उप्रदेश में मदरसों को लेकर फिर नया विवाद सामने आ गया है। इसी वर्ष अवैध मदरसों को बंद करने की उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की मुहिम के बाद अब प्रदेश के 80 मदरसों को लगभग 100 करोड़ रुपये की अज्ञात मदद का मामला सामने आया है। यह मदद फंडिंग के रूप में बीते दो वर्षों से प्रदेश के मदरसों को मिल रही थी। कुछ समाचारों में दावा किया गया है कि उत्तर प्रदेश में 108 मदरसों को बीते दो वर्षों में 150 करोड़ रुपये से अधिक की अज्ञात मदद प्राप्त हुई है।
मदरसों को मिलने वाली इस मदद के समाचार ने मदरसों को मिलने वाली मदद की जाँच के रास्ते खोल दिये हैं। सम्बन्धित कार्यालयों के अधिकारी इसकी जाँच में लग गये हैं कि इतनी बड़ी संख्या में मदरसों को यह मदद कहाँ से हो रही है। मुस्लिम समाज में उत्तर प्रदेश सरकार के प्रति आक्रोश व्याप्त है।
एक मस्जिद के मौलवी इफ़्तिख़ार कहते हैं कि मदरसे मुस्लिम बच्चों को इस्लाम की तालीम देने के लिए हैं। उनमें मुस्लिम बच्चों को मुफ़्त में दीन की तालीम दी जाती है, जिसके लिए हर मुस्लिम अपनी हैसियत के मुताबिक दान देता है। इसमें सरकार को क्यों तकलीफ़ हो रही है? मैं मस्जिद में बच्चों को कुरान की तालीम देता हूँ। मस्जिद में पाँच वक़्त की नमाज़ अता कराता हूँ। अगर मेरे मज़हब के लोग मुझे कुछ नहीं देंगे, तो मेरा घर कहाँ से चलेगा? दीन की किताबें और दूसरे ख़र्चे कहाँ से होंगे? सरकार को इसमें टाँग नहीं अड़ानी चाहिए।
एक अन्य मुस्लिम मोहम्मद फ़रीद कहते हैं कि बात फंडिंग की नहीं है, असल में उत्तर प्रदेश सरकार को मदरसों से तकलीफ़ है। पहले भी सरकार मदरसों पर ताले लगवाने की कोशिशें कर चुकी है। जब कोई तरीक़ा नहीं मिला, तो सरकार फंडिंग का मामला उठाकर मदरसों पर हमला कर रही है।
विदेशी मदद की हो रही जाँच
मदरसों को मिलने वाली अज्ञात मदद की जाँच में लगे विशेष जाँच दलों को मदरसों को बड़े पैमाने पर विदेशी मदद के प्रमाण मिले हैं। विशेष जाँच दलों ने पाया है कि उत्तर प्रदेश में चल रहे मदरसों को खाड़ी देशों से गुपचुप रूप से पैसा आता रहा है। जब इस अज्ञात मदद के बारे में सरकार को पता चला, तो जाँच दल सक्रिय हो गये। अभी इस मामले में जाँच जारी है।
जाँच में पाया गया है कि बाहरी देशों से छोटे से बड़े अधिकतर मदरसों को अज्ञात मदद मिली है। इसमें कुछ मान्यता प्राप्त मदरसे भी हैं। विशेष जाँच दलों ने अज्ञात मदद की सही जानकारी जुटाने के लिए मदरसों के खाते एवं अन्य दस्तावेज़ ज़ब्त किये हैं, जिससे यह पता चल सके कि कहाँ से कितनी मदद कब आयी। उस पैसे का कहाँ उपयोग किया गया? इसके लिए मदरसों के प्रबंधकों से भी पूछताछ की जा रही है। विशेष जाँच दल इतनी बड़ी अज्ञात मदद के पीछे की योजना के बारे में पता लगाने के प्रयास में हैं। जाँच दल पैसे का सही स्रोत ज्ञात करने का प्रयास कर रहे हैं।
मदरसों की बढ़ रही संख्या
उत्तर प्रदेश में लगभग 24,000 मदरसे चल रहे हैं। इतने मदरसों की गिनती तो सरकार की जानकारी में है; मगर अनुमानित रूप से इनकी संख्या अधिक भी हो सकती है। इन मदरसों में से 16,500 से अधिक मदरसे उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं। इन मदरसों को वक़्फ़ बोर्ड से मदद प्राप्त होती है। उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश में स्थापित 560 मदरसों को अनुदान देती है। इसके अतिरिक्त भारतीय मुस्लिमों से भी मदरसों को मदद प्राप्त होती है। प्रश्न यह है कि इसके उपरांत भी विदेशों से इन मदरसों को मिलने वाली अज्ञात मदद का प्रयोजन क्या है? उत्तर प्रदेश में लगभग 8,500 मदरसे बिना मान्यता के चल रहे हैं। प्राप्त समाचारों की मानें तो नेपाल सीमा से सटे क्षेत्रों में 1,000 से अधिक मदरसे चल रहे हैं। सूत्र कहते हैं कि बीते कुछ वर्षों में इन क्षेत्रों में मदरसों की संख्या तीव्रता से बढ़ी है।
इस बारे में भारतीय जनता पार्टी के एक स्थानीय नेता ने नाम प्रकाशित न करने की विनती करते हुए कहा कि देश में गुरुकुल समाप्त कर दिये गये मगर मदरसे आज भी चल रहे हैं। मुस्लिम एवं अन्य अनेक लोग आरोप लगाते हैं कि भाजपा की सरकारें मुस्लिम विरोधी हैं; मगर आप देखेंगे कि अच्छे मुसलमानों को कहीं कोई समस्या नहीं है। न ही सरकार उन्हें कभी कुछ कहती है। मगर जब कोई अपराधी होता है अथवा अन्य प्रकार से क़ानून को ताक पर रखकर अवैध गतिविधियाँ चलाता है, तो उस पर कार्रवाई होनी ही चाहिए। इस पर इन लोगों को आपत्ति होती है, क्यों? जब बिना मान्यता के विद्यालय नहीं चलते, तो मदरसे बिना मान्यता के क्यों चल रहे हैं? इसके अतिरिक्त अगर मदरसों को कहीं से मदद मिल भी रही है, तो उसे छुपाया क्यों जा रहा है? उसका ब्यौरा सरकार के सामने पेश किया जाना चाहिए। अगर केवल शिक्षा के लिए ये पैसा कोई दान कर रहा है, तो इसमें छुपाने वाली बात क्या है? मदरसों को खाड़ी देशों से चोरी-छिपे कई वर्षों से बड़ी मदद प्राप्त हो रही है। क्या सरकार को ये जानने का अधिकार नहीं है कि यह मदद कहाँ से की? किसने की? क्यों की? उस पैसे का उपयोग कहाँ किया गया? कितना पैसा विदेशों से आया? अगर सरकार यह जानना चाहती है, तो इसमें मुस्लिम समाज को आपत्ति क्या है? देश के हर नागरिक की आय के बारे में सरकार जानती है, तो मदरसों की आय के बारे में जानकारी होनी ही चाहिए। इसमें ग़लत क्या है?
लम्बी चल सकती है जाँच
जाँच दलों की ओर से अभी तक मदरसों को मिलने वाली अज्ञात मदद को लेकर चल रही इस जाँच बारे में कुछ अधिक नहीं बोला गया है। अनुमानित रूप से माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में चलने वाले सभी मदरसों की अथवा अधिकतर मदरसों की जाँच
अलग-अलग समय में कई चरणों में हो सकती है। अभी विशेष जाँच दलों को मदरसों को मिलने वाली अज्ञात मदद की जाँच 30 दिसंबर तक पूरी करके इसकी पहली रिपोर्ट मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार को देनी होगी। दूसरे चरण में 3,834 मान्यता प्राप्त मदरसों की जाँच होगी। विशेष जाँच दल यह जाँच अभियान 15 जनवरी से 30 मार्च तक चलाएँगे एवं अपनी रिपोर्ट मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार को सौंपेंगे। संभव है कि इसके उपरांत अन्य मदरसों को मिलने वाली विदेशी मदद की भी जाँच हो।
विदित हो कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने पिछले वर्ष प्रदेश के सभी ज़िलाधिकारियों को अवैध रूप से चल रहे ग़ैर-मान्यता प्राप्त मदरसों की जानकारी जुटाने के निर्देश दिये थे। दो महीने तक चले सर्वे में पता चला कि उत्तर प्रदेश में 8,449 मदरसे ऐसे हैं, जिन्हें उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त नहीं है। ऐसे मदरसों के विरुद्ध अभी तक उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
घुसपैठ की आशंका
कुछ दिनों पहले विशेष जाँच दल ने तीन संदिग्ध लोगों को गिरफ़्तार किया था। जाँच सूत्र कहते हैं कि ये लोग देश में बांग्लादेशी नागरिकों एवं रोहिंग्या मुसलमानों की अवैध घुसपैठ कराने वाले गिरोह के सदस्य हैं। जाँच आगे बढ़ी, तो पता चला कि अवैध घुसपैठ में दिल्ली में स्थापित एक एनजीओ का हाथ है। इस एनजीओ को बीते तीन वर्षों में लगभग 20 करोड़ रुपये की विदेशी मदद हुई थी। देश में बांग्लादेशी नागरिकों एवं रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ कराने के लिए इस पैसे का उपयोग घुसपैठ कराने वाला गिरोह करता है।
मदरसा शिक्षा बोर्ड का अनुरोध
अवैध मदरसों की जाँच कराने के उपरांत अनुदान प्राप्त एवं वैध मदरसों की जाँच को लेकर उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. इफ़्तिख़ार अहमद जावेद ने आपत्ति जतायी है एवं जाँच रोकने का अनुरोध किया है। उन्होंने इसके लिए अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह को एक पत्र सौंपकर मदरसों की बोर्ड परीक्षा के बाद जाँच कराने का अनुरोध किया है।
अवैध मदरसों की जाँच पर तो कोई कुछ नहीं बोल रहा है; मगर वैध एवं अनुदान प्राप्त मदरसों की जाँच को लेकर उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा है कि अभी बोर्ड परीक्षा के फार्म भरे जा रहे हैं एवं मदरसों में कंपार्टमेंट का परीक्षा फल घोषित किया जाना है। ऐसे में मदरसों में चल रही जाँच से महत्त्वपूर्ण कार्य एवं पढ़ाई प्रभावित होगी। मदरसा बोर्ड की वार्षिक परीक्षाओं में भी विलंब होगा। इसलिए जाँच प्रक्रिया स्थगित कराते हुए परीक्षा कार्य को सर्वोत्तम वरीयता दिलायी जाए, ताकि छात्र-छात्राओं का भविष्य सुरक्षित किया जा सके।
विदित हो कि उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में ज़िला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों एवं ज़िलाधिकारियों ने नामित खंड शिक्षा अधिकारियों की समितियाँ बनी दी हैं। मदरसों को विदेशी अज्ञात मदद की जाँच के लिए तीन विशेष जाँच दल तैनात हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं उनकी सरकार की ओर से मदरसों की जाँच के मामले में अभी कुछ भी ऐसा क़दम नहीं उठाया गया है, जो मदरसों की निजता के लिए हानिकारक हो। मगर विदेशी अज्ञात मदद की जाँच घुसपैठ एवं देशविरोधी अनैतिक गतिविधियों को रोकने के लिए आवश्यक है।