चुनाव प्रचार करने पर 24 घंटे की पाबंदी लगाए जाने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी मंगलवार को कोलकाता में गांधी मूर्ति के पास धरने पर बैठ गई हैं। ममता धरना स्थल तक व्हीलचेयर पर पहुंची। कल ही ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग पर एकतरफा फैसले लेने का आरोप लगाते हुए उसकी निंदा की थी और उसे ‘मोदी का चुनाव आयोग’ बताया था। धरना ख़त्म करने के बाद ममता रात 8 बजे के बाद 2 रैलियां करेंगी। इस बंगाल में राजनीति गरमा गयी है।
आज ममता बनर्जी जहाँ धरने पर बैठी हैं वह जगह कोलकाता शहर के बीचों-बीच है। ममता बनर्जी व्हीलचेयर पर धरना देने पहुंची। बता दें पिछले महीने चुनाव प्रचार के दौरान घायल हो जाने के बाद डाक्टरों की सलाह पर उन्हें व्हीलचेयर पर बैठना पड़ा है और अब तक का सारा प्रचार ममता ने व्हील चेयर पर ही किया है।
ममता ने आज पूर्वाह्न करीब 11.40 बजे कोलकाता के मायो रोड परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के निकट बैठकर धरना शुरू किया। ममता बनर्जी के साथ और कोई नेता नहीं दिखा। तृणमूल के मुताबिक प्रदर्शन स्थल के निकट किसी पार्टी नेता को जाने की अनुमति नहीं है लिहाजा दीदी अकेली बैठी हैं।
ममता बनर्जी रात 8 बजे के बाद धरना समाप्त करके 2 रैलियां करेंगी। यह रैलियां बारासात और बिधाननगर में होंगी। याद रहे चुनाव आयोग ने ममता बनर्जी के कथित तौर पर केंद्रीय बलों के खिलाफ बयान और कथित धार्मिक प्रवृत्ति वाले एक बयान पर 24 घंटे तक उनके चुनाव प्रचार करने पर रोक लगा दी है। फैसले की सख्त निंदा करते हुए ममता ने कहा कि आयोग असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक फैसले कर रहा है और वह एक राजनीतिक दल के हिसाब से काम कर रहा है।
चुनाव आयोग की ओर से चुनाव प्रचार पर चौबीस घंटे की पाबंदी के ख़िलाफ़ पश्चिम धरने के लिए ममता को सेना की अनुमति नहीं मिली थी। धरने वाली जगह सेना का क्षेत्र है। मंगलवार सुबह टीएमसी ने धरने की अनुमति के लिए सेना को एक पत्र भेजा था, लेकिन दोपहर 12 बजे तक इस पर फ़ैसला नहीं हुआ था। सेना प्रवक्ता के मुताबिक इतने कम वक्त में अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि इसके लिए कुछ तय प्रक्रिया का पालन करना होता है।
भाजपा ने ममता के धरने पर कहा कि एक मुख्यमंत्री को इस तरह चुनाव आयोग के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरना शोभा नहीं देता। कांग्रेस और सीपीएम ने भी ममता के धरने की आलोचना की लेकिन दोनों दलों ने चुनाव प्रचार पर पाबंदी के चुनाव आयोग की निष्पक्षता को लेकर सवाल उठाए हैं।