बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर आप क्या कहना चाहेंगे?
विधानसभा चुनाव पर मेरे पास कहने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है. जनता परिवार से जुड़ी खबरें रोजाना मीडिया में आ रही हैं, इसलिए आप वह सब कुछ जान ही रहे होंगे जो इस राज्य की राजनीति में घट रहा है. मैं बस इतना कह सकता हूं कि हम दो तिहाई बहुमत से चुनाव जीत रहे हैं.
भाजपा ने अब तक मुख्यमंत्री पद के दावेदार का नाम क्यों नहीं उजागर किया है?
मुझे लगता है कि इस मामले को भाजपा पर ही छोड़ देना चाहिए कि वह मुख्यमंत्री पद के दावेदार की घोषणा कर रही है या नहीं. हालांकि ऐसा इसलिए है, क्योंकि यह भाजपा की नई रणनीति है. यहां तक कि राजग का हिस्सा होने के बावजूद मैंने भी उनसे कह रखा है कि चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के दावेदार का खुलासा न किया जाए. आप खुद देख सकते हैं कि अब तक जिन राज्यों में भी विधानसभा चुनाव हुए वे सभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़े गए. चाहे यह महाराष्ट्र हो, झारखंड हो या फिर हरियाणा, इस सभी राज्यों में भाजपा इसी तरह से जीतने में सफल रही.
बिहार में भाजपा नरेंद्र मोदी को आगे कर चुनाव लड़ रही है. क्या सिर्फ इसी की वजह से भाजपा के पक्ष में लहर या माहौल बन जाएगा?
हां, बिल्कुल. चुनाव में प्रधानमंत्री के चेहरे को सामने रखने से विपक्षी दलों के सामने बड़ी चुनौती है. मुझे पूरा भरोसा है कि यह लहर भाजपा के पक्ष में होगी. कुछ दिन पहले ही बिहार में प्रधानमंत्री की दो रैलियां हुईं, जिसका लोगों में जबरदस्त प्रभाव देखने में आया. हम जल्द ही एक और सभा करने वाले हैं.
लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार और कांग्रेस के बीच हुए महागठबंधन के बारे में आप क्या सोचते हैं?
अगर हम बिहार के इतिहास को देखें, तो नीतीश ने यहां दस वर्ष तक शासन किया और उनसे पहले लालू प्रसाद यादव की सरकार 15 तक सत्ता में रही. दोनों की 25 साल की सत्ता में राजनीति मजाक बनकर रह गई. एक बात और जानने लायक है कि बिहार के लोगों ने नीतीश को कभी पसंद नहीं किया. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने लोगों में दरार पैदा की और अपने दल से जीतनराम मांझी जैसे नए चेहरे को ये बताते हुए सामने कर दिया कि वह उनके शासन को संभाल लेंगे. नीतीश ने बिहार के लोगों की सिर्फ बेइज्जती की. उन्होंने सरकारी स्कूलों के तमाम शिक्षकों को नाराज किया हुआ है.
विभिन्न प्रदर्शनों के दौरान आए दिन उन पर पुलिस लाठीचार्ज कर देती है. उन्होंने बिहार के ग्रामीण अंचलों में शराब के ठेके खुलवा दिए, जिसकी वजह से धीरे-धीरे वहां के लोग शराब की गिरफ्त में आ चुके हैं. जाति और समुदाय के नाम पर नीतीश ने हमेशा राजनीति की है और लोगों को बांटने का काम किया है.
दूसरी तरफ लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) का वोट बैंक पूरी तरह से समर्पित है. मैं दलितों का नेता हूं और मतदाताओं को मुझ पर पूरा भरोसा है. ऐसे समय में जब हर दल का वोटबैंक बिखरता नजर आता है, तब भी मेरे दलित मतदाता मेरे साथ खड़े रहते हैं. संपत्ति और दूसरे सामान देने का वादा कर नीतीश ने हमेशा मेरे वोटबैंक को अपने पक्ष में करने कोशिश की है. मगर जिस तरह से भाजपा के साथ आरएसएस है, ठीक वैसे ही मेरी ‘दलित सेना’ लोजपा के साथ खड़ी रहती है. नीतीश को उनके ही मतदाताओं ने अपमानित करने के साथ हमेशा उनका बहिष्कार किया है. लालू, नीतीश अपनी हार स्वीकार कर चुके हैं. वे मोदी से भयभीत हैं, इसीलिए तीनों ने आपस में गठबंधन किया. बिहार के मतदाता बहुत बुद्िधमान हैं. यहां यादव समुदाय के लोगों को लालू और मुलायम में भविष्य नहीं दिखता. इसका उदाहरण यादव बहुल दो सीटों से राबड़ी देवी का चुनाव हारना है. लालू की बेटी मीसा यादव के साथ भी ऐसा ही हुआ. उधर, नीतीश के पास अब कोई वोटबैंक नहीं बचा है.
क्या आप कहना चाहते हैं कि आप दलित और महादलित मतदाताओं का बड़ा चेहरा हैं? अगर ऐसा है तो राजग ने आपको मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर क्यों नहीं पेश किया?
मैं एक राष्ट्रीय स्तर का नेता हूं और मैंने कभी राज्य स्तर का नेता बनने की कोशिश नहीं की. मैं कभी भी मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहता. अगर मैं ऐसा चाहता तो आज से 25 साल पहले 1990 में जब वीपी सिंह ने कहा था तब ही बन सकता था. वह तो मुझे प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते थे, लेकिन मैंने ही मना कर दिया. उस साल लालू भी जीते थे, बिहार से केंद्र सरकार में मैं अकेला मंत्री था. यहां तक कि नीतीश कुमार भी मेरे पास मुख्यमंत्री बनने का प्रस्ताव लेकर दो बार आ चुके हैं, लेकिन मैंने मना कर दिया. यह वह समय था जब सरकार की चाभी मेरे हाथों में होती थी. वर्ष 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था, ‘अगर बिहार में कोई सरकार बनानी और चलानी है तो ऐसा पासवान ही कर सकते हैं.’ तब मैंने उनसे निवेदन किया था कि मुझे दिल्ली में ही रहने दें.
क्या लोजपा चुनाव में बड़ी भूमिका निभाएगी करेगी?
बिल्कुल… लोजपा चुनाव में बड़ी भूमिका निभाने जा रही है.
क्या भविष्य में आपके बेटे चिराग पासवान बिहार के मुख्यमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं?