भाषा और संस्कृति के जरिए दक्षिणी उपमहाद्वीप के इन तीन देशों को जोड़ा जा सकता है : तस्लीमा नसरीन

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क्या आपको लगता है कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारत-पाकिस्तान और बांग्लादेश का मिलकर एक देश बन जाना संभव है?

बहुत समय पहले जब यूरोप में सभ्यता तक नहीं पहुंची थी, वे एक-दूसरे के खिलाफ लड़ा करते थे पर आज वो एक हैं और बहुत अच्छे हाल में हैं. भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश का एकीकरण हो सकता है पर इसके लिए नेताओं को धर्म के आधार पर लोगों को बांटने की राजनीति बंद करनी होगी.

आपके अनुसार इन देशों के जुड़ने की प्रेरणा क्या हो सकती है?

भाषा और संस्कृति के जरिए दक्षिणी उपमहाद्वीप के इन तीन देशों को जोड़ा जा सकता है. यहां धर्म को महत्व देना बंद करना होगा क्योंकि यह पूरी तरह से निजी मसला है. सरकारों को धर्म से अलग रखना ही होगा.

अक्सर भारत में पाकिस्तानी और बांग्लादेशी कलाकारों को विरोध का सामना करना पड़ता है. भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय वार्ता का भी कोई सार्थक परिणाम नहीं दिखता, ऐसी स्थितियों में इनका एकीकरण कैसे हो सकता है?

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सोचा तो यह भी नहीं गया था कि कभी बर्लिन की दीवार गिरेगी! पर वह गिरी. पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी अब एक हैं. वो दीवार जो दो अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराओं की नींव पर खड़ी की गई थी, अब नहीं है. अलग धर्मों के आधार पर खींचे गए दायरों को मिटना ही होगा क्योंकि वक्त के साथ लोग और धर्म दोनों ही
विकसित होते हैं. ये कोई स्थिर, गतिहीन वस्तु नहीं है जो समय के साथ बदलेगी नहीं.

अगर इन देशों का संघ बनाया जाए तो क्या वह यूरोपियन यूनियन या संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की तरह काम कर पाएगा? क्या आपको लगता है कि संघ बनने के बाद इन देशों के नागरिकों की क्षेत्रीय पहचान बनी रह पाएगी?

हां, बिल्कुल. भारतीय उपमहाद्वीप के लोगों के पास जुड़ाव की वजहें यूरोपीय देशों से ज्यादा हैं. हमारा इतिहास, संस्कृति एक जैसी है. हमारी भाषा, वेशभूषा, खाना, संगीत सब एक जैसा ही तो है. यहां के हिंदू, बौद्ध, मुस्लिम, ईसाई सभी की जड़ें भारतीय ही तो हैं.

आप मानती हैं कि अगर पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी एक हो सकते हैं, तो भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश भी?

बिल्कुल, मैं तो इस एकीकरण के पक्ष में हूं. मैं तो 80 के दशक से इस बात को कहती आई हूं. हम सब एक हैं. हमें सरहदों में बंटकर एक-दूसरे का दुश्मन बनने की कोई जरूरत नहीं है. अपने ही भाई-बहनों को दुश्मन मानकर परमाणु हथियारों से मारने की सोचना ही बेहद डरावनी बात है. और वैसे ये परमाणु हथियार भी हमेशा हमारी रक्षा नहीं कर पाएंगे.