क्रिकेट में परिवारवाद

अर्जुन तेंदुलकर को जब उनकी फ्रैंचाइजी मुम्बई इंडियंस ने आईपीएल में पहली बार केकेआर के ख़िलाफ़ अपनी इलेवन में शामिल किया, तो हर किसी की निगाह स्टैंड्स में बैठे उनके पिता और क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर पर थी। पिता के अपने बेटे के लिए इमोशंस दर्शकों से अलग रहे होंगे; लेकिन दर्शकों के लिए यह उत्सुकता के क्षण थे और वह निश्चित ही अर्जुन में उनके पिता सचिन की छवि देख रहे होंगे। समाज में परिवार फ़िल्मों से लेकर राजनीति और खेल तक में दख़ल रखते हैं।

यह दख़ल डॉक्टरी, सेना, क़ानून, व्यापार और इंजीनियरिंग के पेशे में भी दिखता है, जहाँ परिवार-दर-परिवार एक ही पेशे में लोग होते हैं। हर माता-पिता अपने बच्चों को उसी लाइन में भेजने की कल्पना करते हैं, जिसमें वह ख़ुद होते हैं, क्योंकि उन्हें यह ज़्यादा सुविधाजनक लगता है।

यह सहज मानव स्वभाव है कि माता-पिता अपने बच्चों को ख़ुद से बेहतर करते देखना चाहते हैं। इसमें वह गर्व महसूस करते हैं। क्रिकेट इससे जुदा नहीं। और ऐसा सिर्फ़ भारत में ही नहीं होता। दुनिया के कई देशों में होता है। क्रिकेट से लेकर राजनीति में एक ही परिवार के लोग दिखते हैं। अमेरिका में 10 ऐसे राष्ट्रपति हुए जो दादा-पोता, पिता-पुत्र या चचेरे भाई के रिश्ते में थे। इनमें से 32वें राष्ट्रपति फ्रेंकलिन डेलानो रूजवेल्ट तो ऐसे राष्ट्रपति थे जो 11 राष्ट्रपतियों के नज़दीक या दूर के रिश्तेदार थे।

क्रिकेट और भारत की बात करें, तो अर्जुन तेंदुलकर की हर जगह चर्चा है। पिता सचिन 15 साल की उम्र में राष्ट्रीय टीम में आ गये थे, जबकि 23 साल के अर्जुन को मुम्बई इंडियंस की इलेवन में आने के लिए ही दो साल का इंतज़ार करना पड़ा। भारत ही नहीं, विदेशी खिलाडिय़ों ने भी अर्जुन को लेकर सोशल मीडिया पर कमेंट लिखे। दिग्गज पिता का पुत्र होने का यह लाभ मिलता है; लेकिन ख़ुद की जगह बनाने के लिए अर्जुन को मैदान में प्रतिभा दिखानी होगी। वैसे एक रिकॉर्ड इन दोनों ने यह ज़रूर बनाया है कि आईपीएल में खेलने वाली पिता-पुत्र की यह पहली जोड़ी है।

भारत की टी-20 टीम के कप्तान हार्दिक पंड्या और भाई कुणाल पंड्या दोनों सक्रिय क्रिकेटर हैं। इरफ़ान पठान और यूसुफ़ पठान दर्शकों के वर्षों तक चहेते रहे। यह सभी भाई एक ही समय में भारत के लिए खेले हैं। मोहिंदर अमरनाथ और सुरेंद्र अमरनाथ तीन मैचों में भारत के लिए साथ खेले, जबकि इनके पिता लाला अमरनाथ भारत के कप्तान भी रहे। इनमें मोहिंदर अमरनाथ सबसे सफल कहे जाएँगे, जिन्होंने अपने ऑलराउंड खेल से दशक से भी ज़्यादा समय तक क्रिकेट प्रेमियों के बीच लोकप्रियता हासिल की। लाला अमरनाथ टेस्ट क्रिकेट में भारत के लिए पहला शतक लगाने वाले खिलाड़ी थे। वहीं मोहिंदर अमरनाथ सन् 1983 की विश्व विजेता भारतीय टीम के सदस्य थे।

विजय मांजरेकर और संजय मांजरेकर को कौन भूल सकता है। पिता-पुत्र विजय और संजय ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन किया। संजय को अब कमेंट्री करते हुए देखा जा सकता है। इफ़्तिख़ार और मंसूर अली ख़ान पटौदी (शर्मिला टैगोर के पति) भी भारत के लिए खेले। इफ़्तिख़ार तो भारत और इंग्लैंड दोनों के लिए टेस्ट खेलने वाले इकलौते क्रिकेटर हैं। मंसूर अली ख़ान ‘टाइगर’ के नाम से मशहूर थे और कार हादसे में दाहिनी आँख गँवाने के बावजूद वह क्रिकेट खेले और 21 साल की उम्र में भारत के कप्तान बन गये थे।

सुनील गावस्कर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ों में रहे। उन्होंने जेफ़ थामसन और डेनिस लिल्ली जैसे तेज़ गोलंदाज़ों के सामने भी हेलमेट नहीं पहना। अनेक रिकॉर्ड बनाने वाले सुनील गावस्कर के बेटे रोहन गावस्कर ने भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत का प्रतिनिधित्व किया। हालाँकि उन्हें ज़्यादा सफलता नहीं मिली। वर्तमान में बीसीसीआई के अध्यक्ष रोजर बिन्नी अपने समय में शानदार ऑलराउंडर रहे और सन् 1983 में विश्व विजेता भारतीय टीम के अहम सदस्य थे। उनके बेटे स्टुअर्ट बिन्नी ने भी भारत के लिए छ: टेस्ट, 14 वनडे और 3 टी20 मैच खेले।

दूसरे देशों की बात करें, तो ऑस्ट्रेलिया के इयान और ग्रेग चैपल बंधुओं का नाम सबसे पहले याद आता है। इनके एक भाई ट्रेवर चैपल भी थे, जिन्होंने मैच में हार से बचने के लिए मेलबोर्न में फरवरी, 1981 के दिन अपने कप्तान और बड़े भाई ग्रेग चैपल के निर्देश पर न्यूजीलैंड के ख़िलाफ़ वल्र्ड सीरीज ओडीआई फाइनल में दुनिया के इतिहास की पहली और आख़िरी अंडरआर्म बाल फेंकी थी, ताकि न्यूजीलैंड जीत न सके, जिसे जीतने के लिए इस आख़िरी बाल पर छ: रन की ज़रूरत थी।

इस पर काफ़ी विवाद भी हुआ। हालाँकि इयान और ग्रेग काफ़ी सफल खिलाड़ी रहे और दोनों ने ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी की। ग्रेग चैपल भारतीय टीम के कोच भी रहे और उस समय के कप्तान सौरव गांगुली के साथ उनका विवाद कड़बड़ाहट के साथ याद किया जाता है।

मार्क और स्टीव वॉ का नाम काफ़ी इज़्ज़त के साथ लिया जाता है। ऑस्ट्रेलिया के यह जुड़वाँ भाई क़रीब 14 साल तक साथ खेले। ऑलराउंडर मार्क वॉ सलामी बल्लेबाज़ थे, जबकि स्टीव वॉ कंगारू टीम के कप्तान भी रहे। वह भी ऑलराउंडर थे। इन्हें लेकर एक दिलचस्प क़िस्सा था कि क़द-काठी और चाल-ढाल में दोनों में इतनी समानता थी कि सिर्फ़ उनकी माता ही उन्हें आसानी से पहचान पाती थीं। ब्रेंडन और नाथन मैकुलम भी दोनों भाई थे और न्यूजीलैंड के लिए खेले। दोनों भाइयों ने अपने देश के लिए ख़ूब क्रिकेट खेली। ब्रैंडन मैकुलम तो कप्तान भी रहे।

आईपीएल इतिहास का पहला शतक इनके ही नाम है, जो उन्होंने सौरव गांगुली की कप्तानी में खेलते हुए केकेआर के लिए सन् 2008 में बनाया था। दिलचस्प यह है कि वो 2जी का ज़माना था और इंटरनेट बहुत धीमा था; लेकिन मैकलम ने आरसीबी के ख़िलाफ़ महज़ 73 गेंदों में तूफ़ानी 158 रन ठोक दिये थे, जिनमें 13 छक्के थे। यह वही साल था, जब विराट कोहली की कप्तानी में भारत ने अंडर-19 विश्व क्रिकेट कप जीता था और आरसीबी ने राहुल द्रविड़ की कप्तानी वाली टीम में कोहली को भी शामिल किया था।

इन खिलाडिय़ों के अलावा प्रमुख जोडिय़ों में हम दक्षिण अफ्रीकी भाइयों मोर्ने और एल्बी मोर्कल को याद कर सकते हैं। दिलचस्प यह है कि इनके पिता अल्बर्ट मोर्कल भी क्रिकेटर रहे। ऑस्ट्रेलिया के शॉन और मिशेल मार्श बंधुओं को एक साथ अंतरराष्ट्रीय मैचों में देश का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला। जिम्बाब्वे के भाई एंडी और ग्रांट फ्लावर भी एक साथ अपने देश के खेले और नाम कमाया। ऐसे ही आयरलैंड के लिए दो सगे भाइयों नील जॉन और केविन ओ ब्रायन ने क्रिकेट खेली। अपने देश के लिए दोनों ने यादगार पारियाँ खेलीं। पाकिस्तान के बंधुओं कामरान और उमर अकमल ने भी भाइयों के रूप में काफ़ी नाम कमाया। दोनों ने देश के लिए टेस्ट, वनडे और टी-20 के अंतरराष्ट्रीय मैच खेले।

अर्जुन तेंदुलकर परिवार की इस कड़ी में नवीनतम खिलाड़ी हैं। देखें तो दुनिया में भाइयों की जोडिय़ों ने ज़्यादा कमाल किया है। पिता-पुत्र के उदाहरण कम ही हैं। भारत में तो पिता-पुत्र लाला-मोहिंदर अमरनाथ के अलावा अन्य ज़्यादा कमाल नहीं दिखा पाये, जबकि भाइयों ने कमाल दिखाया है। साफ़ है कि पिता की प्रतिभा अपनी जगह और बेटे तो वैसा ही नाम कमाने के लिए मैदान में कमाल दिखा होगा। अर्जुन के लिए भी यह ज़रूरी है। उनके पिता मैदान के बाहर उन्हें गाइड कर सकते हैं; लेकिन मैदान के भीतर बेटे को अपनी जगह ख़ुद बनानी होगी। सचिन तेंदुलकर क्रिकेट के तीनों फार्मेट में 100 शतक बनाने वाले इकलौते खिलाड़ी हैं और उनके बेटे को अभी अंतरराष्ट्रीय पदार्पण के लिए ख़ूब पसीना बहाना है।

अर्जुन तेंदुलकर ने केकेआर के ख़िलाफ़ मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में जब आईपीएल डेब्यू किया, तो उसके बाद स्टार स्पोट्र्स के कमेंटेटर इयान बिशप ने एक ख़ुलासा किया। उन्होंने कहा कि फ्लोर मैनेजर ने सचिन से बात की थी, जिन्हें सचिन ने कहा कि उन्हें इसकी बहुत ख़ुशी है कि अर्जुन अब आईपीएल में खेल रहा है। उनके मुताबिक, सचिन की आँखों में आँसू थे। सचिन ने यह भी कहा कि अपने पहले आईपीएल मैच के पहले ओवर में उन्होंने 5 रन दिये थे और अर्जुन के पहले ओवर में भी 5 ही रन बने। यदि पाँच रन का यह संयोग अर्जुन को भी अपने पिता की तरह महान् खिलाड़ी बनाने की राह खोलता है, तो सबको ख़ुशी ही होगी।