चुनाव आयोग ने शुक्रवार को दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों को लाभ का पद धारण करने की बिना पर अयोग्य घोषित किये जाने की राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से सिफारिश की।
सूत्रों ने बताया कि कोविंद को भेजी गई अनुशंसा में आयोग ने कहा है कि 13 मार्च 2015 को संसदीय सचिव बनाये गये आप के 20 विधायक 08 सितंबर 2016 तक लाभ के पद पर रहे इसलिये दिल्ली विधानसभा के विधायक के तौर पर इनको अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक राष्ट्रपति आयोग की अनुशंसा मानने को बाध्य हैं। विधायकों या सांसदों को अयोग्य घोषित करने की मांग वाली याचिकाओं पर अंतिम फैसला लेने से पहले राष्ट्रपति चुनाव आयोग की राय लेते हैं। चुनाव आयोग की राय के मुताबिक ही राष्ट्रपति इन याचिकाओं पर फैसला करते हैं।
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक़ वर्तमान मामले में 21 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की याचिका दी गई थी लेकिन एक विधायक ने कुछ महीने पहले ही विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था फिलहाल आयोग ने इस बारे में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है।
हालांकि तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव कार्यक्रम को घोषित करने के लिये गुरुवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में मुख्य चुनाव आयुक्त ए के जोती ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा था कि यह मामला अभी आयोग में विचाराधीन है, इसलिए वह इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं देंगे।
याद रहे कि 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में 67 सीटों के प्रचंड बहुमत से जीती आप के लिये आयोग की सिफारिश करारा झटका जरूर है लेकिन राष्ट्रपति द्वारा 20 विधायकों की सदस्यता रद्द किये जाने के बावजूद दिल्ली की केजरीवाल सरकार को कोई खतरा नहीं होगा।
आप विधायकों की सदस्यता रद्द होने के बाद भी पार्टी की विधानसभा में सदस्य संख्या 45 रहेगी, जो कि बहुमत के आंकड़े (36) से अधिक है। इस बीच लाभ के पद मामले में आरोपी आप के सात विधायकों ने दिल्ली उच्च न्यायलय में याचिका दाखिल कर मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति को भेजी गयी सिफारिश पर संज्ञान लेने की अपील की है।
पार्टियों की प्रतिक्रिया
आयोग की अनुशंसा से नाराज आप ने कहा कि आयोग ‘इतना नीचे कभी नहीं गिरा’ था। पार्टी नेता आशुतोष ने ट्वीट किया, ‘‘निर्वाचन आयोग को पीएमओ का लेटर बॉक्स नहीं बनना चाहिए। लेकिन आज के समय में यह वास्तविकता है।’’ आशुतोष ने कहा, ‘‘(टी एन शेषन) के समय में रिपोर्टर के तौर पर चुनाव आयोग कवर करने वाला मेरा जैसा व्यक्ति कह सकता है कि निर्वाचन आयोग कभी इतना नीचे नहीं गिरा।’’
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक़ कांग्रेस और भाजपा ने आयोग के फैसले का स्वागत किया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि अब मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है।
माकन ने ट्वीट किया, ‘‘केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। उनके मंत्रिमंडल के लगभग 50 फीसदी मंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोपों में हटा दिया गया। मंत्रियों का भत्ता प्राप्त कर रहे 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।’’
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने आप के विधायकों के खिलाफ भ्रष्टाचार और आपराधिक मामलों का उल्लेख करते हुए दावा किया कि इंडिया एगेंस्ट करप्शन आंदोलन से शुरू हुई राजनीतिक यात्रा अब ‘आई एम करप्शन’ का रूप ले चुकी है।
पात्रा ने आरोप लगाया कि आप सबसे भ्रष्ट राजनीति पार्टी बनने को अग्रसर हो रही है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल मंत्रिमंडल के कई सदस्यों को इस्तीफा देना पड़ा । उनके 15 विधायकों के खिलाफ मामले चल रहे हैं और विभिन्न आरोपों में कई विधायकों को गिरफ्तार भी किया गया। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या केजरीवाल सरकार को सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार है ।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि पार्टी की दिल्ली इकाई ‘‘किसी भी पल चुनाव के लिए तैयार है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम ‘आप’ के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश का स्वागत करते हैं। अरविंद केजरीवाल को इस नैतिक हार की जिम्मेदारी लेकर अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।’’
लाभ के पद मामले के घेरे में आये आप के विधायकों के नाम:
आदर्श शास्त्री (द्वारका),
अल्का लांबा (चांदनी चौक),
अनिल बाजपेयी (गांधी नगर),
अवतार सिंह (कालका जी),
कैलाश गहलोत (नजफगढ़),
मदन लाल (कस्तूरबा नगर),
मनोज कुमार (कोंडली),
नरेश यादव (महरौली),
नितिन त्यागी (लक्ष्मी नगर),
प्रवीण कुमार (जंगपुरा),
राजेश गुप्ता (वजीरपुर),
राजेश ऋषि (जनकपुरी),
संजीव झा (बुराड़ी),
सरिता सिंह (रोहतास नगर),
सोमदत्त (सदर बाजार),
शरद कुमार (नरेला),
शिव चरण गोयल (मोतीनगर),
सुखबीर सिंह (मुंडका),
विजेन्द्र गर्ग (राजेन्द्र नगर)
जरनैल सिंह (तिलक नगर)।