अंधविश्वास की पराकाष्ठा

हिमाचल के गाँव में 81 साल की बुजुर्ग महिला से धर्म के नाम पर हुई अमानवीयता झकझोर देती है। धर्म के ठेकेदार किस हद तक क्रूरता कर सकते हैं, यह घटना उसकी एक बानगी है। सबसे शर्मनाक पहलू पुलिस और प्रशासन की अकर्मण्यता है, जो ऐसी घटनाओं पर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं। पढि़ए यह रिपोर्ट।

अंधविश्वास और धार्मिक आस्था के नाम पर हमारे गाँवों में अभी भी कितने जुल्म होते हैं, यह हिमाचल प्रदेश के मंडी ज़िले के एक गाँव के घटना से ज़ाहिर हो जाता है, जिसमें अंधविश्वास के नाम पर 81 साल की बुजुर्ग महिला से क्रूरता की तमाम हदें पार कर दी गयीं। इस महिला के गले में जूतों की माला पहनायी गयी, उनके बाल काट दिये गये और मुँह पर कालिख पोत दी गयी। वे लोग यहीं तक नहीं रुके, बल्कि उन्होंने अमानवीयता की तमाम हदें पार करते हुए बुजुर्ग महिला को देवता के रथ के आगे घसीटा। घटना सामने आयी तो हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने इसका खुद संज्ञान लिया और अब यह मामला कोर्ट में है।

जिस महिला राजदेई के साथ यह सब कुछ हुआ वे एक पूर्व सैनिक की विधवा हैं और उनकी देखभाल करने वाला घर में कोई नहीं है। लिहाज़ा वे अपनी विवाहिता बेटियों के ही सहारे हैं। हद तो यह कि इस महिला से क्रूरता इस मामले में महिलाएँ भी शामिल रहीं, जिनमें एक देवता के मंदिर की पुजारिन भी है। घटना इसलिए भी गंभीर है, क्योंकि यह हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम के गृह ज़िला मंडी से जुड़ी है। पुलिस ने 24 लोगों को गिरफ्तार किया है।

हैरानी की बात यह रही कि मीडिया में खबर आते ही दुनिया-भर में घटना की चर्चा हो गयी; लेकिन पुलिस ने अपनी तरफ से कुछ नहीं किया और हाथ पर हाथ धरे बैठे रही। यहाँ तक कि घटना के शुरुआती दिनों में किसी सरकारी अधिकारी ने महिला से मिलने की ज़हमत तक नहीं उठायी। इस आधुनिक युग में भी समाज किस हद तक ऐसे मामलों में असंवेदनशील है, वह भी इस घटना से ज़ाहिर हो जाता है; क्योंकि जब महिला कुछ सिरफिरों की हैवानियत का शिकार हो रही थी, तो कोई गाँव वाला उसे बचाने नहीं आया।

घटना जब सामने आयी तो इसे लेकर विरोध-प्रदर्शन भी शुरू हो गये। क्रूरता मामले की चौतरफा निन्दा हुई। कई सामाजिक संगठन इसके िखलाफ आवाज़उठाने लगे। राजधानी शिमला में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसके िखलाफ मोर्चा खोल दिया। सामाजिक कार्यकर्ता रवि कुमार ने कार्यकर्ताओं सहित शिमला के रिज में महात्मा गाँधी की प्रतिमा से लेकर हाई कोर्ट तक विरोध मार्च किया। रवि कुमार ने कहा- ‘प्रदेश में देवताओं के नाम पर हो रहे अत्याचार निंदनीय हैं। ऐसे लोगों के िखलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि अत्याचार की ऐसी पुनरावृत्ति न हो सके।’

यही नहीं गांव वालों में से ही किसी ने महिला का सडक़ पर घसीटे जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया जो तुरंत वायरल हो गया। यह घटना हिमाचल के मंडी जिले के उपमंडल सरकाघाट की गोहर पंचायत की है। वहां के समाहल गांव में इस बुजुर्ग महिला के साथ हुई क्रूरता रोंगटे खड़े कर देती है। इस महिला से गांव के देवता के कथित कारिंदों ने इतना जुल्म इसलिए किया क्योंकि उन्हें शक था कि यह महिला जादू-टोना करती है और देवता इससे ‘नाराज़’ हैं।

यह मामला मानवाधिकार आयोग के अलावा, महिला आयोग के पास भी पहुंचा है। घटना की जानकारी मिलने के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इसकी जांच के आदेश जारी किये तब जाकर पुलिस की नींद खुली। मुख्यमंत्री ने कहा – ‘वर्तमान समाज में ऐसी घटनाएँ किसी भी सूरत में सहन नहीं की जा सकतीं। हमने जाँच के आदेश दिये हैं और माननीय उच्च न्यायालय ने भी इसका संज्ञान लिया है। दोषियों को किसी भी सूरत में नहीं बख्शा जाएगा।’

यह घटना अंधविश्वास और गुंडागर्दी से जुड़ी है, जिसमें धर्म के ठेकेदारों ने इस बुजुर्ग महिला पर कथित जादू-टोने का आरोप लगा उससे अमानुषिक व्यवहार किया। सिरफिरों की हैवानियत का शिकार बुजुर्ग महिला के दामाद ने सरकाघाट थाने में शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस को दी गयी शिकायत में करीब दो दर्जन लोगों के नाम लिखवाये थे, जिन्होंने बुजुर्ग के साथ यह क्रूरता की।

शिकायत के मुताबिक, जादूटोना का आरोप लगाने वाले वहशियों ने बुजुर्ग महिला के बाल काटे, उनके चेहरे पर कालिख पोती गयी और गले में जूतों की माला पहनाकर देवता के रथ के आगे उन्हें घसीटा गया। बुजुर्ग महिला ने उसे छोडऩे की बार-बार गुहार लगाई लेकिन किसी ने उनकी न सुनी। धर्म के ठेकेदार अपनी मनमानी करते रहे। यही नहीं, गांव वालों ने इस वहशी घटना का वीडियो भी बना डाला और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। बुजुर्ग महिला विधवा हैं और उनकी दो विवाहित बेटियां हैं। यहां तक कि कोई उनकी देखभाल करने वाला भी नहीं।

घटना का ब्योरा

समाहल गांव में स्थानीय देवता का मंदिर है जिनकी ग्रामीणों में खूब आस्था है। देव पुजारी (गुर) की तीन साल पहले मृत्यु हो गई जिसके बाद कोई पुजारी तय नहीं हुआ। हालांकि कुछ आसामजिक तत्त्वों ने इसका फायदा उठाकर खुद को देवता का सेवक बताकर लोगों को धर्म के नाम पर डराना-धमकाना शुरू कर दिया। यही लोग इस घटना के पीछे हैं।

‘तहलका’ को मिली जानकारी के मुताबिक कोई हफ्ता भर पहले देवरथ के साथ यह लोग बुजुर्ग महिला के घर गए और उस पर कथित जादू-टोना का आरोप लगाया। यही नहीं उसके घर में तोडफ़ोड़ भी की गयी। इसकी जानकारी बुजुर्ग महिला को मिली तो उसके गाँव आकर पंचायत में इसकी शिकायत की। आरोप है कि पंचायत के सामने भी इन लोगों ने महिला को देवता के नाम पर डराया-धमकाया और शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया। बुरी तरह डरी बुजुर्ग महिला ने भारी दबाव में शिकायत वापस ले ली और अपनी बेटी के  घर लौट गयी।

कुछ दिन बाद जब वह फिर अपने गाँव आयी तो इन समाज विरोधी तत्त्वों ने महिला के सिर के बाल काटे, उनका मुँह काला किया और उनके गले में जूतों की माला पहनाकर देवता के रथ के साथ पूरे गाँव में घसीटा गया। आरोप है कि इतनी शर्मनाक घटना के बाद भी प्रशासन का कोई अधिकारी महिला को सांत्वना देने नहीं गया। यह बुजुर्ग महिला एक पूर्व सैनिक की पत्नी है। उनकी एक बेटी तृप्ता भरेड़ी में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं और दूसरी बेटी नर्स हैं। तृप्ता के पति हमीरपुर में एडवोकेट हैं।

तृप्ता के मुताबिक, सीएम जयराम के आदेश के बाद जाकर उनकी माँ के बयान दर्ज किये गये। और कुछ लोगों की गिरफ़्तारी भी हुई। गिरफ्तारी के बाद गाँव में तनाव हो गया, जिससे एसडीएम ने सरकाघाट में धारा 144 लगानी पड़ी और स्थिति से निपटने के लिए पुलिस तैनात करनी पड़ी। डीएसपी सरकाघाट चंद्रपाल सिंह के मुताबिक महिला वाले मामले में आईपीसी की धारा 147, 149, 452, 355, 435 और 427 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

यह रिपोर्ट फाइल होने तक क्रूरता के इस मामले में गिरफ्तार सभी 24 आरोपियों को दो हफ्तों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। पहले सभी आरोपी पुलिस रिमांड पर थे जिसके बाद उन्हें दोबारा से अदालत में पेश किया गया। अदालत ने तमाम आरोपियों की जमानत याचिका भी खारिज कर दी। दिलचस्प यह है कि जमानत की याचिका गाँव वालों ने ही दािखल की थी।

इस मामले में 24 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है जिनमें 15 पुरुष और 9 महिलाएँ हैं। इनमें एक 18 वर्षीय युवक और देवता की कथित पुजारिन 22 वर्षीय महिला भी शामिल है। पीडि़त बुजुर्ग महिला का मेडिकल कॉलेज हमीरपुर, जहाँ उनकी बेटियाँ रहती हैं, में मेडिकल करवाया गया। िफलहाल यह बुजुर्ग महिला अपनी बेटियों के साथ रह रही हैं और उनकी सुरक्षा में दो पुलिस कर्मी तैनात कर दिये गये हैं।

पुलिस के कामकाज पर सवाल

राजदेई की घटना गांव में पहली  घटना नहीं है और पहले भी ऐसी घटनाएं हुई हैं। देवता से जुड़े लोग इतने ताकतवर हैं कि वे न तो पीडि़तों को पुलिस में शिकायत करने देते हैं न गांव की पंचायत में उनकी चलने देते हैं। जो जुल्म का शिकार होकर न्याय के लिए आवाज़उठाता है, उससे गुंडागर्दी की जाती है।

पुलिस को लेकर भी लोगों की शिकायतें रही हैं। महिला से क्रूरता मामले में भी पुलिस की कार्यप्रणाली पर खूब सवाल उठे हैं। लोगों ने बाकायदा मंडी के एसपी गुरदेव शर्मा से इस मामले में शिकायतें की हैं। हालांकि एसपी ने कहा कि दूसरा भी पक्ष है। एसपी ने कहा – ‘बड़ा समाहल गांव से सरकाघाट थाने में लोगों ने कुछ शिकायतें जरूर कीं। लेकिन जब भी पुलिस कार्रवाई करने गांव पहुंचती तो शिकायतकर्ता कार्रवाई करवाने से इनकार कर देते रहे।’

पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक गांव में ऐसी ही एक घटना 17 अक्टूबर को भी घटी थी जिसकी शिकायत थाने में 23 अक्टूबर को दी गई। यह शिकायत इसी गांव के अजय कुमार ने दी थी। इस शिकायत पर 24 अक्टूबर को पुलिस टीम गांव गई, लेकिन बाद में अजय कुमार ने कार्रवाई करवाने से इनकार कर दिया। आरोप है कि स्थानीय देवता से जुड़े लोगों का इसे लेकर जबरदस्त दबाव था। इसके बाद 6 नवंबर को राजदेई के साथ देवता के लोगों ने क्रूरता की। इसकी भी पुलिस को किसी ने जानकारी दी और पुलिस टीम गांव पहुंची। लेकिन आरोपी लोगों ने मामले को दबा दिया। पुलिस को यह पता लग गया कि घटना राजदेई नामक महिला के साथ हुई है। जैसे-तैसे पुलिस ने राजदेई के दामाद से संपर्क साधा, लेकिन इन्होंने पुलिस की कार्रवाई करवाने से इनकार कर दिया। छह नवंबर को ही एक व्यक्ति जय गोपाल की तरफ से भी पुलिस को शिकायत प्राप्त हुई। सात नवंबर को जब पुलिस गांव गई तो जय गोपाल ने भी शिकायत से इनकार कर दिया। पुलिस का कहना है कि जब 9 नवंबर को राजदेई का वीडियो वायरल हुआ तो उसके बाद ही खौफ से भरे बैठे राजदेई के परिजनों की तरफ से पुलिस को शिकायत दी गयी।

सवाल उठता है कि जब गांव से लगातार इस तरह की घटनाओं की जानकारी बाहर आ रही थी तो क्यों पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। उसकी सीआईडी विंग क्या कर रही थी। पुलिस ने आखिर एफआईआर दर्ज करके कार्रवाई शुरू की। इससे दूसरे लोग भी खौफ से बाहर निकले और 11 नवंबर को जय गोपाल ने फिर से पुलिस को शिकायत दी और उसपर भी अलग से मामला दर्ज करके कार्रवाई शुरू हुई। पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने के बाद और मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए एएसपी मंडी पुनीत रघु की अध्यक्षता में ‘फेक्ट फाइंडिंग कमेटी’ गठित कर दी गई। कमेटी की विभागीय जांच रिपोर्ट आने से पहले ही सरकाघाट के थानाध्यक्ष सतीश शर्मा और एक हेड कांस्टेबल भव देव को लाइन हाजिर कर दिया गया।

देवभूमि में ऐसी घटनाओं के लिए कोई जगह नहीं है। लोगों को ऐसी मानसिकता छोडऩी चाहिए। जानकारी सामने आने के तुरंत बाद पुलिस सतर्कता बरतती तो शायद ऐसी भयावह घटना न होती।

मुकेश अग्निहोत्री

नेता, कांग्रेस विधायक दल