ईरान के एससीओ से जुड़ने से चाबहार में निजी निवेश बढ़ेगा, विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का मानना है कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में ईरान को सदस्यता मिलने के बाद चाबहार बंदरगाह में निजी निवेश की संभावनाएं बढ़ेंगी। याद रहे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वर्चुअल शिखर सम्मेलन में चाबहार बंदरगाह और आईएनएसटीसी की पूर्ण क्षमता को साकार करने का आह्वान किया था।

याद रहे इस बैठक में तेहरान एससीओ समूह का नौवां सदस्य बन गया है। विशेषज्ञों ने कहा कि ईरान की सदस्यता से चाबहार बंदरगाह में और अधिक प्रगति होगी। उन्होंने कहा कि साथ ही इससे इसमें निजी निवेश बढ़ाने और इसे पूर्ण सक्रियता की ओर ले जाने की संभावना बढ़ेगी।

विशेषज्ञों ने यह राय ‘एससीओ शिखर सम्मेलन के परिणाम: मॉस्को और दिल्ली से एक दृश्य’ शीर्षक से स्पुतनिक न्यूज़ की तरफ से आयोजित एक वीडियो ब्रिज में व्यक्त की। इस कार्यक्रम में स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ. अश्वनी महाजन, जेएनयू में स्कूल आफ इंटरनेशनल स्टडीज में पूर्व डीन अनुराधा चेनॉय, मिलिटरी एक्सपर्ट और डिपार्टमेंट आफ यूरेशियन इंटेग्रेशन एंड डेवलपमेंट आफ द एससीओ ऑफ द इंस्टीट्यूट ऑफ सीआईएस के हेड व्लादिमीर एवसेव और नेशनल रिसर्च यूनिवर्सिटी हाईर स्कूल आफ इकोनॉमिक्स एंड एमजीआईएमओ ऑफ द मिनिस्ट्री ऑफ फॉरेन अफेयर्स ऑफ रशिया सर्गेई लुजियनिन ने हिस्सा लिया।

पूर्व डीन अनुराधा चेनॉय ने स्पुतनिक के एक सवाल के जवाब में कहा कि चाबहार बंदरगाह और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी) दोनों को आर्थिक रूप से विकसित करने की बहुत ज्यादा संभावनाएं संभावनाएं हैं। चेनॉय ने कहा – ‘आईएनएसटीसी न केवल भारत और रूस को जोड़ता है, बल्कि मध्य एशिया के बाजारों को भी जोड़ता है। ईरान की सदस्यता के साथ चाबहार बंदरगाह में अधिक निजी निवेश आना चाहिए।’  

चेनॉय ने सुझाव दिया कि चाबहार में निजी निवेश की कमी का एक संभावित उपाय मॉस्को के अरबों भारतीय रुपये का उपयोग हो सकता है जो पिछले सालों से रूसी बैंक खातों में बिना इस्तेमाल के पड़े हैं। अनुभवी भारतीय शिक्षाविद ने चाबहार के साथ-साथ आईएनएसटीसी में निवेश में तेजी लाने के साधन के रूप में मुद्रा स्वैप लेनदेन के उपयोग का भी प्रस्ताव रखा।

उधर स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक अश्वनी महाजन ने भी भरोसा जताया कि ईरान की एससीओ सदस्यता चाबहार के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगी। उन्होंने कहा – ‘हम एससीओ में व्यापार बस्तियों में घरेलू मुद्राओं के उपयोग का स्वागत करेंगे।’ कार्यक्रम में पूर्व भारतीय राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने कहा कि ईरान जमीन से घिरे मध्य एशिया में कनेक्टिविटी बढ़ाने में महत्वपूर्ण है और एक ऊर्जा-समृद्ध देश भी है। उन्होंने रेखांकित किया कि ‘भारत ने पहले ही चाबहार बंदरगाह पर शाहिद बेहिश्ती टर्मिनल की क्षमता 2.5 मिलियन टन से बढ़ाकर 8.5 मिलियन टन कर दी है।’

बता दें रूस समर्थित आईएनएसटीसी के लिए चाबहार बंदरगाह, मध्य एशिया और ईरान के माध्यम से रूस को भारत से जोड़ने वाला 7,200 किलोमीटर का मल्टीमॉडल गलियारा है। इसे विकसित करने का प्रस्ताव पहली बार 2000 में रूस, भारत और ईरान ने लाया था। पिछले साल जुलाई में भारत के लिए माल ले जाने वाली पहली ट्रेन आईएनएसटीसी के माध्यम से ईरान पहुंची थी। भारत जाने वाले माल को बंदर अब्बास बंदरगाह के माध्यम से ईरान से भारत ले जाया गया था। एक और मालगाड़ी पिछले सितंबर में आईएनएसटीसी मार्ग के माध्यम से ईरान पहुंची थी।

मई में, मास्को ने अजरबैजान और इसे जोड़ने वाले राश्त-अस्तारा रेलमार्ग को विकसित करने के लिए 1.74 बिलियन डॉलर का निवेश किया था। ईरान रेलवे मार्ग को आईएनएसटीसी के भविष्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। एससीओ विभाग के प्रमुख व्लादिमीर एवसेव ने कहा कि ‘कई दशक पहले पहली बार घोषित किए जाने के बाद से गलियारे का महत्व कई गुना बढ़ गया है’।

उन्होंने कहा – ‘गलियारे की उपयोगिता को ध्यान में रखा जाना चाहिए, क्योंकि पिछले साल भारत-रूस द्विपक्षीय व्यापार के अधिकांश हिस्से में समुद्री मार्ग के माध्यम से भारत में रूसी कच्चे तेल का परिवहन शामिल था। हालांकि, व्यापार गलियारा और अधिक प्रासंगिक हो जाएगा यदि आईएनएसटीसी के मार्ग पर भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों के बीच संभावित व्यापार को भी इसमें शामिल किया जाए। क्षेत्रीय एकीकरण प्रक्रिया को गहरा करने के लिए चाबहार बंदरगाह को पूरी तरह से विकसित किया जाना चाहिए’।