‘इंडिया जितेगा, भाजपा हारेगी’- विपक्ष, अगली बैठक महाराष्ट्र में होगी

लोकसभा चुनाव से पहले बेंगलुरु में आज विपक्ष की दूसरी बैठक हुई। इस बैठक में 26 पार्टियों के नेता मौजूद रहें। कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बताया कि विपक्षी मोर्चे का नाम यूपीए से बदलकर इंडिया कर दिया गया है और  इसके संयोजक का नाम अगली बैठक में तय किया जाएगा। विपक्ष की तीसरी बैठक महाराष्ट्र में होगी। 

बता दें, इस बैठक में 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सर्वसमत्ती से विपक्षी मोर्चे के बदले हुऐ नाम INDIA (Indian National Developmental Inclusive Alliance) का सुझाव राहुल गांधी ने दिया। जिसपर विपक्ष के सभी नेताओं ने इस नाम पर सर्वसमत्ति जताई। 

बेंगलुरु कांग्रेस द्वारा आयोजित विपक्ष की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व सांसद राहुल गांधी, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, शरद पवार समेत तमाम पार्टियों के शीर्ष नेता उपस्थित रहें।

आज की बैठक में 26 पार्टियों में केरल कांग्रेस (एम), तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, वीसीके, आरजेडी, एनसीपी, पीडीपी, एमएमके, सीपीआई, सपा, आईयूएमएल, सीपीआईएमएल, शिवसेना (उद्धव), केरल कांग्रेस (जोसेफ), आरएसपी, सीपीएम, आरएलडी, जेडीयू, एनसीपी, नेशनल कांफ्रेंस, आप, अपना दल (के), जेएमएम, केएमडीके, यूबीटी, कांग्रेस शमिल है।

बैठक समाप्त होने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि, “बीजेपी संविधान को खत्म करना चाहती हैं। संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग हो रहा है। भाजपा विपक्ष से डर गई है और ईडी, सीबीआई के जरिए विपक्ष को निशाना बनाया जा रहा है। “

खरगे ने आगे बताया कि, “विपक्षी दलों की अगली बैठक मुंबई में होगी। चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों के 11 सदस्यीय की ऑर्डिनेशन कमिटी बनाई जायेगी। और इसके सदस्यों की घोषणा अगली बैठक में होगी। वहीं ज्वाइंट कैंपेन के लिए दिल्ली में एक सचिवालय बनाया जायेगा।” 

कांग्रेस के पूर्व सांसद राहुल गांधी ने कहा कि, “ये हमारी दूसरी बैठक है। आज बहुत सार्थक काम हुआ।लड़ाई बीजेपी की विचारधारा के खिलाफ़ है। ये देश की आवाज के लिए लड़ाई है। इसलिए इंडिया नाम चुना गया है। बीजेपी देश पर आक्रमण कर रही हैं। देश का पूरा का पूरा धन चंद लोगो के हाथों में दिया जा रहा है। देश मे बेरोजगारी फैल रही है। देश की आवाज को दबाया जा रहा है और देश को कुचला जा रहा है। ये लड़ाई एनडीए और इंडिया के बीच में है। ये लड़ाई नरेंद्र मोदी और इंडिया के बीच में है। हमने निर्णय लिया है कि एक एक्शन प्लान तैयार करेंगे और अगली बैठक में इस एक्शन प्लान पर काम करेंगे।”

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि, “हमारा पॉलिटिकल पार्टी की मीटिंग में तय हुआ कि यूपीए का नाम इंडिया होगा। आज से चुनौती की शुरुआत हुई है। देश आज खतरे में है। बीजेपी का काम सरकार बेचना और खरीदना हो गया है। देश में लोगो की आजादी पर खतरा होंडा है। इंडिया यानी देश को बचाना है। देश के लोगो को बचाना है, बीजेपी को हटाना है। क्या एनडीए इंडिया को चुनौती दे पाएगा? इंडिया जीतेगा और हमारा देश जीतेगा।”

आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि, “देश की 26 पार्टियां बेंगलुरु में एकात्रित हुई है। आज से 9 साल पहले नरेंद्र मोदी को भारी बहुमत देकर जनता ने जिताया था। लेकिन उन्होंने एक भी सेक्टर में तरक्की नहीं की बल्कि सबकुछ भुंकी बरबाद कर दिया है- रेलवे, इकोनॉमी, जहाज, आसमान, धरती, पाताल, सब बीजेपी ने बेच दिया है। बीते 9 साल में मोदी सरकार ने देश की संपत्तियां बेच दी। हर सेक्टर को बर्बाद कर दिया। आज देश का हर वर्ग दुखी है। आज हम सब एक ऐसे भारत का सपना लेकर एकजुट हुए हैं, जहां युवाओं को रोजगार, बच्चों को अच्छी शिक्षा और लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा मिले।”

शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने कहा कि, “दूसरी कामयाब मीटिंग हुई है। तानाशाही के खिलाफ जनता आज इक्कठा हुई है। हम भारत (इंडिया) को आगे लेकर जायेंगे। ये लड़ाई हमारी व्यक्ति विशेष की तरक्की कि नहीं बल्की हमे बचाना है इसलिए हम एकत्रित हुए है। आज़ादी की लड़ाई के लिए हम एकजुट हुए है। ‘डरो मत, हम है’। पूरे देश की जनता देश है कोई एक पार्टी देश नहीं हो सकती।”

आपको बता दें, इंडिया से संबंधित 26 राजनीतिक दलों का सामूहिक संकल्प में कहा गया है कि, “26 दलों के हस्ताक्षरित नेता, संविधान में निहित भारत के विचार की रक्षा के लिए अपना दृढ़ संकल्प व्यक्त करते हैं। हमारे गणतंत्र के चरित्र पर भाजपा द्वारा व्यवस्थित तरीके से गंभीर हमला किया जा रहा है। हम अपने देश के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं। भारतीय संविधान के मूलभूत स्तंभों-धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र, आर्थिक संप्रभुता, सामाजिक न्याय और संघवाद-को व्यवस्थित रूप से और खतरनाक रूप से कमजोर किया जा रहा है।”

आगे कहा गया है कि, “मणिपुर को तबाह करने वाली मानवीय त्रासदी गंभीर चिंता का विषय हैं। और प्रधानमंत्री की खामोशी चौंकाने वाली और अभूतपूर्व है। मणिपुर को शांति और सुलह के रास्ते पर वापस लाने की तत्काल आवश्यकता है। वहीं आवश्यक वस्तुओं की लगातार बढ़ती कीमतों और रिकॉर्ड बेरोजगारी के गंभीर आर्थिक संकट का सामना करने के अपने संकल्प को मजबूत करते हैं।” 

हम अल्पसंख्यकों के खिलाफ पैदा की जा रही नफरत और हिंसा को हराने के लिए एक साथ आए हैं; महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और कश्मीरी पंडितों के खिलाफ बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए; सभी सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों के लिए एक निष्पक्ष सुनवाई की मांग करते हैं; और, पहले कदम के रूप में, जाति जनगणना को लागू करें। साथ ही राष्ट्र के सामने एक वैकल्पिक राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक एजेंडा पेश करने का संकल्प लेते हैं। हम शासन के सार और शैली दोनों को बदलने का वादा करते हैं जो की अधिक परामर्शात्मक, लोकतांत्रिक और सहभागी होगा।”