ठुमकों का नया ठौर

यह सुनकर कोई भी चौंक सकता है कि बॉलीवुड के कोरियोग्राफर अब फिल्मी दुनिया की बजाय टेलीविजन में डांस का भविष्य देख रहे हैं. कई महत्वाकांक्षी डांसरों की पहली पसंद टेलीविजन बन गया है. बॉलीवुड में सर खपाने की बजाय डांसर समय-समय पर आयोजित होने वाले शो में भागीदारी और बच्चों को ट्रेनिंग देने को तरजीह दे रहे हैं.

डैनी फर्नांडिस, कुंजन जानी और सैवियो बार्नेस ने दस साल पहले तब डांसिंग शुरू की थी जब वे किशोर थे. इन लोगों ने काम की शुरुआत सहयोगी डांसर के तौर पर की. उन्होंने फराह खान और सरोज खान जैसे नामी कोरियाग्राफरों के साथ काम किया. इन लोगों ने खुद म्यूजिक वीडियो कोरियोग्राफ भी किया. पर हमेशा इनका लक्ष्य यह रहा कि कभी असली मौका मिलेगा. दूसरी चीजों की तरह बॉलीवुड में कोरियोग्राफी का मौका भी कुछ किस्मत के धनी और पहुंच वाले लोगों को ही मिलता है. पिछले कुछ सालों से इन लोगों ने बॉलीवुड से उम्मीद रखना छोड़ दिया. नच बलिये के पहले सीजन के विजेताओं में शामिल ये लोग एक बार फिर से रियल्टी टेलीविजन पर आयोजित होने वाले डांस कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं. इस तिकड़ी ने बॉलीवुड का मोह इसलिए भी छोड़ा कि इसे पता चल गया था कि वहां क्या होता है. ये तीनों जो कहते हैं उसका लब्बोलुआब यह है कि नये प्रयोग करने की बजाय बॉलीवुड में किसी अमेरिकी पॉप गाने में दिखने वाले डांस की नकल कर ली जाती है. इसलिए कि इसकी जिद करने वालों को यह सुरक्षित विकल्प लगता है.

जब हम इनसे मिले तो यह तिकड़ी डांस के सुपरस्टार्स के लिए एक गाने को कोरियोग्राफ कर रही थी. डैनी का कहना था, ‘हमने इस गाने पर प्रस्तुति के लिए भावना और मयूरेश को इसलिए चुना कि इन दोनों ने पहले भी हवा में उछलने वाली प्रस्तुतियां दी हैं. मयूरेश एक योग्य मल्लखंभ डांसर है.’ मल्लखंभ भारतीय मार्शल आर्ट का एक प्रकार है और इसमें खंभे और रस्सी के सहारे प्रस्तुति दी जाती है. भावना और मयूरेश हवा में जिस तरह से नाचते हैं उसे डैनी ‘सिल्क क्लॉथ एेक्ट’ कहते हैं. क्योंकि छत से लटक रहे सिर्फ दो सिल्क पैनलों की मदद से दोनों अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं. यह प्रस्तुति जितनी अच्छी लगती है उतनी ही खतरनाक भी. इसके अलावा इसमें काफी मेहनत की झलक भी मिलती है.

प्रेरणा के लिए यह तिकड़ी एस्टड डेबो जैसे बड़े और आधुनिक कोरियोग्राफरों की तरफ देखती है लेकिन आम तौर पर यह यूट्यूब पर मुख्यधारा के कलाकारों के वीडियो पर भी काफी गौर करती है. मैडोना, जस्टिन टिंबरलेक और अशर के वीडियो खास तौर पर इन्हें पसंद हैं, खासकर हिपहॉप की प्रेरणा लेने के लिए. उनका सपना एक ऐसी विशाल नृत्य नाटिका बनाने का है हिपहॉप और पॉप नृत्य शैली के अलावा हवा और पानी में ढेर सारी कलाबाजियां देखने को मिलें.

क्या युवा और प्रतिभाशाली कोरियोग्राफरों को मौका नहीं देकर बॉलीवुड खुद को डांस के मामले में जड़ता की ओर ले जा रहा है? टेरेंस लेविस तो ऐसा ही मानते हैं. पिछले 15 साल से डांसिंग का प्रशिक्षण देने वाले लेविस ने कुछ फिल्मों की कोरियाग्राफी भी की है. इनमें रामगोपाल वर्मा की नाच भी शामिल है. लेविस अभी कोरियाेग्राफी तो करते ही हैं साथ में जी टीवी पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम ‘डांस इंडिया डांस’ में जज की भूमिका में भी हैं. शिकायती लहजे में वे कहते हैं, ‘या तो हमें नये लोगों की जरूरत है या फिर ऐसे स्थापित कोरियोग्राफरों की जो अपनी सुविधा को छोड़कर अलग प्रयोग कर सकें. कोरियोग्राफरों को अपने प्रदर्शन का दायरा बढ़ाना चाहिए और कलाकारों को भी रिहर्सल करने और नयी चीजों को सीखने के लिए कहना चाहिए. आजकल लोग नहीं नाचते हैं बल्कि यह काम कैमरा करता है.’ लेविस आगे कहते हैं, ‘मुझे टेलीविजन पर जो सफलता मिली, उससे मुझे संतुष्टि मिलती है क्योंकि यहां काफी प्रयोग की गुंजाइश है और नयी प्रतिभाओं को देखने का मौका मिलता है. टीवी पर डांसिंग का स्तर काफी ऊंचा होता है.’ वे इस बात को स्वीकार करते हैं कि अब उन्हें कभी-कभार ही फिल्मों में काम का मौका मिलता है. लेविस बताते हैं , ‘ज्यादातर समय मेरे पास काम नहीं होता. क्योंकि मैं समकालीन नृत्य को लेकर कुछ प्रयोग करना चाहता हूं लेकिन इसके लिए रिहर्सल करने वाला कलाकार भी तो चाहिए.’

लेविस का असंतोष इस बात को साबित करता है कि स्थापित कोरियाग्राफरों को भी अब बॉलीवुड में बने रहने के लिए अपनी क्रिएटिविटी की कुर्बानी देनी होगी. हालांकि, बॉलीवुड में कुछ ऐसे लोग हैं जो सब कुछ सही होने का दंभ भर रहे हैं. स्लमडॉग मिलेनियर के ‘जय हो’ से नाम कमाने वाले लांगिनस फर्नांडिस इन्हीं लोगों में से एक हैं. वे कहते हैं, ‘दर्शक ही तय करते हैं कि क्या हिट होगा. झटके इसलिए लोकप्रिय हैं क्योंकि लोग इन्हें पसंद करते हैं. बॉलीवुड की मानसिकता को समझना जरूरी है. शायद सौ में कोई एक इसे समझ पाता है.’

फर्नांडिस खुद के व्यावहारिक बनने के पीछे की कहानी भी बताते हैं. वे कहते हैं, ‘मैं मोक्ष फिल्म के लिए ‘जानलेवा’ गाना कोरियाग्राफ कर रहा था और इसमें मैं बरछी का इस्तेमाल करना चाहता था. मैं चाहता था कि डांसर्स इसे खास ढंग से इस्तेमाल करें. पर मुझे बताया गया कि ऐसा करने के लिए पर्याप्त समय नहीं है. इसके बाद हमने सिर्फ छोटे-छोटे ऐसे प्रतीकों का इस्तेमाल किया. इसी गाने में मैं चाहता था कि अर्जुन रामपाल एक जटिल डांस स्टेप करें लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें ज्यादा वक्त चाहिए. हमारे पास वक्त था नहीं और मैं जैसा चाह रहा था, वैसा हुआ नहीं. हालांकि, यह गाना बहुत अच्छा बना लेकिन उस दिन मुझे यह अहसास हुआ कि आप सब कुछ नहीं चाह सकते. आपको समझौता करना पड़ेगा. अगर ऋतिक रोशन जैसा अभिनेता हो तो मैं अपनी कोरियोग्राफी में सारे प्रयोग कर सकता हूं.’

बॉस्को-सीजर कोरियोग्राफर युगल ने थ्री इडियट्स, लव आज कल और जब वी मेट के लिए काम किया है. इस जोड़ी के बॉस्को थोड़े उम्मीद से भरे हुए हैं. उनका कहना है, ‘बॉलीवुड में कोई नियम नहीं है. इसलिए आप हर तरह के प्रयोग कर सकते हैं. पर कलाकारों और समय की अपनी सीमा है. हम गानों में ऐसे स्टेप इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं जो लोगों को अच्छे लगें या फिर पुराने तरीके पर ही निर्भर रहते हैं. इसका मकसद यह है कि डांस लोगों को पसंद आए और लोग झूमें.’ डांस स्टेप जितने सरल होंगे उतना ही अधिक लोग इसे पसंद करेंगे. क्योंकि लोग किसी गाने के डांस स्टेप को इस आधार पर पसंद या नापसंद करते हैं कि वे अगली पार्टी में उस डांस स्टेप को खुद कर सकते हैं या नहीं.

हर कोई वादा करता है कि एक बार मौका मिलने पर वे सब कुछ बदल देंगे. यह बात इनसे पहले भी बहुत लोगों ने कही थी. उम्मीद है कि नये लोग अपना वादा निभाएंगेबॉस्को की राय से गीता कपूर भी सहमति जताती हैं. कपूर ने साथिया और कभी खुशी कभी गम जैसी फिल्मों के लिए कोरियोग्राफी की है. उन्होंने लंबे समय तक फराह खान के साथ भी काम किया है. शीला की जवानी में भी कपूर फराह की सहयोगी थीं. वे कहती हैं, ‘कोरियोग्राफरों को बड़े या छोटे बैनर की चिंता नहीं करनी चाहिए. जो भी काम मिले कर लेना चाहिए. मैंने कई बड़े बैनरों के साथ काम किया है लेकिन कई बार मुझे क्रेडिट तक नहीं मिला. मैं अक्सर कोई गाना करने से इनकार कर देती हूं क्योंकि हर कोई शीला जैसा कुछ चाहता है. ऐसे में वे ऐसे कोरियाेग्राफर के पास जाते हैं तो मुझसे आधी कीमत पर मेरे काम की नकल कर दे. क्या यह ठीक है?’ यह पूछे जाने पर कि क्या वे फॉर्मूला चलन को बदलना पसंद करेंगी, गीता जवाब देती हैं, ‘इसे क्यों बदलना है? फॉर्मूला चलता है. इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि इससे किसी की क्रिएटिविटी पर कितना बुरा असर पड़ता है.’

टीवी आजकल पैसे के साथ-साथ पहचान भी दे रहा है. एक दिन के टीवी शूट के लिए 50,000 रुपये से 1.5 लाख रुपये तक मिल रहे हैं. आपको जो भी पसंद हो वह चुन सकते हैं. यहां डांस इंडिया डांस में खुद प्रस्तुति देने का विकल्प है तो झलक दिखला जा में किसी सेलीब्रिटी को कोरियोग्राफ करने का विकल्प भी है. डांस पर आधारित टेलीविजन कार्यक्रमों का जादू खत्म होता नहीं दिख रहा. खास तौर पर ऐसे समय में जब ऋतिक रोशन जस्ट डांस के जरिए टेलीविजन की दुनिया में कदम रखने जा रहे हैं. डांस इंडिया डांस बनाने वाले जी के वरिष्ठ क्रिएटिव निदेशक (नॉन फिक्शन) रंजीत ठाकुर कहते हैं, ‘डांस इंडिया डांस मौलिक काम के लिए एक प्लेटफॉर्म है. चूंकि बॉलीवुड में काफी कुछ दांव पर लगा होता है इसलिए निर्देशक और निर्माता नये लोगों को मौका देने से हिचकते हैं.’ वे आगे कहते हैं, ‘टेलीविजन की वजह से कई कोरियोग्राफरों को पहचान मिली है. छोटे शहरों में उनके पीछे लोग भागने लगे हैं. उन्हें काफी पैसा मिल रहा है और वह भी समय पर. सबसे बड़ी बात यह है कि उनकी क्रिएटिविटी को जगह मिल रही है. ऐसे में आखिर क्यों वे बॉलीवुड में जाना चाहेंगे?’

इससे ऐसा लगता है कि बॉलीवुड को नुकसान होने लगा है. नामी कोरियोग्राफर रहे गोपी कृष्णा की बेटी और ‘झलक दिखला जा’ की उपविजेता रही शांपा सोंथालिया टेलीविजन पर ही काम करते रहना चाहती हैं. वे बताती हैं, ‘यहां मुझे डांसिंग में कई तरह के प्रयोग करने के अवसर मिल रहे हैं. मुन्नी और शीला की मैं प्रशंसक हूं लेकिन बॉलीवुड में आइटम नंबर में अब कुछ नया नहीं है.’

ज्यादातर कोरियोग्राफर सबसे बड़ी बाधा बॉलीवुड के कलाकारों को मानते हैं. कोरियोग्राफरों का कहना है कि कलाकार उन कोरियोग्राफरों के साथ ही काम करना चाहते हैं जो बिना अधिक मेहनत के उन्हें अच्छा दिखा सकें. कुंजन कहते हैं, ‘गोविंदा सिर्फ गणेश हेगड़े के साथ काम करते हैं और अभिषेक बच्चन वैभवी मर्चेंट के साथ.’ कोरियोग्राफर और डांस का प्रशिक्षण देने वाली सारिका शिरोडकर कहती हैं, ‘शाहिद कपूर बहुत अच्छा डांस करते हैं. पर अब उनके सारे डांस स्टेप एक जैसे ही लगते हैं क्योंकि वे अहमद खान के अलावा किसी और के साथ काम ही नहीं करते. वहीं सभी अभिनेत्रियां एक ही आइटम सांग करते रहना चाहती हैं.’

गीता कपूर भी यह मानती हैं कि बॉलीवुड में ज्यादातर कलाकार डांस नहीं कर रहे क्योंकि उनमें उसके लिए जरूरी काबिलियत ही नहीं है. उनके मुताबिक उन्हें डांस पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत भी नहीं क्योंकि सारा काम कोरियोग्राफर और कैमरा कर देता है. कपूर कहती हैं, ‘मुझे डांस इंडिया डांस इसलिए पसंद है कि यहां मुझे उन नये लोगों के साथ काम करने का मौका मिल रहा है जो प्रयोग के लिए तैयार हैं. अगर कैटरीना कैफ और रानी मुखर्जी जैसे मेहनती कलाकार हों तो मैं कुछ तकनीकी प्रयोग करना पसंद करती हूं. ज्यादातर कलाकार आसान डांस स्टेप चाहते हैं.’

प्रशिक्षण और रियल्टी शो की ओर रुख करने के बावजूद अब भी बॉलीवुड का ख्वाब कई लोगों ने नहीं छोड़ा है. यही बॉलीवुड की खासियत है. कुंजन का सपना फिल्मफेयर पुरस्कार पाना है. अगर यह पाने के लिए फॉर्मूला पर चलना पड़ा तो इसके लिए वे तैयार हैं. ज्यादातर लोग कहते हैं कि अगर एक बार उन्हें अच्छा मौका मिला तो बाद में वे सब कुछ बदल देंगे. यह बात इनसे पहले भी बहुत लोगों ने कही थी. उम्मीद यही है कि कोई अपना वादा निभाए.