प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने संकेत दिया है कि आगामी बजट लोकलुभावन नहीं होगा। “आम आदमी छूट या मुफ्त की चीज नहीं चाहता है… यह (मुफ्त की चीज की चाहत) आपकी कोरी कल्पना है,” उन्होंने कहा।
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार के फैसले जनता की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए होते हैं।
एक टीवी साक्षात्कार में उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार सुधारों के एजेंडे पर काम कर रही है जिसकी वजह से भारत ‘कमजोर पांच’ अर्थव्यवस्थाओं से निकल कर एक ‘उज्ज्वल स्थान’ तक पहुँच गया है।
अपनी आर्थिक नीतियों का बचाव करते हुए मोदी ने कहा कि विमुद्रीकरण “एक बहुत सफल क़दम था”।
जीएसटी के बारे में उन्होंने कहा कि उनकी सरकार माल एवं सेवा कर में संशोधन के सुझाव पर अमल के लिए तैयार है ताकि इसे अधिक कारगर प्रणाली बनाया जा सके और इसकी खामियां दूर हों।
उन्होंने बेरोजगार विकास प्रदान करने की आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि “रोजगार सृजन के बारे में झूठ” फैलाया जा रहा है और उनकी सरकार की नीतियां नौकरियां पैदा करने में सक्षम रही हैं।
कृषि संकट के बारे में उन्होंने पीटीआई के मुताबिक कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि वो किसानों के मुद्दों की पहचान कर उसका हल निकालें।
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी सरकार 201 9 के आम चुनाव से पहले अपने अंतिम पूर्ण बजट में लोकलुभावन बंद कर देगी, मोदी ने कहा कि यह मुद्दा वित्त मंत्री के दायरे में आता है और वह इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहते।
“लेकिन जिन लोगों ने मुझे मुख्यमंत्री (गुजरात) और प्रधान मंत्री के रूप में देखा है (पता होगा) कि आम आदमी इन सब चीजों को नहीं चाहता है। यह एक मिथक है,” उन्होंने कहा।
प्रधान मंत्री ने कहा आम आदमी ईमानदारी से शासन की अपेक्षा करता है।