आखिर कांग्रेस छोड़ने के एक दिन बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हो गए। साल २०१९ के चुनाव में बड़ी हार से पहले सिंधिया २००२ से लेकर २०१४ तक कांग्रेस की टिकट पर लगातार तीन बार वो जीते थे और इस दौरान दो बार कांग्रेस की सरकारों में केंद्रीय मंत्री रहे। दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में सिंधिया भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हुए। भाजपा सिंधिया को राज्य सभा टिकट देगी, इसके कयास पहले से लग रहे हैं।
करीब २.२५ बजे वे अपने आवास से भाजपा नेता ज़फर इस्लाम के साथ भाजपा मुख्यालय के लिए निकले। इसके बाद करीब पौने तीन बजे वे भाजपा मुख्यालय पहुंचे जहाँ बाद में परम्परागत रूप से भाजपा की पट्टी उन्हें पहनाई गयी। साथ ही भाजपा में शामिल होने का पत्र प्रदान किया गया। विनय सहस्त्रबुद्धे, अनिल जैन, अरुण सिंह, धर्मेंद्र प्रधान, बीडी शर्मा और अन्य नेता वहां मौजूद थे।
मंगलवार को ही सिंधिया भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह के साथ पीएम मोदी से मिले थे जिसके बाद उन्होंने ९ मार्च को लिखा कांग्रेस से इस्तीफा देने वाला पत्र ट्वीट किया था। हालांकि कांग्रेस से उनके इस्तीफे की आधिकारिक घोषणा मंगलवार हो ही हुई जिसके बाद कांग्रेस ने उन्हें ”जयचंद” नाम से संबोधित किया था। यह दिलचस्प है कि जहां सोनिया गांधी सिंधिया को बता कहती थीं वहीं सिंधिया को प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के बहुत करीब माना जाता था।
इस मौके पर एमपी भाजपा अध्यक्ष और कई अन्य वरिष्ठ नेता उपस्थित थे। सिंधिया २००२, २००९, २०१४ में गुना से कांग्रेस की टिकट पर लोक सभा का चुनाव जीते। हालांकि २०१९ में गुना की पुश्तैनी सीट पर उन्हें भाजपा के केपी सिंह यादव से हार का सामना करना पड़ा वह भी १.२५ लाख वोटों के बड़े अंतर से। इस हार ने ज्योतिरादित्य के राजनीतिक करिअर पर भी सवाल उठाये। उनके प्रभारी महासचिव रहती ही उत्तर प्रदेश के पश्चिम यूपी क्षेत्र में कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था।
पिछले कुछ समय से सिंधिया अपनी नाराजगी जाता रहे थे। फरवरी में किसानों की कर्जमाफी के मुद्दे पर ज्योतिरादित्य के सड़क पर उतरने वाले बयान पर कमलनाथ ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी और कहा था कि ”तो उतर जाएं”। इसके बाद साफ़ हो गया था कि सिंधिया कोइ फैसला कर सकते हैं। वैसे यह माना जाता है कि भाजपा के प्रवक्ता ज़फर इस्लाम, जो उनके मित्र हैं, ने सिंधिया को भाजपा में लाने में अहम भूमिका निभाई।