उत्तर प्रदेश (उ.प्र) के विधानसभा के पहले चरण के 11 जिलों में चुनाव 10 फरवरी यानि आज होने वाले है। कुल 58 सीटों पर 623 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला मतपेटियों (ईवीएम) में बंद हो जायेगा। चुनाव प्रचार के दौरान सभी पार्टियों के नेताओं ने एक-दूसरे पर जमकर शब्दों के वाणों से प्रहार किया है।
इन 11 जिलों के जानकारों का कहना है कि सपा और भाजपा के बीच तो कड़ा मुकाबला है ही। साथ ही कहीं–कहीं बसपा का हाथी भी चिंघाड़ रहा है। यानि बसपा भी कई सीटों पर खेल बिगाड़ सकती है। भाजपा, कांग्रेस, सपा और बसपा के साथ 58 सीटों पर 623 जो निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में है। उनका भी राजनीतिक अपना अस्तित्व है।
लेकिन उनमें ज्यादात्तर प्रत्याशी वे है। जिनको पार्टियों से टिकट नहीं मिला है। वे भी अपने वजूद के दम पर ताल ठोक चुनाव मैदान में है। बताते चलें 58 सीटों में सपा-रालोद का गठबंधन का काफी असर देखने को मिल रहा है। गठबंधन में सबसे बड़ी बात तो ये सामने आयी है कि दोनों के वोटर एक ही है। इस लिहाज से दोनों के वोटों में सेंध लगाने में भाजपा को कड़ा संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति के जानकार हरीश मान का कहना है कि सपा और भाजपा के साथ कहीं–कही बसपा का माहौल दिखा है। लेकिन कांग्रेस का कोई असर जनता में न दिखने से इसका वोटर किस पार्टी की ओर अपना रूख करता है। ऐसे में चुनावी परिणाम चौकानें वाले साबित हो सकते है।
बता दें 2017 में भाजपा ने 58 सीटों में 53 सीटों पर जीत दर्ज कर इतिहास रचा था। तब सपा को कुल 2 सीटों पर, बसपा को 2 सीटों पर और रालोद को सिर्फ 1 ही सीट पर जीत हासिल कर पार्इ थी।