‘मेरी मां बीमार है… बड़े भाई की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई और तीन साल का भतीजा बीमारी की वजह से इस दुनिया से विदा हो गया… ये सारी घटनाएं तब हुईं जब मैं जेल में था. एक के बाद एक कई ऐसी घटनाएं हुईं जिसकी वजह से मेरा परिवार तबाह हो गया. इन सारी घटनाओं के वक्त मैं अपने परिवार के साथ नहीं था. उलटे जब मैं इन मौकों पर पुलिस की कस्टडी में वहां पहुंचा तो परिवार का दुख और बढ़ गया… क्या-क्या बताऊं. ये समझो कि पूरा परिवार ही इस दौरान बर्बाद हो गया.’
ये शब्द विकास कुमार के हैं. हरियाणा के सोनीपत में रहने वाले विकास उन मजदूरों में से एक हैं जो ढाई साल बाद जमानत पर रिहा होकर जेल से बाहर आए हैं. घटना के पंद्रह दिन के बाद ही पुलिस ने उन्हें उनके घर से गिरफ्तार किया था. इसके बाद से वो जेल में थे और पिछले हफ्ते ही जेल से बाहर आए हैं. विकास जब जेल में थे तब उनके बड़े भाई की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. इसके कुछ ही दिनों के बाद उनके तीन साल के भतीजे की भी एक बीमारी की वजह से मृत्यु हो गई.
इन सभी मौकों पर विकास अपने परिवार के साथ नहीं थे. जब ये घटनाएं हुईं तो उन्हें पुलिस कस्टडी में 12 घंटे के लिए परिवार के पास ले जाया गया. विकास बताते हैं, ‘इन मौकों पर परिवार के पास न होने का दुख मुझे अभी भी रात में सोने नहीं देता. घटनाओं को रोकना तो किसी के हाथ में नहीं है लेकिन अगर मैं जेल में नहीं होता तो इन मौकों पर अपने परिवार के साथ होता. उनके पास होता. जेल में होने की वजह से मुझे यह मौका भी ठीक से नहीं मिला.’