उत्तर प्रदेश के तीसरे चरण में 20 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बुन्देलखण्ड में सभी पार्टियों के नेताओं की चुनावी सभायें और पदयात्रा को देखकर तो लगता है। कि चुनाव में सभी पार्टियां कांग्रेस, भाजपा, बसपा और सपा सहित हर हाल में बुन्देलखण्ड में जीत को लेकर संघर्ष कर रही है।
बताते चलें, वर्ष 2017 में बुन्देलखण्ड की सभी 19 सीटों पर भाजपा ने जीत का परचम लहराया था। और अन्य पार्टियों का खाता तक नहींं खुला था। साथ ही भाजपा ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी चारों बुन्देलखण्ड की सीटों पर जीत का परचम लहराया था। यानि कि विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में यहां के लोगों ने इकतरफा भाजपा को वोट दिया था। परंतु इन वर्षों के समान भाजपा को हर हाल में जीत को कायम रखने के लिये इस बार कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है।
बुन्देलखण्ड की राजनीति के जानकार संजीव कुमार का कहना है कि बुन्देलखण्ड में भाजपा पर पिछले चुनाव में पूर्ण विश्वास जताया था। इस बार 19 सीटों पर जीत कायम रखना मुश्किल हो सकता है क्योंकि, भाजपा ने केन्द्र और प्रदेश में सरकार होने के बावजूद यहां की जनता की कई मुद्देों पर उपेक्षा की है। जिसके कारण भाजपा के विकल्प के तौर पर अन्य राजनीतिक दलों को मौका मिल सकता है।
बुन्देलखण्ड में बसपा और सपा के विधायक और सांसद चुने् जाते रहे है। इसलिहाज से जनता का रूख इसबार बदला-बदला नजर आ रहा है। यहां के लोगों का कहना है कि इस बार चुनाव में सपा और भाजपा के अलावा बसपा भी पूरे दमखम के साथ चुनाव मैदान में है। सो इस बार चुनाव परिणाम चौकानें वाले साबित हो सकते है।