‘बिहार के लोग लालू और नीतीश से ऊब गए हैं, अब वे बदलाव चाहते हैं’

RAM VILAS PASWAN by Trilochan S kalra/ Tehelka

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर आप क्या कहना चाहेंगे?

विधानसभा चुनाव पर मेरे पास कहने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है. जनता परिवार से जुड़ी खबरें रोजाना मीडिया में आ रही हैं, इसलिए आप वह सब कुछ जान ही रहे होंगे जो इस राज्य की राजनीति में घट रहा है. मैं बस इतना कह सकता हूं कि हम दो तिहाई बहुमत से चुनाव जीत रहे हैं.

भाजपा ने अब तक मुख्यमंत्री पद के दावेदार का नाम क्यों नहीं उजागर किया है?

मुझे लगता है कि इस मामले को भाजपा पर ही छोड़ देना चाहिए कि वह मुख्यमंत्री पद के दावेदार की घोषणा कर रही है या नहीं. हालांकि ऐसा इसलिए है, क्योंकि यह भाजपा की नई रणनीति है. यहां तक कि राजग का हिस्सा होने के बावजूद मैंने भी उनसे कह रखा है कि चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के दावेदार का खुलासा न किया जाए. आप खुद देख सकते हैं कि अब तक जिन राज्यों में भी विधानसभा चुनाव हुए वे सभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़े गए. चाहे यह महाराष्ट्र हो, झारखंड हो या फिर हरियाणा, इस सभी राज्यों में भाजपा इसी तरह से जीतने में सफल रही.

बिहार में भाजपा नरेंद्र मोदी को आगे कर चुनाव लड़ रही है. क्या सिर्फ इसी की वजह से भाजपा के पक्ष में लहर या माहौल बन जाएगा?

हां, बिल्कुल. चुनाव में प्रधानमंत्री के चेहरे को सामने रखने से विपक्षी दलों के सामने बड़ी चुनौती है. मुझे पूरा भरोसा है कि यह लहर भाजपा के पक्ष में होगी.  कुछ दिन पहले ही बिहार में प्रधानमंत्री की दो रैलियां हुईं, जिसका लोगों में जबरदस्त प्रभाव देखने में आया. हम जल्द ही एक और सभा करने वाले हैं.

 लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार और कांग्रेस के बीच हुए महागठबंधन के बारे में आप क्या सोचते हैं?

अगर हम बिहार के इतिहास को देखें, तो नीतीश ने यहां दस वर्ष तक शासन किया और उनसे पहले लालू प्रसाद यादव की सरकार 15 तक सत्ता में रही. दोनों की 25 साल की सत्ता में राजनीति मजाक बनकर रह गई. एक बात और जानने लायक है कि बिहार के लोगों ने नीतीश को कभी पसंद नहीं किया. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने लोगों में दरार पैदा की और अपने दल से जीतनराम मांझी जैसे नए चेहरे को ये बताते हुए सामने कर दिया कि वह उनके शासन को संभाल लेंगे. नीतीश ने बिहार के लोगों की सिर्फ बेइज्जती की. उन्होंने सरकारी स्कूलों के तमाम शिक्षकों को नाराज किया हुआ है.

विभिन्न प्रदर्शनों के दौरान आए दिन उन पर पुलिस लाठीचार्ज कर देती है. उन्होंने बिहार के ग्रामीण अंचलों में शराब के ठेके खुलवा दिए, जिसकी वजह से धीरे-धीरे वहां के लोग शराब की गिरफ्त में आ चुके हैं. जाति और समुदाय के नाम पर नीतीश ने हमेशा राजनीति की है और लोगों को बांटने का काम किया है.

दूसरी तरफ लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) का वोट बैंक पूरी तरह से समर्पित है. मैं दलितों का नेता हूं और मतदाताओं को मुझ पर पूरा भरोसा है. ऐसे समय में जब हर दल का वोटबैंक बिखरता नजर आता है, तब भी मेरे दलित मतदाता मेरे साथ खड़े रहते हैं. संपत्ति और दूसरे सामान देने का वादा कर नीतीश ने हमेशा मेरे वोटबैंक को अपने पक्ष में करने कोशिश की है. मगर जिस तरह से भाजपा के साथ आरएसएस है, ठीक वैसे ही मेरी ‘दलित सेना’ लोजपा के साथ खड़ी रहती है. नीतीश को उनके ही मतदाताओं ने अपमानित करने के साथ हमेशा उनका बहिष्कार किया है. लालू, नीतीश अपनी हार स्वीकार कर चुके हैं. वे मोदी से भयभीत हैं, इसीलिए तीनों ने आपस में गठबंधन किया. बिहार के मतदाता बहुत बुद्िधमान हैं. यहां यादव समुदाय के लोगों को लालू और मुलायम में भविष्य नहीं दिखता. इसका उदाहरण यादव बहुल दो सीटों से राबड़ी देवी का चुनाव हारना है. लालू की बेटी मीसा यादव के साथ भी ऐसा ही हुआ. उधर, नीतीश के पास अब कोई वोटबैंक नहीं बचा है.

क्या आप कहना चाहते हैं कि आप दलित और महादलित मतदाताओं का बड़ा चेहरा हैं? अगर ऐसा है तो राजग ने आपको मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर क्यों नहीं पेश किया?

मैं एक राष्ट्रीय स्तर का नेता हूं और मैंने कभी राज्य स्तर का नेता बनने की कोशिश नहीं की. मैं कभी भी मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहता. अगर मैं ऐसा चाहता तो आज से 25 साल पहले 1990 में जब वीपी सिंह ने कहा था तब ही बन सकता था. वह तो मुझे प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते थे, लेकिन मैंने ही मना कर दिया. उस साल लालू भी जीते थे, बिहार से केंद्र सरकार में मैं अकेला मंत्री था. यहां तक कि नीतीश कुमार भी मेरे पास मुख्यमंत्री बनने का प्रस्ताव लेकर दो बार आ चुके हैं, लेकिन मैंने मना कर दिया. यह वह समय था जब सरकार की चाभी मेरे हाथों में होती थी. वर्ष 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था, ‘अगर बिहार में कोई सरकार बनानी और चलानी है तो ऐसा पासवान ही कर सकते हैं.’ तब मैंने उनसे निवेदन किया था कि  मुझे दिल्ली में ही रहने दें.

क्या लोजपा चुनाव में बड़ी भूमिका निभाएगी करेगी?

बिल्कुल… लोजपा चुनाव में बड़ी भूमिका निभाने जा रही है.

क्या भविष्य में आपके बेटे चिराग पासवान बिहार के मुख्यमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं?

यह उनके ऊपर है. मैं कभी भी उनके किसी काम में दखल नहीं देता. उन्हें पहले सीखने दीजिए, क्योंकि वे राजनीति में अभी नए हैं. उन्हें अभी लंबा सफर तय करना है, लेकिन अगर आप मुझसे पूछते ही हैं तो मैं नहीं चाहूंगा चिराग खुद को राज्य की राजनीति तक सीमित रखें.

Chirag and Ramvilas Paswan by Vijay Pandey web
फोटो- विजय पांडेय

हां, इसलिए क्योंकि मांझी जब जदयू के साथ थे तो उनके दो सहयोगी चिराग के निर्वाचन क्षेत्र से विधायक थे. उन दोनों विधायकों ने लोकसभा चुनाव के समय उनकी कोई भी मदद नहीं की थी. इसलिए चिराग उनके खिलाफ थे.

क्या आपको लगता है कि मांझी को भाजपा में इसलिए लाया गया ताकि आपका विरोध किया जा सके? क्या मांझी आपका राजनीतिक करिअर प्रभावित कर सकते हैं?

नहीं, मुझे नहीं लगता कि राजग मेरे लिए ऐसा कुछ करेगी. पार्टी में उनकी (मांझी) मौजूदगी मुझ पर कोई प्रभाव नहीं डाल पाएगी. वास्तव में मांझी के पार्टी में साथ आने से मैं खुश हूं.

अरविंद केजरीवाल जदयू को समर्थन दे रहे हैं? आप इस पर क्या कहना चाहेंगे?

केजरीवाल खुद बहुत सारे विवादों में फंसे हुए हैं, जदयू को प्रमाण पत्र देने वाले वे कौन होते हैं?

आपको क्या लगता है राम विलास पासवान, लालू या नीतीश में से कौन बिहार का बेहतर मुख्यमंत्री साबित हो सकता है?

आप ये सब एक बार में ही जान जाएंगे, बस मतदान हो जाने का इंतजार कीजिए.

जहां तक हम देख रहे हैं, मतदाताओं तक पहुंच बनाने के लिए सभी दल नई-नई तकनीकों का सहारा ले रहे हैं. मतदान में तकनीक किस तरह की भूमिका अदा करती है?

बहरहाल, तकनीक का इस्तेमाल एक सहायोगी के तौर पर किया जा सकता है, लेकिन यह मतदाताओं की सोच नहीं बदल सकता. इसका नमूना हम दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों में देख सकते हैं. भाजपा ने नई तकनीक के सारे हथकंडे अपनाए, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा.

बिहार चुनाव में राजग किन मुद्दों के साथ मैदान में उतर रही है?

राजग के लिए बुनियादी विकास का मुद्दा अहम है. बिहार में चार हजार से ज्यादा गांव ऐसे हैं, नियमित रूप से बिजली नहीं पहुंच पाती. प्रति व्यक्ति आय बहुत कम है और औद्योगिक विकास दर शून्य है. जैसा कि स्वतंत्रता दिवस समारोह में दिए गए भाषण में प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि हमारा मुख्य एजेंडा बिहार का विकास है. वर्तमान में यहां के हालत मुझे हैरान कर देते हैं. लोगों के पास खाने को खाना नहीं है, लेकिन सरकार संग्रहालय बनवाने के लिए 600 करोड़ रुपये खर्च कर रही है.

क्या बिहार चुनाव से पंजाब और उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों में राजग का प्रदर्शन प्रभावित होगा?  

हां बिल्कुल, बिहार में होने वाला विधानसभा चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है. अंततः मुझे विश्वास है कि बिहार के लोग लालू और नीतीश कुमार से ऊब गए हैं और वे बदलाव चाहते हैं