आपदा में अवसर: कोरोना-काल में ताजमहल में हुआ शू कवर घोटाला!

जब कोरोना संकट के बीच पर्यटकों की संख्या कम हो गयी थी, तब स्मारक पर अधिकारियों के शू कवर ख़रीदे गये थे। ताजमहल में भी शू कवर ख़रीदे गये थे, वह भी लाखों में; जबकि वास्तव में उनकी बिलकुल भी आवश्यकता नहीं थी। शूज (जूतों) के इन कवर्स की थोक ख़रीदारी करने पर कई सवाल खड़े हैं। तहलका एसआईटी की एक खोजी रिपोर्ट :-

कोरोना महामारी के संकट-काल और तालाबंदी के दौरान यह नारा काफ़ी प्रचलित हुआ था। इसके पीछे सकारात्मक सोच थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने भाषणों में इस बात पर ज़ोर दिया था। इसका मक़सद शायद महामारी के बीच देशवासियों का मनोबल ऊँचा करना था। लेकिन कुछ लोगों के लिए यह नारा लाभ कमाने के लिए था; लिहाज़ा उन्होंने स्थिति का फ़ायदा उठाने की कोशिश की। उन्होंने अभूतपूर्व संकट-काल में लोगों की विपत्ति को अपने लाभ के अवसर के रूप में प्रयोग किया। तमाम मीडिया प्लेटफॉर्म पर ख़बरें थीं कि कैसे लोगों ने कोरोना संकट के दौरान एंबुलेंस, ऑक्सीजन सिलेंडर, चिकित्सा उपकरण और अस्पताल के बेड आदि के लिए अधिक शुल्क लेकर पैसा कमाया। यह सूची काफ़ी लम्बी है। लेकिन आज हम बात कर रहे हैं दुनिया के सातवें अजूबे ताजमहल की। किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि कोरोना तालाबंदी के दौरान ताजमहल भी कुछ लोगों के लिए जल्दी पैसा कमाने का ज़रिया बन सकता है। लेकिन आरटीआई आवेदनों के ज़रिये की गयी ‘तहलका’ जाँच से पता चलता है कि वास्तव में ऐसा हुआ। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), आगरा सर्कल के कुछ अधिकारियों ने स्थिति का फ़ायदा उठाने से पहले एक बार भी नहीं सोचा। इस प्रकार ताजमहल, आगरा क़िला और फ़तेहपुर सीकरी सहित दर्ज़नों इमारतों का रखरखाव करने वाले आगरा सर्किल द्वारा की गयी ख़रीदारी पर संकट के बादल छा गये हैं।

‘तहलका’ की ओर से आरटीआई के ज़रिये की गयी विशेष जाँच में यह बात सामने आयी है। इस जाँच से पता चलता है कि ताजमहल में शू कवर (जूता कवर) ख़रीदे गये थे, वो भी लाखों में; जबकि वास्तव में उनकी बिलकुल भी आवश्यकता नहीं थी। ऐसा नहीं है कि एक या दो बार ख़रीदारी की गयी। हर साल दो-तीन बार लाखों रुपये के शू कवर पर ख़र्च किये गये। ख़रीदे गये शू कवर की क़ीमत 8 रुपये से लेकर 90 रुपये प्रति जोड़ी तक थी। वैसे तो ताजमहल में केवल विदेशी पर्यटकों के लिए शू कवर अनिवार्य है; लेकिन वहाँ भी इस सम्बन्ध में आवश्यकता को पूरा करने की ज़िम्मेदारी आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) की है। फिर सवाल उठता है कि एएसआई का आगरा सर्किल किसके लिए लाखों रुपये के शू कवर ख़रीद रहा था?

इतना ही नहीं आगरा सर्किल ने 2015-16 में लाखों रुपये की लागत से शू कवर डिस्पेंसर भी ख़रीदे। ग़ौरतलब है कि ताजमहल में विदेशी पर्यटकों को जूते के ऊपर पहनने के लिए शू कवर दिये जाते हैं। विदेशी पर्यटकों को ताजमहल के मुख्य मक़बरे में तभी प्रवेश दिया जाता है, जब उन्होंने शू कवर पहन रखा हो। और विदेशी पर्यटकों के लिए शू कवर पहनने के लिए एडीए ने पहले से ही ताजमहल परिसर में दो शू कवर डिस्पेंसर लगाये हैं।

एक आरटीआई के जवाब के मुताबिक, घरेलू पर्यटकों को शू कवर मुहैया कराने का कोई प्रावधान नहीं है। हालाँकि यह सही है कि वीआईपी और वीवीआईपी के लिए आगरा सर्कल शू कवर की व्यवस्था करता है। लेकिन वे शू कवर बिना बुने हुए आम शू कवर से बहुत अलग होते हैं। साथ ही इन्हें लगाने के लिए मशीनों की भी ज़रूरत नहीं है। हैरान करने वाली बात यह है कि आगरा सर्किल ने इन ख़ास शू कवर की खपत ऐसे समय में भी दिखायी है, जब कोरोना तालाबंदी के दौरान ताजमहल में कोई वीआईपी और वीवीआईपी नहीं आ रहा था। इसके अलावा तालाबंदी के दौरान जब ताजमहल को केवल कुछ दिन के लिए ही खोला गया था, तो दिलचस्प बात यह थी कि स्वचालित डिस्पेंसर से लगभग एक लाख शू कवर का इस्तेमाल दिखाया गया था।

इस मसले पर कुछ और जानकारी जुटाने के लिए आगरा में कई आरटीआई दाख़िल की गयी। लेकिन हर बार आगरा सर्कल (एएसआई) का दिया गया जवाब, पहले दिये गये जवाब से भिन्न था। कभी वे कहते थे- ‘हम मुख्य मक़बरे पर आने वाले भारतीय पर्यटकों को शू कवर देते हैं।’ जबकि कुछ जवाब में उन्होंने बताया- ‘मुख्य मक़बरे पर जाने वाले भारतीय पर्यटकों को शू कवर देने का कोई प्रावधान नहीं है। 50 रुपये के सामान्य टिकट पर भी शू कवर देने का प्रावधान नहीं है।’

शू कवर मशीन के बारे में भी आरटीआई में पूछे गये सवालों के अलग-अलग जवाब दिये गये। सबसे पहले एक आरटीआई के जवाब में कार्यालय ने कहा कि शू कवर लगाने के लिए 8 मशीनें ख़रीदी जा चुकी हैं और 31 जुलाई, 2021 तक दो मशीनें चालू हालत में थीं और दूसरी आरटीआई के जवाब में कहा कि छ: मशीनें चालू हालत में हैं। जब मशीनों की तस्वीरें माँगी गयीं, तो अधिकारियों ने फोटो प्रतियाँ प्रदान कीं, जिनसे कुछ भी समझना बहुत मुश्किल था, क्योंकि छवियाँ बहुत-काली थीं।

वीआईपी-वीवीआईपी के अलावा आगरा सर्कल ने अपने कुछ कर्मचारियों और सीआईएसएफ जवानों के लिए शू कवर ख़रीदे, जो ताजमहल की सुरक्षा व्यवस्था में तैनात हैं। ये कर्मचारी और सीआईएसएफ के जवान ताजमहल के मुख्य मक़बरे पर ड्यूटी करते हैं। हालाँकि ऐसे कर्मचारियों की संख्या कम है। मुख्य मज़ार पर जूते-चप्पल पहनकर जाना मना है, इसलिए उन्हें जूतों के ऊपर डालने के लिए शू कवर दिये जाते हैं।

आगरा सर्किल के कर्मचारियों की ड्यूटी सुबह से शाम तक रहती है, जबकि सीआईएसएफ के जवान दो शिफ्ट में ड्यूटी करते हैं। हालाँकि कई मौक़ों पर आरटीआई के ज़रिये आगरा सर्किल से मुख्य समाधि पर रोज़ाना ड्यूटी पर जाने वाले कर्मचारियों का नंबर देने का अनुरोध किया गया; लेकिन हर बार जवाब देने से मना कर दिया गया। कार्यालय ने कहा कि स्मारक पर आने वाले पर्यटकों की संख्या के हिसाब से ऐसे कर्मचारियों की संख्या बदलती रहती है।

इसी तरह सीआईएसएफ के जिन जवानों को शू कवर दिये जाते हैं, उनकी संख्या के सवाल पर भी टालमटोल किया गया। हालाँकि एक बार मोबाइल पर बात करते हुए एक अधिकारी ने मुख्य समाधि पर रोज़ाना आने वाले कर्मचारियों और सीआईएसएफ जवानों की संख्या 8 से 10 बतायी। अधिकारी की बतायी गयी संख्या में हम अधिकतम 10 मान रहे हैं, जिनमें इतने ही सीआईएसएफ कर्मी भी शामिल है। इस तरह कार्मिक ड्यूटी पर कुल लोगों की संख्या दैनिक आधार पर 20 हो जाती है। दुनिया के सात अजूबों में जगह पाने वाला ताजमहल महीने में 26 दिन हर तरह के पर्यटकों के लिए खुला रहता है। शुक्रवार को यह बन्द रहता है। इसे केवल शुक्रवार की नमाज़ के लिए खोला जाता है, जब नमाज़ी ताजमहल में बनी मस्जिद में जाते हैं, जबकि मुख्य मक़बरे में कोई नहीं जाता है। इस हिसाब से एक महीने में 520 शू कवर की ज़रूरत होती है। जूतों पर 600 शू कवर लगवाते हैं।

हो सकता है कि एएसआई, पुलिस, प्रशासन या किसी अन्य विभाग के कुछ वरिष्ठ अधिकारी या मित्र ताजमहल देखने आये हों, और उन्हें शू कवर भी दिया गया हो। इसलिए हम मान लेते हैं कि एक महीने में 600 शू कवर की जगह 1,000 शू कवर की ज़रूरत पड़ेगी। आगरा सर्किल कहे तो हम 100-200 शू कवर भी बढ़ा सकते हैं।

शू कवर के प्रकार

इस खोजी रिपोर्ट के विवरण में जाने से पहले हमारे लिए शू कवर के प्रकार और उनकी लागत को समझना महत्त्वपूर्ण है। मुख्य रूप से शू कवर चार प्रकार के होते हैं- कॉटन क्लॉथ विथ कैनवस बॉटम, वेलवेट क्लॉथ विथ कैनवस बॉटम, मैटी क्लॉथ विथ कैनवस बॉटम और नॉन-वोवन शू कवर। इनमें से बिना बुने हुए शू कवर का इस्तेमाल शू डिस्पेंसर यानी शू कवर मशीन में किया जाता है। ये यूज एंड थ्रो शू कवर हैं। एक बार इस्तेमाल करने के बाद जैसे ही पर्यटक मुख्य मक़बरे से लौटते हैं, उन्हें फेंक दिया जाता है। इन्हें थोक में ख़रीदा जाता है। सन् 2021 में जनवरी से जुलाई के बीच तीन लाख से ज़्यादा बिना बुने शू कवर ख़रीदे गये। इनकी क़ीमत 4.75 रुपये से लेकर पाँच रुपये प्रति जोड़ी थी। वर्ष 2019-20 में भी आगरा सर्किल ने इन शू कवर को 11.50 रुपये प्रति जोड़ी की दर से ख़रीदा था।

शेष तीन प्रकार के शू कवर कई दिन तक चल जाते हैं। सबसे महँगा शू कवर वेलवेट क्लॉथ विद कैनवस बॉटम है, जिसकी क़ीमत 92.35 रुपये है। सन् 2021 में इन्हें आगरा सर्किल ने इसी रेट पर ख़रीदा था। कैनवस बॉटम शू कवर वाला मैटी क्लॉथ सन् 2021 में 48 रुपये में ख़रीदा गया था। कैनवस बॉटम शू कवर वाला कॉटन क्लॉथ आख़िरी बार साल 2018 में 46 रुपये में ख़रीदा गया था।

एएसआई, आगरा सर्किल की ख़रीदारी

कोरोना महामारी को देखते हुए 17 मार्च, 2020 से ताजमहल के द्वार सभी प्रकार के पर्यटकों के लिए बन्द कर दिये गये थे। लेकिन इससे दो महीने पहले जनवरी में आगरा सर्किल ने 90 रुपये प्रति जोड़ी की दर से मखमली कपड़े के 200 शू कवर और शू डिस्पेंसर के लिए 20,000 बिना बुने शू कवर 11.50 रुपये प्रति जोड़ी की दर से ख़रीदे। इसी तरह वर्ष 2021 में शू डिस्पेंसर के लिए बिना बुने हुए शू कवर तीन बार ख़रीदे गये। पहले जनवरी में 4.75 रुपये की दर से 1.05 लाख शू कवर ख़रीदे गये। फरवरी में फिर से 1.05 लाख शू कवर 4.75 रुपये की दर से ख़रीदे गये। जबकि जुलाई में पाँच रुपये की दर से एक लाख शू कवर ख़रीदे गये।

कोरोना महामारी के कारण 17 मार्च, 2020 से 20 सितंबर, 2020 तक ताजमहल पूरी तरह बन्द रहा। पर्यटकों को 21 सितंबर से ऑनलाइन टिकट ख़रीदने का विकल्प दिया गया। लेकिन इस बार भी, कितने पर्यटक मक़बरे में प्रवेश कर सकते हैं, इसके निर्णय का अधिकार आगरा सर्किल के पास था। ताजमहल को केवल पाँच दिन तक खुला रखने की अनुमति थी। कोरोना महामारी के दौरान ताजमहल में सिर्फ़ घरेलू पर्यटकों का ही स्वागत हुआ। अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बन्द होने की वजह से देश में कोई विदेशी पर्यटक नहीं आ रहे थे। लिहाज़ा 15 अप्रैल, 2021 तक तो सब ठीक चला; लेकिन 16 अप्रैल, 2021 से ताजमहल को फिर से पर्यटकों के लिए बन्द कर दिया गया। यह 15 जून, 2021 तक लगभग दो महीने तक बन्द रहा और 16 जून, 2021 से फिर से खोल दिया गया।

130 दिन में 1.05 लाख जोड़ी शू कवर का उपयोग

वैसे जनवरी 2020 से जुलाई, 2021 तक आगरा सर्किल ने 3,30,200 शू कवर ख़रीदे थे। इसमें प्रत्येक जोड़ी के लिए 90 रुपये के मूल्य टैग के साथ शू कवर भी शामिल हैं। अगर 2021 की ही बात करें, तो 3.10 लाख जोड़ी शू कवर ख़रीदे गये। ये बिना बुने हुए शू कवर थे। सितंबर, 2021 में दायर एक आरटीआई आवेदन के जवाब में आगरा सर्किल ने कहा था कि 31 जुलाई, 2021 तक उसके पास केवल 2.05 लाख ग़ैर-बुने हुए शू कवर बक़ाया थे। यानी जनवरी से 31 जुलाई तक 1.05 लाख शू कवर का इस्तेमाल किया गया। वह भी तब जब इस अवधि में ताजमहल महामारी के कारण केवल 130 दिन के लिए ही खुला था। नीचे दिये गये बॉक्स में दिये गये आँकड़ों से जानते हैं कि साल 2021 में 1 जनवरी से 31 जुलाई तक ताजमहल कब खुला और कब बन्द रहा :-

तो ऊपर दिये गये आँकड़े बताते हैं कि 1 जनवरी, 2021 से 31 जुलाई, 2021 तक ताज सिर्फ़ 152 दिन ही खुला रहा। लेकिन शुक्रवार बन्द दिन है। इसलिए अगर हम 22 शुक्रवार घटा दें, तो ताजमहल पर्यटकों के लिए केवल 130 दिन के लिए खुला रहता है।

स्थिति वाक़ई दिलचस्प है। अगर आगरा सर्किल की मानें, तो 130 दिन में रोज़ाना 10 शू कवर इस्तेमाल किये गये; क्योंकि कुल मिलाकर 1,300 शू कवर इस्तेमाल हुए। हम काल्पनिक रूप से रोज़ाना 20 शू कवर इस्तेमाल होने का आँकड़ा मान लेते हैं। इस हिसाब से 2,600 शू कवर का इस्तेमाल किया गया। चलिए, 2,600 को भी छोड़ देते हैं। मान लेते हैं कि 3,000 इस्तेमाल हुए। चलो, मान लीजिए 200-500 शू कवर चूहों ने खा लिए, तो भी इस्तेमाल हुए 3,500 शू कवर।

मान लीजिए कि कोरोना के कारण एहतियातन कुछ लोगों ने डबल शू कवर का इस्तेमाल किया होगा, तो भी इस्तेमाल हुए क़रीब 5,000 शू कवर। लेकिन फिर भी यह सवाल उठता है कि बिना बुने जूतों के एक लाख कवर कहाँ गये? पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि आगरा सर्किल ने 11 जुलाई, 2022 को एक आरटीआई के जवाब में बताया था कि ड्यूटी पर तैनात सीआईएसएफ जवानों को मैट कपड़े के साथ कैनवस बॉटम वाले शू कवर दिये जाते हैं। इसका मतलब है कि बिना बुने हुए शू कवर का इस्तेमाल सिर्फ़ और सिर्फ़ एएसआई के कर्मचारियों के बीच ही होता है। लेकिन सवाल यही है कि वे कितने शू कवर का इस्तेमाल कर सकते थे?

ताज में तीन हज़ार वीवीआईपी-वीआईपी विजिटर

‘तहलका’ की जाँच में पाया गया कि आगरा सर्किल ने चार तरह के शू कवर ख़रीदे। इसका ज़िक्र हम ऊपर भी कर चुके हैं। इनमें से हमने आपको बिना बुने हुए शू कवर की ख़रीद और उपयोग के बारे में विस्तार से बताया है। हालाँकि इस रिपोर्ट के बाक़ी हिस्सों में भी और खुलासे होने वाले हैं। तो हमने उल्लेख किया कि कैनवास के नीचे के सूती कपड़े, कैनवास के नीचे के मखमल के कपड़े और कैनवास के नीचे के मैटी कपड़े के शूकवर भी ताजमहल के नाम से ख़रीदे जाते थे। लेकिन कितने इस्तेमाल किये गये? इस सवाल का जवाब सिर्फ़ आगरा सर्कल ही दे सकता है।

ये ख़ास तीन तरह के शू कवर वीवीआईपी, वीआईपी और सीआईएसएफ कर्मियों को दिये जाते हैं। एक आरटीआई के माध्यम से वर्ष 2021 में प्राप्त जानकारी के अनुसार, जनवरी 2018 से जनवरी 2020 तक 15,000 जोड़ी शू कवर ख़रीदे गये। इनकी क़ीमत अलग-अलग 46 रुपये, 85.51 रुपये और 90 रुपये थी। ये शू कवर सूती कपड़े और मखमली कपड़े की दोनों क़िस्मों के थे और दोनों ही कैनवास बॉटम के साथ थे। आगरा सर्किल के अनुसार ये सभी शू कवर भी 31 जुलाई, 2021 तक इस्तेमाल किये गये थे। अब अगर प्रोटोकॉल के साथ एक वीवीआईपी और वीआईपी सहित पाँच लोग मुख्य समाधि पर गये और सभी पाँच लोगों को शू कवर दिये गये, तो इसका मतलब 3,000 वीआईपी हुए। दो साल में क्या इतने वीवीआईपी करेंगे स्मारक का दौरा? इस सम्बन्ध में जब आगरा सर्किल से वीवीआईपी और वीआईपी की आवाजाही के आँकड़े माँगे गये, तो उन्होंने कोई भी जवाब देने से साफ़ इनकार कर दिया।

क्या आडंबर का सहारा लेता है आगरा मंडल?

ताजमहल के नाम पर ख़रीदे जा रहे शू कवर के बारे में विवरण जानने के लिए आगरा सर्किल में एक नहीं, बल्कि कई आरटीआई आवेदन और अपील दायर की गयी थीं। लेकिन इन सवालों के जवाब में हर बार आगरा सर्किल ने संदेहास्पद जवाब भेजा। जैसे जब हमने पूछा कि ताजमहल में किसे शू कवर दिया जाता है? इसके जवाब में आगरा सर्किल ने 1 सितंबर, 2021 को जानकारी दी कि 10 दिसंबर, 2018 से मुख्य समाधि पर आने वाले सीआईएसएफ कर्मियों, एएसआई, एसआईएस, सफ़ाईकर्मियों, वीआईपी-वीवीआईपी और घरेलू पर्यटकों को शू कवर दिये गये। लेकिन फिर 27 अप्रैल 2022 को अपने दूसरे जवाब में ऑफिस ने हमें बताया कि घरेलू पर्यटकों को शू कवर देने का कोई नियम नहीं है।

इसके बाद हमने आगरा सर्कल से जानना चाहा कि उनके कितने कर्मचारी ड्यूटी के लिए मुख्य समाधि में जाते हैं? इसके जवाब में आगरा सर्किल ने 16 नवंबर, 2021 को कहा कि पर्यटकों की संख्या के हिसाब से सीआईएसएफ, एएसआई और एसआईएस कर्मियों और सफ़ाई कर्मचारियों की संख्या बदलती रहती है, इसलिए कोई निश्चित आँकड़ा नहीं है। इतना ही नहीं अकेले 2021 में लाखों में ख़रीदे गये शू डिस्पेंसर के लिए बिना बुने हुए शू कवर के बारे में आगरा सर्किल ने 11 जुलाई, 2022 को जानकारी दी कि एडीए शू डिस्पेंसर में इस्तेमाल होने वाले शू कवर उपलब्ध कराता है। आगरा की तरफ़ से दिया गया जवाब कई सवाल खड़े करता है। क्योंकि अगर शू डिस्पेंसर के लिए शू कवर एडीए देता है, तो आगरा सर्कल शू डिस्पेंसर के लिए लाखों बिना बुने हुए शू कवर क्यों ख़रीद रहा है?

आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) यूपी सरकार का एक विभाग है और शहर के रखरखाव के लिए ज़िम्मेदार है। एडीए को ताजमहल परिसर के बाहरी इलाक़े में रखरखाव का काम भी सौंपा गया है। इसके बदले में एडीए एएसआई के आगरा सर्किल से टोल फंड लेता है। इसका मतलब यह है कि एएसआई ताजमहल के प्रवेश टिकट की क़ीमत का एक हिस्सा एडीए को देता है। बदले में एडीए विदेशी पर्यटकों को टिकट के साथ एक जोड़ी शू कवर और एक छोटी पानी की बोतल देता है। ये शू कवर शू डिस्पेंसर के लिए बिना बुने हुए हैं। विदेशी पर्यटकों के लिए एडीए ने ताजमहल परिसर में दो शू कवर डिस्पेंसर रखे हैं। वहाँ एक आदमी भी तैनात रहता है, जो विदेशी पर्यटकों को टिकट देखकर ही डिस्पेंसर से शू कवर देता है।

लापता डिस्पेंसर

एक आरटीआई के जवाब में एएसआई के आगरा सर्किल ने कहा कि वर्ष 2015-16 में उसने आठ शू कवर डिस्पेंसर ख़रीदे थे। शू कवर डिस्पेंसर ताजमहल के समीप कटरा उमर $खाँ स्थित हनुमान इंटरप्राइजेज ताजगंज से ख़रीदा गया था। आगरा सर्किल ने एक डिस्पेंसर की क़ीमत 61,000 रुपये बतायी है। उल्लेखनीय है कि इस मॉडल का शू कवर डिस्पेंसर काफ़ी कम क़ीमत में ऑनलाइन उपलब्ध है। डिस्पेंसर का मॉडल सीडी-ओटीओ-720 है। आगरा मंडल ने टेंडर जारी करते समय इस मॉडल का ज़िक्र किया है।

आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, 31 जुलाई, 2021 तक सिर्फ़ दो शू कवर डिस्पेंसर चालू हालत में थे। फिर जब 27 अप्रैल, 2022 को जूता डिस्पेंसर की जानकारी माँगी गयी, तो बताया गया कि छ: डिस्पेंसर चालू हालत में थे और एक उस समय ख़राब था। सवाल यह है कि जब आगरा सर्किल ने आठ शू कवर डिस्पेंसर ख़रीदे थे, तो सिर्फ़ सात डिस्पेंसर की ही जानकारी क्यों दे रहे हैं? आठवाँ डिस्पेंसर कहाँ गया?

आरटीआई के तहत आगरा सर्कल से काम करने वाले और ख़राब शू कवर डिस्पेंसर की अलग-अलग सॉफ्ट या हार्ड फोटो माँगी गयी थी। विभाग ने फोटो की फोटो कॉपी भेजी। इसके द्वारा भेजी गयी हार्ड कॉपी इतनी धुँधली और-काली है कि कुछ भी पढऩा और देखना आसान नहीं है। वहाँ भी विभाग के पास कुल आठ डिस्पेंसर की जगह सिर्फ़ सात डिस्पेंसर की फोटोकॉपी दी गयी है।

एक हज़ार कवर ही काफ़ी थे

हुआ यह था कि अक्टूबर 2015 से और ख़ासकर 2021 से आगरा सर्किल को ताजमहल के लिए लाखों शू कवर की ज़रूरत पडऩे लगी थी। जबकि साल 2015 से पहले यानी 2014 तक हर साल 600 से 1,000 शू कवर की ज़रूरत होती थी। आरटीआई की 16 नवंबर, 2021 की जानकारी इस प्रकार है :-

 2010-11 में 30 रुपये प्रति जोड़ी की दर से कैनवास बॉटम वाले सूती कपड़े के 600 जोड़े शू कवर ख़रीदे गये।

 2011-12 में 40 रुपये की दर से सूती कपड़े के 1,100 जोड़े शू कवर, कैनवस बॉटम के साथ ख़रीदे गये।

 2013-14 में 36.40 रुपये की दर से सूती कपड़े के 2,400 जोड़े शू कवर, कैनवस बॉटम के साथ ख़रीदे गये।

अब सवाल यह है कि साल 2013-14 से 2014-15 तक यानी दो साल तक 2,400 शू कवर में काम किया गया। चूँकि कुल अवधि, जिसके लिए ऊपर डेटा प्राप्त किया गया था वह चार साल है, तो 4,100 जोड़ी शू कवर के साथ, चार साल की आवश्यकता पूरी हो गयी है। जबकि उस वक़्त भी प्रोटोकॉल के साथ सीआईएसएफ के जवान, एएसआई, एसआईएस, सफ़ाई कर्मचारी और वीआईपी-वीवीआईपी थे। साल 2015 से ऐसा क्या हुआ है कि महँगे कवर के साथ-साथ सस्ते शू कवर की माँग में भी इतनी तेज़ बढ़ोतरी हो गयी?

ख़रीदारी की वर्षवार सूची

आरटीआई आवेदन के जवाब में मिली जानकारी के मुताबिक, एएसआई के आगरा सर्किल द्वारा लगातार शू कवर की ख़रीदारी की जा रही है। शू कवर सीसीटीवी बेचने वाली और एसी की मरम्मत करने वाली, फर्नीचर बेचने वाली और घर से दुकान चलाने वाली फर्मों से ख़रीदे गये हैं। हमने वर्ष 2010 से शू कवर की जानकारी लेना शुरू किया। हालाँकि आगरा सर्कल ने वर्ष 2016-17 के शू कवर की ख़रीद का कोई रिकॉर्ड नहीं दिया।

घरेलू पर्यटकों को बेचे गये कवर

मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक, मई 2019 में एएसआई आगरा सर्किल ने सर्वोच्च न्यायालय में साइट मैनेजमेंट प्लान फाइल किया था। यह योजना ताजमहल से जुड़ी हुई थी। इस योजना में अन्य तैयारियों के साथ ताजमहल के मुख्य गुंबद को धूल के कणों से बचाने की भी योजना थी। इसके लिए एएसआई ने मुख्य गुंबद पर आने वाले सभी पर्यटकों से शू कवर पहनने को कहा था। एडीए विदेशी पर्यटकों को शू कवर देता है। लेकिन घरेलू पर्यटकों को शू कवर उपलब्ध कराने की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है।

हाल ही में एक वीडियो सामने आया था, जिसमें ताजमहल परिसर के अंदर घरेलू पर्यटकों को अवैध रूप से शू कवर बेचे जाते हुए दिखाया गया था।

लुकाछिपी का खेल

आरटीआई के मुताबिक, आगरा सर्किल से साल 2015-16 से 2021-22 तक की जानकारी माँगी गयी थी। वर्ष 2016-17 को छोडक़र शू कवर की ख़रीद के सम्बन्ध में सभी जानकारी प्रदान की गयीं। साल 2016-17 के मामले में शू कवर की ख़रीद शून्य घोषित की गयी थी। लेकिन जब दूसरी आरटीआई में ताजमहल से जुड़े ख़र्च की जानकारी माँगी गयी, तो पता चला कि साल 2016-17 में 5,52,500 रुपये के री-यूज वाले शू कवर ख़रीदे गये थे। अब आगरा मंडल इस ख़रीद को क्यों और किस मक़सद से छिपा रहा है? यह तो वही बता सकते हैं।

यह हमें हैरान कर देता है कि शू कवर के बारे में आरटीआई पूछताछ के जवाब में दी गयी जानकारी पूरी है या नहीं। रिपोर्ट पर उनका पक्ष जानने के लिए सम्पर्क किये जाने पर राजकुमार पटेल, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) आगरा सर्कल के अधीक्षक और वसंत कुमार स्वर्णकार, संरक्षण निदेशक और पीआरओ, एएसआई ने ‘तहलका एसआईटी’ को अपना पक्ष देने से इनकार कर दिया।

 

ख़रीदारी का सिलसिला

शू कवर का प्रकार                   ख़रीदे गये जोड़ों की संख्या     प्रति जोड़ी क़ीमत          कुल ख़र्च की गयी राशि  

वर्ष 2015

सूती कपड़ा कैनवास बॉटम के साथ      26,000                     37.75 रुपये               9,81,500 रुपये (अक्टूबर)

मखमली कपड़ा कैनवास बॉटम के साथ   800                              50 रुपये                40,000 रुपये

जूते के लिए बिना बुना डिस्पेंसर               1,00,000                      8.20 रुपये               8.20 लाख रुपये

 

वर्ष 2018

कॉटन क्लॉथ के साथ कैनवास बॉटम     9,612                        46 रुपये             4,42,152 रुपये (जनवरी में )

5,000                    54.51 रुपये                  2,72,550 रुपये (दिसंबर में)

वेलवेट क्लॉथ के साथ कैनवास बॉटम    200                              85.51 रुपये                 17,102 रुपये (दिसंबर में)

डिस्पेंसर के लिए बिना बुना जूता      30,000                            8.95 रुपये                  2,68,500 रुपये (जनवरी में)

15,000                  8.51 रुपये                  1,27,650 रुपये (दिसंबर में)

 

वर्ष 2020

कैनवास बॉटम के साथ सूती कपड़ा      00                                  00                                      00

वेलवेट क्लॉथ के साथ कैनवास बॉटम    200                                90 रुपये                18,000 रुपये

बिना बना शू डिस्पेंसर के लिए                  20,000                      11.50 रुपये          2,30,000 रुपये

वर्ष 2021

सूती कपड़ा कैनवास बॉटम के साथ        00                                   00                                          00

कैनवास के साथ मखमली कपड़ा           00                                  00                            00

शू डिस्पेंसर के लिए बिना बुना                   1.05 लाख                 4.75 रुपये                4.98 लाख रुपये (जनवरी में)

1.05 लाख               4.75 रुपये         4.98 लाख (फरवरी में )

1,00,000                                   5 रुपये (जुलाई में)      00

जुलाई, 2021 के बाद

कैनवास बॉटम के साथ सूती कपड़ा         00                             00                                         00

कैनवास बॉटम के साथ वेलवेट क्लॉथ      500                                92.35 रुपये                46,175 रुपये

शू डिस्पेंसर के लिए बिना बुना                 1,00,000                                                  5 रुपये             00

कैनवास बॉटम के साथ मैटी क्लॉथ      5,000                                    48 रुपये                 2.40 लाख रुपये