बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से अब तक १०५ बच्चों की जान जा चुकी है। हालत यह है कि रविवार को मुजफ्फरपुर के एसके मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) में जब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन पहंचे तो उनके वहां रहते ही तीन मासूम बच्चों ने दम तोड़ दिया। बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था इस दुर्दशा से जनता में नीतीश सरकार के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा फ़ैल रहा है।
इतने बड़े पैमाने पर बच्चों की जान जाने को लेकर हालत का जायजा लेने बिहार पहुंचे हर्षवर्धन को एसकेएमसीएच के चिकित्सक ”हालत की जानकारी” दे रहे थे तभी एक कोने से एक महिला की दहाड़ से सबके कलेजे हिला दिए। उसके बच्चे ने अभी-अभी दम तोड़ दिया था। बिहार के ही केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय भी हर्षवर्धन के साथ मौजूद थे, लेकिन केवल उस महिला का रुदन सुनने के लिए।
केंद्रीय मंत्री की मौजूदगी में तीन बच्चों की मौत से परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा। रोती-बिलखती माओं के पास अपने मरे बच्चों को कलेजे से चिपकाए रखने के अलावा और कोइ चारा था भी नहीं। नाराज परिजन अस्पताल से निकलते समय चौबे का हाथ पकड़कर बच्चे के पास ले जाने लगे तो वहां हंगामा शुरू हो गया। मंत्री की सुरक्षा में पुलिस का बल प्रयोग भी परिजनों के ही खिलाफ इस्तेमाल हुआ।
सबसे ख़राब बात यह कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोगों का गम साझा करने इलाके में गए तक नहीं। कुमार ने दिमागी बुखार से मरने वाले बच्चों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये मुआवजे का एलान ज़रूर किया है। अधिकारियों कि मुजफ्फरपुर समेत राज्य के १२ जिलों में इस बीमारी का कहर लगातार बढ़ रहा है। एसकेएमसीएच में अब तक ८५ बच्चों की जान जा चुकी है। इनमें से ज्यादातर की उम्र १० वर्ष से कम है। बच्चों के हाइपोग्लाइसीमिया (शुगर लेवल के बिल्कुल कम होने) और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन के शिकार होने के कारण मौत हो रही है।