसगढ़ में सबसे कम। शहरी क्षेत्रों में, दिल्ली के बाद केरल दूसरे स्थान पर है। तमिलनाडु और पंजाब तालिका में मध्य में हैं। सामाजिक उपभोग और शिक्षा पर एनएसएस के आँकड़ों से मापी जाने वाली कम्प्यूटिंग क्षमता आदिवासी आबादी में सबसे कम पायी गयी है।

अध्ययन में पाया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में 5 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों में 9.9 फीसदी ही कम्प्यूटर संचालित करने में सक्षम थे, 13.0 फीसदी इंटरनेट का उपयोग करने में सक्षम थे और अध्ययन के पिछले 30 दिन के दौरान 10.8 फीसदी इंटरनेट का उपयोग करते थे। शहरी क्षेत्रों में 5 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों में 32.4 फीसदी कम्प्यूटर संचालित करने में सक्षम थे, 37.1 फीसदी इंटरनेट का उपयोग करने में सक्षम थे और 33.8 फीसदी ने पिछले 30 दिन के दौरान इंटरनेट का उपयोग किया था। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने घरेलू सामाजिक उपभोग को लेकर एक सर्वेक्षण किया है- एनएसएस के 75वें दौर के हिस्से के रूप के शिक्षा। इससे पहले भी इसी विषय पर 64वें दौर (जुलाई 2007-जून 2008) और 71वें (जनवरी-जून 2014) के दौरान सर्वेक्षण किये गये थे। एनएसओ देश में सांख्यिकीय प्रणाली के नियोजित विकास के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है। आँकड़ों के क्षेत्र में मानदंडों और मानकों को बनाये रखता है, जिसमें अवधारणाओं और परिभाषाओं, डाटा संग्रह की कार्यप्रणाली, डाटा के प्रसंस्करण और परिणामों का प्रसार शामिल है। यह भारत सरकार और राज्य सांख्यिकी ब्यूरो (एसएसबी) के मंत्रालयों/विभागों के सम्बन्ध में सांख्यिकीय कार्यों का समन्वय करता है और भारत सरकार के मंत्रालयों/विभागों को सलाह देता है।

यह अंतर्राष्ट्रीय सांख्यिकीय संगठनों, जैसे- संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकीय प्रभाग (यूएनएसडी), एशिया के लिए आर्थिक और सामाजिक आयोग और प्रशान्त (इएससीएपी), एशिया के लिए सांख्यिकीय संस्थान और प्रशान्त (एसआईएपी) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी), फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ), इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (आईएलओ) आदि के साथ सम्पर्क बनाये रखता है। यह गैर-सरकारी संगठनों और जाने-माने शोध संस्थानों को अनुदान सहायता जारी करता है। आधिकारिक आँकड़ों के विभिन्न विषय क्षेत्रों से सम्बन्धित विशेष अध्ययन या सर्वेक्षण, सांख्यिकीय रिपोट्र्स की छपाई और सेमिनार, कार्यशालाएँ और सम्मेलन आयोजित करना भी इसके कार्यक्षेत्र में शामिल है।

घरेलू सामाजिक उपभोग पर एनएसएस के 75वें दौर के सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य शिक्षा प्रणाली में 3 से 35 वर्ष की आयु के व्यक्तियों की भागीदारी पर संकेतक का निर्माण करना था। घर के सदस्यों की शिक्षा पर खर्च और शिक्षा में हिस्सा नहीं लेने वालों के विभिन्न संकेतक। पाँच वर्ष या इससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए पिछले 30 दिन के दौरान कम्प्यूटर संचालित करने की क्षमता, इंटरनेट का उपयोग करने की क्षमता और इंटरनेट का उपयोग करने की जानकारी भी एकत्र की गयी थी। इनके अलावा वर्तमान में 3 से 35 वर्ष की आयु के सदस्यों के सम्बन्ध में वर्तमान उपस्थिति और संबंधित व्यय के बारे में जानकारी प्राप्त की गयी थी।

वर्तमान सर्वेक्षण का दायरा पूरे देश तक था और केन्द्रीय नमूने के लिए 1,13,757 घरों (ग्रामीण क्षेत्रों में 64,519 और शहरी क्षेत्रों में 49,238) से 5,13,366 व्यक्तियों (ग्रामीण क्षेत्रों में 3,05,904) और 2,07,462 शहरी क्षेत्र) से एक वैज्ञानिक सर्वेक्षण पद्धति के बाद लोगों से डाटा एकत्र किया गया था। इस सर्वेक्षण में 3 से 35 वर्ष की आयु के लोगों की कुल संख्या 2,86,456 (ग्रामीण क्षेत्रों में 1,73,397 और शहरी क्षेत्रों में 1,13,059) थी।

सात वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों में साक्षरता दर 77.7 फीसदी थी। यह ग्रामीण इलाकों में 73.5 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 87.7 फीसदी थी। ग्रामीण क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों में 30.6 फीसदी ने माध्यमिक या उससे ऊपर की शिक्षा पूरी की, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 57.5 फीसदी थी। भारत में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के 10.6 फीसदी व्यक्तियों ने शिक्षा स्नातक और उससे ऊपर का स्तर पूरा किया था। यह ग्रामीण क्षेत्र में 5.7 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 21.7 फीसदी थी। 3 से 35 वर्ष की आयु के लोगों में 13.6 फीसदी ने कभी नामांकन नहीं किया, 42.5 फीसदी ने कभी दािखला लिया; लेकिन हिस्सा नहीं ले रहे थे, जबकि 43.9 फीसदी वर्तमान में हिस्सा ले रहे थे।

ग्रामीण क्षेत्रों में 15.7 फीसदी ने कभी नामांकन नहीं किया, 40.7 फीसदी ने नामांकन किया; लेकिन वर्तमान में भाग नहीं ले रहे थ,े जबकि 43.5 फीसदी वर्तमान में भाग ले रहे हैं। शहरी क्षेत्रों में 8.3 फीसदी ने कभी नामांकन नहीं किया, जबकि 46.9 फीसदी ने नामांकन किया; लेकिन वर्तमान में भाग नहीं ले रहे थे, जबकि 44.8 फीसदी वर्तमान में भाग ले रहे हैं। पुरुषों में 11.0 फीसदी ने कभी नामांकन नहीं किया, 42.7 फीसदी ने नामांकन किया; लेकिन वर्तमान में भाग नहीं ले रहे हैं, जबकि 46.2 फीसदी वर्तमान में भाग ले रहे हैं। महिलाओं में 16.6 फीसदी ने कभी नामांकन नहीं किया, 42.2 फीसदी ने नामांकन किया; लेकिन वर्तमान में भाग नहीं ले रही हैं, जबकि 41.2 फीसदी वर्तमान में भाग ले रही हैं। प्राथमिक स्तर पर शुद्ध उपस्थिति अनुपात (एनआर) 86.1 फीसदी था। यह आँकड़ा उच्च प्राथमिक/ मध्य स्तर पर 2.2 फीसदी और 72 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक/मध्य स्तर पर 89.0 फीसदी था। लगभग 96.1 फीसदी छात्र सामान्य पाठ्यक्रम का अनुसरण कर रहे थे और 3.9 फीसदी तकनीकी/व्यावसायिक पाठ्यक्रम अपना रहे थे। पुरुष छात्रों में लगभग 95.5 फीसदी सामान्य पाठ्यक्रम कर रहे थे और 4.5 फीसदी तकनीकी/व्यावसायिक पाठ्यक्रम में थे।

छात्राओं के मामले में लगभग 96.9 फीसदी सामान्य पाठ्यक्रम का अनुसरण कर रही थीं और 3.1 फीसदी तकनीकी/व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का। सामान्य पाठ्यक्रमों का अनुसरण करने वाले विद्याॢथयों में लगभग 55.8 फीसदी छात्र थे और 44.2 फीसदी छात्राएँ थीं। तकनीकी/व्यावसायिक पाठ्यक्रमों का अनुसरण करने वाले विद्याॢथयोंं में लगभग 65.2 फीसदी छात्र थे और 34.8 फीसदी छात्राएँ थीं। 3 से 35 साल के छात्रों को मुफ्त शिक्षा, मुफ्त या रियायती पाठ्य पुस्तकों और स्टेशनरी से सम्बन्धित संकेतक, जो वर्तमान में पूर्व-प्राथमिक और उससे ऊपर के स्तर पर हैं; में पाया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 57.0 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 23.4 फीसदी छात्र मुफ्त शिक्षा प्राप्त करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 15.7 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 9.1 फीसदी छात्रों ने छात्रवृत्ति/वजीफा/प्रतिपूर्ति प्राप्त की। ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 54.2 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 23.4 फीसदी छात्रों को मुफ्त/अनुदान प्राप्त पाठ्य पुस्तकें मिलीं। ग्रामीण क्षेत्र में 10.0 फीसदी और शहरी क्षेत्रों में 7.2 फीसदी छात्रों को मुफ्त/रियायती स्टेशनरी प्राप्त हुई। ग्रामीण क्षेत्रों में वर्तमान शैक्षणिक वर्ष में सामान्य पाठ्यक्रम के लिए प्रति छात्र औसत व्यय 5,240 रुपये था; जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 16,308 रुपये। ग्रामीण क्षेत्रों में वर्तमान शैक्षणिक वर्ष में तकनीकी/व्यावसायिक पाठ्यक्रम के लिए प्रति छात्र औसत व्यय 32,137 रुपये था; जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 64,763 रुपये था। करीब 4.4 फीसदी ग्रामीण परिवारों और 23.4 फीसदी शहरी परिवारों के पास कम्प्यूटर था। लगभग 14.9 फीसदी ग्रामीण परिवारों और 42.0 फीसदी शहरी घरों में इंटरनेट की सुविधा थी। ग्रामीण क्षेत्रों में 5 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों में 9.3 फीसदी कम्प्यूटर संचालित करने में सक्षम थे, वहीं 13 0 फीसदी इंटरनेट का उपयोग करने में सक्षम थे और पिछले 30 दिन के दौरान 10.8  फीसदी ने इंटरनेट का उपयोग किया था। शहरी क्षेत्रों में 5 वर्ष या उससे अधिक आयु के व्यक्तियों में 32.4 फीसदी कम्प्यूटर संचालित करने में सक्षम थे, 37.1 फीसदी इंटरनेट का उपयोग करने में सक्षम थे और 33.8 फीसदी ने पिछले 30 दिन के दौरान इंटरनेट का उपयोग किया था।