अब तो समझें साफ-सफाई का महत्त्व

-हम पर हर रोज़ अटैक करते हैं सैकड़ों वायरस -गन्दगी रखने से पनपती हैं दर्ज़नों बीमारियाँ

जबसे कोरोना वायरस का आतंक फैला है, सरकारों और डॉक्टरों द्वारा हम सबको सलाह दी जा रही है कि दिन में बार-बार हाथ धोएँ, घर में साफ-सफाई रखें। मुँह को ढककर रखें, सेनेटाइजर का इस्तेमाल करें। 2014 और 2015 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाथ में झाड़ू उठाकर खुद सफाई अभियान चलाया और स्वच्छ भारत की देशवासियों को सीख दी, तो लोगों उनकी इस मुहिम के अलग-अलग मतलब निकाले। इतने बड़े और गरिमामयी पद पर आसीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का उस समय चाहे जो भी उद्देश्य रहा हो, लेकिन उन्होंने हम सब देशवासियों को साफ-सफाई से रहने की हमारी परम्परा याद दिला दी। आज जब कोरोना वायरस के डर से हम लोग घरों में बन्द हैं और साफ-सफाई से रहने की कोशिश कर रहे हैं, तब हमें सोचना होगा कि साफ-सफाई का जीवन में उतना ही महत्त्व है, जितना कि जीवित रहने के लिए हवा, पानी और भोजन का। आज जब कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया के लोगों को भयभीत कर रखा है, तब सबकी समझ में आने लगा है कि साफ-सफाई का जीवन में कितना ज़्यादा महत्त्व है?

हम पर हर रोज़ होता है वायरस का हमला

अधिकतर लोग शायद बात नहीं सोचते हैं कि उन पर हर रोज़ कितने वायरस हमला करते हैं? लेकिन इस पर सभी को विचार करने की ज़रूरत है। डॉक्टर धवल कहते हैं कि हवा में, पानी में, घर में, बाहर में और यहाँ तक कि हमारे खाने-पीने में हज़ारों तरह के कीटाणु मौज़ूद होते हैं। यह कीटाणु हवा के द्वारा, पानी के द्वारा, भोजन के द्वारा और बाहरी अटैक के द्वारा, जैसे मच्छर, खटमल या अन्य परजीवी के काटने से हमारे शरीर में बड़ी आसानी से प्रवेश कर जाते हैं। इनमें कुछ तो हमें फायदा पहुँचाते हैं, लेकिन अधिकतर नुकसान ही पहुँचाते हैं। यदि हवा, पानी और भेजन शुद्ध हो, तो इनमें मौज़ूद कीटाणुओं में अधिकतर फायदा पहुँचाने वाले होते हैं; मगर इनमें थोड़ी भी खराबी आने यानी इनके दूषित होने से इनमें भी नुकसान पहुँचाने वाले कीटाणु पनपने लगते हैं। वहीं परजीवियों के काटने से शरीर में पहुँचने वाले कीटाणु केवल नुकसान ही पहुँचाते हैं। नुकसान पहुँचाने वाले सभी प्रकार के कीटाणुओं को विषाणु और रोगाणु बोलते हैं। इन्हें ही वायरस कहा जाता है। यह इंसानों को ही नहीं, बल्कि हमारे आसपास रहने वाले जानवरों को भी बहुत नुकसान पहुँचाते हैं। डॉक्टर धवल कहते हैं कि कुछ वायरस तो पालतू जानवरों के द्वारा ही हम इंसानों में फैलते हैं। इसलिए हम सबको जितना अधिक-से-अधिक हो सके साफ-सफाई से रहना चाहिए। अन्यथा बीमारियाँ हमें कभी नहीं छोड़ेंगी। यही वजह है कि हर इंसान को बचपन से ही साफ-सुथरा रहने के लिए प्रेरित किया जाता है।

हर छोटी-बड़ी बीमारी का कारण है वायरस

डॉ. मनीष बताते हैं कि चेहरे पर छोटे से छोटा दाग हो, सर्दी-जुकाम हो या कोई बड़ी-से-बड़ी बीमारी; सबका कारण वायरस संक्रमण है। कभी-कभी जब अचानक शरीर सुस्त होने लगता है। उस समय अगर कोई थकान या भूख कारण न हो, तो तुरन्त समझ लेना चाहिए कि शरीर पर कोई वायरस अटैक कर चुका है। ऐसे में अधिकतर लोग लापरवाही कर जाते हैं और देखते-देखते बीमार पड़ जाते हैं। जबकि जैसे शरीर में सुस्ती महसूस हो, हल्का-फुल्का व्यायाम करना शुरू करने के अवाला कुछ पौष्टिक भोजन करना चाहिए, ताकि शरीर में उस वायरस से लडऩे की क्षमता पैदा हो सके। अगर फिर भी आराम न मिले, तो तुरन्त योग्य डॉक्टर को दिखाना चाहिए। डॉक्टर मनीष कहते हैं कि ज़रूरी नहीं है कि शरीर सुस्त होने के साथ ही कोई बीमार पड़ जाए। किसी के बीमार पडऩे के कई स्थितियाँ होती हैं। इन स्थितियों को लोग नहीं समझते। लोगों की तो छोडि़ए कई डॉक्टर भी नहीं समझते। मसलन अगर दो लोग एक ही जगह पर एक ही तरह के वायरस की चपेट में आते हैं, तो जो व्यक्ति शरीर से ज़्यादा मज़बूत होगा, वह देर से बीमार पड़ेगा या हो सकता है कि अगर वायरस बहुत ताकतवर न हो, तो अच्छी हेल्थ वाला व्यक्ति बीमार न भी पड़े। लेकिन जो कमज़ोर व्यक्ति होगा, वह जल्द और ज़रूर बीमार पड़ जाएगा। दूसरी स्थिति यह है कि कुछ वायरस ऐसे भी होते हैं, जिनके अटैक के कई साल बाद बीमारी का पता चलता है। ऐसे वायरस अधिकतर खतरनाक बीमारियाँ पैदा करते हैं। जैसे टीवी, कैंसर, दमा, नज़ला, किसी अंग की खराबी आदि। ये बीमारियाँ हमेशा धीरे-धीरे शरीर में पनपती रहती हैं, जिन पर शुरू में किसी का ध्यान नहीं जाता और बाद में स्थिति बहुत खराब हो जाती है। इसलिए हर आदमी को अपने स्वास्थ पर पूरा ध्यान देना चाहिए और शरीर की जाँच भी कराते रहना चाहिए।

क्यों ज़रूरी है नियमित सफाई?

अगर ज़िन्दगी को बेहतर तरीके से जीना है, तो हर एहतियात से सुरक्षा ज़रूरी है। यह सुरक्षा केवल सड़क पर चलने किसी चोट से खुद को बचाने से ही नहीं हो जाती। इसके लिए लगातार साफ-सफाई की भी ज़रूरत है। यह साफ-सफाई शरीर, कपड़ों, घर, दफ्तर, वाहन और आसपास के स्थानों पर भी होनी चाहिए और नियमित होनी चाहिए। अन्यथा हमें बीमार पडऩे से कोई नहीं रोक सकता। डॉक्टर मनीष कहते हैं कि कुछ बीमारियाँ एक-दूसरे के सम्पर्क में आने से फैलती हैं। कोरोना भी इन्हीं बीमारियों में से एक है। ऐसे में ज़रूरी है कि नियमित अपनी और अपने घर की नियमित साफ-सफाई रखने के अलावा यदि कोई बीमार है, तो उसके सम्पर्क में आने से बचा जाए।

कहाँ-कहाँ पनपते हैं वायरस?

अक्सर लोग घर या दफ्तर में सफाई करते समय कुछ ऐसी जगहों को साफ करना भूल जाते हैं, जहाँ अधिक वायरस पनपते हैं। इतना ही नहीं कुछ लोग तो ऐसी जगहों को महीनों साफ नहीं करते। इनमें बेड, अलमारी के नीचे के स्थान, स्टोर रूम, सीढिय़ाँ, ग्रिल, खिड़की, दरवाज़े, किचिन, घर या दफ्तर की दीवारें, सोफे, कुॢसयाँ, रज़ाई-गद्दे, बेड, स्लिप, बैग, जूते, घड़ी, सिलेंडर, बर्तनों का स्टैंड, वाहनों की सीट, अपने टॉमी के खाने-पीने के बर्तन, चिडिय़ों के लिए रखा गया पानी का बर्तन और न जाने कितनी ही चीज़ें तथा जगहें शामिल हैं, जिन्हें हर रोज़ अधिकतर लोग साफ नहीं करते। जबकि हर चीज़ और हर जगह की नियमित सफाई कितनी ज़रूरी है, इस बात का अहसास या तो बीमार पडऩे के बाद होता है या आज कोरोना वायरस के फैलने के बाद हो रहा है। लेकिन समझदार वो लोग हैं, जो पहले से ही साफ-सफाई रखते हैं।

गर्म पानी और नीम के पत्तों से मारें वायरस

डॉक्टर धवल कहते हैं कि अगर आपको कभी सर्दी, खाँसी, बदन दर्द या बुखार महसूस हो, तो कम-से-कम सर्दियों में गर्म पानी से नहाएँ। जहाँ तक सम्भव हो, नहाने से पहले गुनगुने सरसों के तेल से शरीर की मालिश करें और फिर अच्छे साबुन से या साबुन न हो तो नीम या कीटनाशक किसी पौधे के पत्ते पानी में उबालकर उस पानी में सादा पानी मिलाकर नहाएँ। इसके अलावा गर्मियों में भी बहुत ठंडे पानी से न नहाकर सादा पानी से नहाएँ। अगर अधिक तबीयत खराब हो, तो भी नहाने से बचने की कोशिश न करें। बहुत मजबूरी हो, तो भी गर्म पानी में साफ कपड़ा भिगोकर प्रतिदिन उससे बदन ज़रूर पोंछें।

केवल नहाने भर से साफ नहीं होता शरीर

डॉक्टर धवल कहते हैं कि केवल नहाने भर से शरीर साफ नहीं होता। शरीर को साफ रखने के लिए नाखून, बाल भी काटने ज़रूरी होते हैं। खासतौर से शरीर के गुप्त स्थानों पर से बालों को हटाना बहुत ज़रूरी होता है। इसके अलावा शरीर के हर अंग की नियमित सफाई ज़रूर करनी चाहिए। व्यायाम या शारीरिक और मानसिक मेहनत का काम करना ज़रूरी है। जहाँ तक सम्भव हो धूल और प्रदूषण वाली जगहों से बचना चाहिए और अगर ऐसा सम्भव न हो, तो ऐसी जगहों पर जाने से पहले शरीर को कपड़ों के ज़रिये ढँक लेना चाहिए।

शारीरिक और मानसिक रोगों का एक कारण गन्दगी भी

डॉक्टर धवल कहते हैं कि यह तो हम सभी जानते हैं कि अगर लम्बा जीवन जीना है, तो साफ-सफाई से रहना ज़रूरी हो जाता है। क्योंकि गन्दगी से न केवल तमाम रोग शरीर में लग जाते हैं, बल्कि मानसिक तनाव और दुर्बलता भी बढ़ती है। डॉक्टर धवल कहते हैं कि बहुत कम लोग जानते हैं कि गन्दा रहने से आदमी का दिमाग ठीक से काम नहीं करता है। वह आलसी, बीमार, सुस्त, कमज़ोर, चिड़चिड़ा या फिर पागल-सा होने लगता है। इसका कारण यह है कि शरीर साफ न रहने से शरीर में रक्त का संचार सही तरह से नहीं होता है। इसके अलावा कई रोगाणु, विषाणु शरीर में घर कर लेते हैं, जो गन्दे रहने वाले इंसान को धीरे-धीरे बीमार करने लगते हैं।