त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय में सरकार पर काबिज होने के बाद क्या भाजपा की नजर अब सत्ता से महरूम तमिलनाडु पर है ? कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव इसी साल होने हैं और अगले फिर अगले साल तमिलनाडु की भी बारी है जहाँ फिल्म स्टार राजनीति के भी स्टार रहे हैं। तमिलनाडु में भाजपा का अपना कोइ आधार नहीं है लिहाजा राजनितिक हलकों में यही चर्चा रही है कि क्या उत्तर पूर्व के राज्यों की तरह क्या वह क्षेत्रीय क्षत्रपों पर डोरे डालकर उन्हें अपने पाले में लाकर अपना आधार बनाएगी ? तमिलनाडु में दिसंबर में मेगा स्टार रजनीकांत ने राजनीति में उतरने की घोषणा की थी हालाँकि कमल हासन के अपनी पार्टी के नाम के घोषणा के बावजूद रजनीकांत ने अपनी पार्टी के नाम का ऐलान नहीं किया है। हाल ही में रजनीकांत जब अपनी आध्यात्मिक यात्रा के दौरान हिमाचल के पालमपुर आये तो भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल भी उनके साथ थे। बस, यहीं से यह कयास लगने शुरू हो गए हैं रजनीकांत के धूमल के साथ आने के क्या कोइ राजनितिक मायने हैं।
यह बात तो गले उतरती नहीं कि धूमल और रजनीकांत संयोग से मिल गए। क्या भाजपा आलाकमान के इशारे पर धूमल रजनीकांत से मिले, इसकी कोइ पुख्ता जानकारी नहीं। लेकिन इतना तो है कि रजनीकांत की लोकप्रियता की किस्ती पर सवार होकर भाजपा तमिलनाडु में बड़ा सपना बुन सकती है।
खुद रजनीकांत ने इसमें किसी तरह के राजनितिक मायने निकलने के इंकार किया, भाजपा के एक बहुत वरिष्ठ नेता का उनके साथ आना उच्च संकेत तो करता ही है। ”तहलका” ने धूमल से फ़ोन पर बात कर पूछा कि क्या उनकी कोइ राजनितिक चर्चा रजनीकांत से हुई तो उन्होंने इससे मना किया। सिर्फ इतना कहा – ”रजनीकांत लोकप्रिय कलाकार हैं और उन्होंने तमिलनाडु की राजनीति में भी उतरने का ऐलान किया है। लेकिन हमारी उनसे यहाँ भेंट को राजनीति से न जोड़ें।”
पत्रकारों के सवाल पर रजनीकांत ने कहा, ‘मैं यहां तीर्थ यात्रा पर हूं। यह दौरा अनोखा, आध्यात्मिक और रूटीन से अलग है। मैं यहां राजनीति पर बात नहीं करना चाहता हूं।’ आध्यात्मिक राजनीति का वादा करने वाले सुपरस्टार रजनीकांत आध्यात्मिक गुरुओं से मुलाकात करेंगे और राजनीति के लिए सलाह मांगेंगे। रजनीकांत ने कहा की वे १९९५ से ऐसी आध्यात्मिक यात्रायें करते रहे हैं। उन्होंने बैजनाथ के ऐतिहासिक शिव मंदिर में माथा टेका और इस दौरान धूमल उनके साथ थे।
तमिल राजनीति में फिल्मी सितारों का प्रवेश पुराणी रिवायत रही है। वहां जनता का फिल्मी सितारों से भावनात्मक जुड़ाव रहा है। एमजी रामचंद्रन और जे. जयललिता जैसेभी सफल राजनितिक नेता सिल्वर स्क्रीन पर धमाल मचाने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि ने भी अपने करियर की शुरुआत तमिल फिल्म उद्योग में पटकथा लेखक के रूप में ही की थी।
रजनीकांत ने खुद बताया कि वे अक्सर आध्यात्मिक यात्रा पर जाते रहते हैं। रजनी ने पिछले साल 31 दिसंबर को राजनीति में कदम रखने की घोषणा करते हुए कहा था कि वह अपनी पार्टी बनाएंगे और तमिलनाडु की सभी 234 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।
कमल हासन और सुपरस्टार रजनीकांत द्वारा अपनी पार्टियों के गठन के ऐलान के बाद १५ मार्च को दिनाकरन ने भी अपनी पार्टी का ऐलान कर दिया। पार्टी का नाम अम्मा मक्कल मुनेत्र कड़कम (एएमएमके) रखा है। एएमएमके पार्टी के झंडे पर जयललिता की तस्वीर बनाई गई है। चुनाव चिन्ह कुक्कर रखा गया है हालांकि दिनाकरन का कहना है उनकी जंग दो पत्ती चुनाव चिन्ह दोबारा पाने के लिए जारी रहेगी। अपनी पार्टी बारे में कहा कि कुछ महीने पहले तक पार्टी का झंडा और चुनाव चिन्ह न होने की वजह से काम करने में थोड़ी मुश्किलें आ रही थीं। ”पार्टी को झंडा और चुनाव चिन्ह मिलने से अब काम में तेजी आएगी।” उन्होंने उन्हें समर्थन देने वाले 18 विधायकों का धन्यवाद किया। दिनाकरन ने दावा किया कि तमिलनाडु में उनकी पार्टी ही विधानसभा का अगला चुनाव जीतेगी।
रजनीकांत काँगड़ा जिले के पालमपुर में कंडबाड़ी में स्थित मेडिटेशन सेंटर ट्रस्ट में जिन योगीराज अमर ज्योति महाराज के आश्रम में पहुंचे वे धूमल के भी गुरु रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि धूमल की उनसे भेंट सिर्फ संयोग था। रजनीकांत के आने की खबर के बाद आम लोग भी भारी संख्या में मंदिर पहुँच गए। उनमें रजनीकांत की एक झलक पाने की होड़ लगी रही। रजनीकांत को सम्मानित भी किया गया। वह काफी देर यहां पर रुके और इसके बाद महाकाल मंदिर में गए। रजनीकांत ने कहा कि उन्हें शिव मंदिर बैजनाथ में आकर अच्छा लगा। उन्होंने यहां पर माथा टेका।
सुपरस्टार रजनीकांत की राजनीति में एंट्री से तमिलनाडु की राजनीति ने नई करवट ले ली है। जयललिता की मौत के बाद ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (ऐआईडीएमके) दोफाड़ हो चुकी है। पार्टी में एक धड़ा मुख्यमंत्री पलनिसामी और उनसे पहले मुख्यमंत्री रहे ओ. पन्नीरसेल्वम के नेतृत्व वाला है, जबकि दूसरा धड़ा शशिकला के नेतृत्व वाला है। शशिकला भले जेल में हैं, उनका समर्थक धड़ा पूरी ताकत से मैदान में डटा है।
माना जाता है कि पलनिसामी और पन्नीर धड़े को एक करने में भाजपा की बड़ी भूमिका रही थी। लेकिन इसी साल जनवरी में हुए आरकेनगर उपचुनाव में शशिकला के भतीजे और निर्दलीय उम्मीदवार टीटीवी दिनकरन की जीत ने तमिल राजनीति में नया मोड़ लाया है। भाजपा को भी इससे बड़ा झटका लगा है और वह विधानसभा चुनाव या २०१९ के लोकसभा चुनाव से पहले रणनीति में बदलाव कर अपने पांव सूबे में जमाना चाहती है।
दो महीने पहले ए. राजा और कनिमोझी को 2जी घोटाले में क्लीनचिट मिलने से करुणनिधी के डीएमके में उत्साह भर दिया है। तो क्या रजनीकांत तमिलनाडु में भाजपा का चेहरा हो सकते हैं ? रजनीकांत के राजनीति में आने से पहले ही तमिलनाडु में सत्ता की लड़ाई दिलचस्प हो चुकी है। राज्य विधानसभा चुनाव में काफी समय है लिहाजा अभी कुछ कयास लगाना मुश्किल है। लेकिन यह तो तब है कि भाजपा अपने खुद के शुजानधार के चलते किसी बड़ी शख्शियत को अपने साथ मिलकर चुनाव में उतरेगी।
अम्मा जे. जयललिता के निधन के बाद प्रदेश की राजनीति में ‘मेगास्टार नेता’ की जगह खाली पड़ी है। रजनीकांत ने इसपर अपना दावा ठोका ज़रूर है लेकिन वहां फिलहाल राजनीति के कई तरीकों बने हुए हैं। रजनीकांत जब अपनी पार्टी के नाम का ऐलान करेंगे तभी कुछ साफ़ होगा।
अभिनेता से राजनेता की भूमिका में उतरने वाले कमल हासन की फिल्मी दुनिया में रजनीकांत से प्रतिद्वन्तता रही है। कमल हासन ने हाल में कहा था, ‘तमिलनाडु राज्य को आगे बढ़ाने के लिए मैं आपको (छात्रों को) राजनीति में देखना चाहता हूं। मक्कल निधि मय्यम (एमएनएम) आप जैसे लोगों की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देख रही है।’ हासन ने कहा, ‘हम जैसे बहुत से लोग पोलिंग बूथ तक नहीं जाते हैं। केवल इसी वजह से आज हमारी इतनी बुरी हालत है। हम तक अपने विचार पहुंचाइए। हम आपको सुनेंगे और उससे सीखने की कोशिश करेंगे।’ तमिल सियासत में छात्र आंदोलन काफी अहमियत रखता है। कॉलेज के शिक्षक से राजनेता बने सीएन अन्नादुरै के अलावा एमजी रामचंद्रन और एम करुणानिधि जैसे बड़े नेताओं ने हिंदी को थोपने जैसे मुद्दे पर लोगों की भावनाओं के अलावा छात्र आंदोलनों को सत्ता की सीढ़ी बनाया। यही नहीं 1967 में कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने में छात्र शक्ति का बड़ा योगदान था। रजनीकांत को लेकर छात्रों में काफी उत्साह देखने को मिलता रहा है। पिछले हफ्ते अपने एक संबोधन के दौरान रजनी ने कहा था कि वह एमजीआर तो नहीं बन सकते लेकिन तमिलनाडु में उनके जैसा शासन दोबारा ला सकते हैं।