उत्तर प्रदेश और बिहार के तीन लोक सभा सीटों के उपचुनाव के नतीजे भाजपा को तगड़ा झटका दे गए हैं। तीनों सीटों पर भाजपा हार गयी। सबसे बड़ी हार भाजपा को गोरखपुर में झेलनी पडी जो मुख्यमंत्री योगी का गृह क्षेत्र है। फूलपुर में भी भाजपा हार गयी जो उपमुख्यमंत्री का गृह क्षेत्र है। इस तरह बिहार के अररिया में लालू प्रसाद यादव की आरजेडी के सरफ़राज़ आलम जीत गए। बिहार में विधानसभा की दो सीटों के उपचुनाव में से एक आरजेडी जबकि एक भाजपा ने जीता।
दक्षिण पूर्व में जीत और जोड़तोड़ से सरकार बनाने वाली भाजपा को उत्तर प्रदेश और बिहार में लोक सभा के उपचुनाव नतीजों ने तगड़ा झटका दिया है। उपचुनावों के नतीजे जो संकेत दे रहे हैं वह यह है कि जहाँ-जहाँ भाजपा का शासन है वहां जनता उसे अस्वीकार करने लगी है। साल २०१९ के लोक सभा के चुनाव के लिए यह तथ्य भाजपा और उसकी नैया के मुख्या करणधार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोनों के लिए बहुत चिंता का सबब हैं। एक साल में ही उत्तर प्रदेश में मोदी और योगी दोनों का करिश्मा इस तरह उतर जाना भाजपा के लिए निश्चित ही खतरनाक राजनितिक संकेत है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के १३ मार्च के विपक्षी दलों की डिनर डिप्लोमेसी के बीच यह नतीजे देश में विपक्षी दलों के साझे मोर्चे के गठन का रास्ता खोलेंगे।
उत्तर प्रदेश और बिहार में उपचुनाव के नतीजों के दौरान भाजपा के एक बड़े नेता ने इस संवाददाता से मजाक में कहा कि मोदी-शाह ने अपने लिए चुनौती दिख रहे योगी को इन उपचुनावों के जरिये ”निबटा” दिया। लेकिन मजाक से परे देखें तो भी यह नतीजे मोदी-शाह-योगी तीनों के लिए खतरे की बड़ी घंटी बजा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने सपा-भाजपा गठजोड़ को समर्थन दे दिया होता तो वह भी इस जीत की सहभागी बन जाती। लेकिन कांग्रेस खेमे से यही खबर है की वह २०१९ में उत्तर प्रदेश में महागठबंधन से इंकार नहीं करती।
मध्य प्रदेश और राजस्थान के हाल के उपचुनाव में भी भाजपा बुरी तरह पिटी थी। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा में सत्ता का केन्द्रीयकरण उसे अब भारी पड़ने लगा है। सारी सत्ता मोदी और शाह के आसपास घूमती है और आम कार्यकर्ता अलग-थलग पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश के लोक सभा की जिन दो उपचुनाव सीटों पर भाजपा हारी है उसमें से गोरखपुर मुख्यमंत्री का गढ़ है जबकि फूलपुर उपमुख्यमंत्री का घर है। इस लिहाज से भाजपा के लिए यह हार ज्यादा कष्ट देने वाली है।
बिहार की अररिया सीट पर लालू प्रसाद की पार्टी की जीत से लालू के बेटे तेज प्रताप को राजनीतिक
मजबूती मिली है जो पिता लालू के जेल में के बाद पार्टी अभियान का जिम्मा पूरी ताकत से संभाले हुए हैं। वहां जहानाबाद मही लालू की पार्टी आरजेडी जीती है हालाँकि भाजपा को मरहम भभुआ सीट पर जीत से मिली है। उत्तर प्रदेश के उपचुनाव के लिए काम मतदान भी इस बात का संकेत है कि लोग भाजपा की सरकार से ज्यादा खुश नहीं। एक चेहरे के नाम पर चुनाव लड़ने का नुक्सान यह भी है कि कार्यकर्ता ज्यादा सक्रिय नहीं हो पाते। ऊपर से सपा-बसपा के गठबंधन से बोटों का बटबारा नहीं हुआ और भाजपा हार गयी।
अब सबकी नजर इस पर रहेगी कि जीत के बाद उत्तर प्रदेश में भाजपा से मुकाबले के लिए किस तरह का गठबंधन सामने आता है। क्या २०१९ में लोकसभा चुनाव में भी सपा, बसपा, कांग्रेस आदि क्या साथ आते है ?